स्वाति मोहन: भारत की बेटी जिनके नेतृत्व में NASA ने मंगल पर रोवर की कराई ऐतिहासिक लैंडिंग

Last Updated 19 Feb 2021 03:47:41 PM IST

दुनिया ने बीती रात मंगल ग्रह की सतह पर नासा के रोवर ‘पर्सवरिंस’ के उतरने की ऐतिहासिक घटना को देखा और इसके पीछे भारतीय मूल की अमेरिकी वैज्ञानिक स्वाति मोहन के योगदान की हर कोई सराहना कर रहा है।


स्वाति ही वह वैज्ञानिक हैं जिन्होंने ‘मार्स 2020’ मिशन के दिशा-निर्देशन और नियंत्रण अभियान का नेतृत्व किया। वह एक साल की उम्र में भारत से अमेरिका पहुंचीं थीं । ‘पर्सवरिंस’ जैसे ही लाल ग्रह की सतह पर उतरा, स्वाति खुशी से झूम उठीं और कहा, ‘‘रोवर सफलतापूर्वक उतर गया है।’’      

उनका कहना है कि दिशा-निर्देशन और नियंत्रण अभियान अंतरिक्ष यान के ‘‘आंख-कान’’ होते हैं।      

नॉर्दर्न वर्जीनिया और वाशिंगटन डीसी में पली बढीं स्वाति ने यांत्रिक और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में कॉन्रेल यूनिवर्सिटी से स्नातक और फिर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से वैमानिकी एवं अंतरिक्षयानिकी में एमएस तथा पीएचडी की थी।      

स्वाति का कहना है कि अंतरिक्ष क्षेत्र में उनकी रुचि तब पैदा हुई जब उन्होंने नौ साल की उम्र में टीवी शो ‘स्टार ट्रेक’ देखा था। नासा के मंगल मिशन में स्वाति के योगदान की आज दुनियाभर में प्रशंसा हो रही है।     

नासा का छह पहिए वाला रोवर मंगल ग्रह से ऐसी चट्टानें लेकर आएगा जिनसे इन सवालों का जवाब मिल सकता है कि क्या कभी लाल ग्रह पर जीवन था।      

वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कभी मंगल ग्रह पर जीवन रहा भी था तो वह तीन से चार अरब साल पहले रहा होगा, जब ग्रह पर पानी बहता था।       

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि रोवर से दर्शनशास्त्र, धर्मशास्त्र और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े एक मुख्य सवाल का जवाब मिल सकता है।    

‘पर्सविरंस’ नासा द्वारा भेजा गया अब तक का सबसे बड़ा रोवर है। 1970 के दशक के बाद से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का यह नौवां मंगल अभियान है।
 

भाषा
वाशिंगटन


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