म्यांमार में प्रदर्शनों में शामिल हुए जातीय अल्पसंख्यक भी

Last Updated 12 Feb 2021 03:49:12 AM IST

म्यांमार में पिछले सप्ताह हुए सैन्य तख्तापलट का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों में बृहस्पतिवार को देश के जातीय अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य भी शामिल हुए।


म्यांमार में प्रदर्शनों में शामिल हुए जातीय अल्पसंख्यक भी

इन विरोध प्रदर्शनों का अमेरिका समेत कई देशों ने समर्थन किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने म्यांमार पर नए प्रतिबंध लगाए जाने की घोषणा की है। यंगून और मांडले में रोजाना हजारों प्रदर्शनकारी रैलियां निकाल रहे हैं। इसके अलावा देश की राजधानी नेपीता और कई अन्य शहरों में भी बड़ी रैलियां हो रही हैं। इन प्रदर्शनों में फैक्टरी कर्मी, लोक सेवक, छात्र, शिक्षक, चिकित्साकर्मी और अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोग शामिल हो रहे हैं। बौद्ध भिक्षु और कैथोलिक पादरी भी प्रदर्शनों में भाग ले रहे हैं। प्रदर्शनों में एलजीबीटीक्यू के दलों को भी देखा जा सकता है।

यंगून में जातीय अल्पसंख्यकों ने अपने अपने क्षेत्रों की रंग-बिरंगी पारम्परिक पोशाक पहनकर प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। जातीय अल्पसंख्यकों की यह भागीदारी दर्शाती है कि देश में पिछले सप्ताह हुए तख्तापलट का विरोध कितना व्यापक और गहरा है। जातीय समुदाय देश में लंबे समय से सेना के दमन का शिकार होते रहे हैं। दावेई शहर में बृहस्पतिवार को प्रदर्शनकारियों ने वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग के पोस्टर पैर से कुचले।
प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि सत्ता निर्वाचित असैन्य सरकार को लौटाई जाए। उनकी मांग है कि निर्वाचित नेता आंग सान सू की और सत्ताधारी पार्टी के अन्य नेताओं को रिहा किया जाए। सेना का कहना है कि आंग सान सू की की निर्वाचित असैन्य सरकार को हटाने का एक कारण यह है कि वह कथित व्यापक चुनावी अनियमितताओं के आरोपों की ठीक से जांच करने में विफल रहीं। उसने घोषणा की है कि वह एक साल के लिए आपातकाल की स्थिति के तहत शासन करेगी और फिर चुनाव आयोजित करेगी।

एपी
यंगून


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