मसूद अजहर पर प्रतिबंध को यूएन में फिर प्रस्ताव
अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को एक मसौदा प्रस्ताव भेजा जिसमें पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना अजहर मसूद को प्रतिबंधित करने की बात की गई है।
जैश-ए-मोहम्मद के सरगना अजहर मसूद (file photo) |
इस कदम के बाद अमेरिका के संयुक्त राष्ट्र में चीन के साथ संभावित टकराव की स्थिति बन गई है। चीन ने अजहर को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में शामिल करने के प्रयास में इस महीने की शुरुआत में अड़ंगा डाल दिया था। संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति में यह प्रयास अटक जाने के बाद अमेरिका अजहर को प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव को लेकर सीधे सुरक्षा परिषद पहुंच गया। कश्मीर में 14 फरवरी को हुए जैश के एक आत्मघाती हमले में 40 जवान शहीद हुए थे। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव बढ़ गया है।
मसौदा प्रस्ताव में इस आत्मघाती हमले की निंदा की गई है और निर्णय किया गया है कि अजहर को संयुक्त राष्ट्र के अल-कायदा एवं इस्लामिक स्टेट प्रतिबंधों की काली सूची में रखा जाएगा। यह स्पष्ट नहीं है कि मसौदा प्रस्ताव पर मतदान कब होगा। इस पर चीन वीटो कर सकता है। परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के साथ चीन शामिल है।
अमेरिकी विदेश मंत्री बोले, मुस्लिमों पर चीन की दोहरी नीति शर्मनाक : अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने मुस्लिमों को लेकर दोहरी नीति अपनाने पर चीन को कड़ी फटकार लगायी है। श्री पोम्पियो ने चीन की हिरासत में रह चुके इघर मुस्लिमों और उनके रिश्तेदारों की स्थिति के बारे जानने के बाद कहा कि चीन मुस्लिमों को लेकर दोहरी नीति अपना रहा है। उन्होंने कहा कि चीन एक तरफ उइगर मुस्लिमों को प्रताड़ित कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में बचाने का प्रयास कर रहा है। मसूद अजहर वहीं आतंकवादी है जिसने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली थी। श्री पोम्पियो ने ट्वीट कर कहा कि चीन को मनमाने तरीके से हिरासत में रखे गये सभी उइगर मुस्लिमों को रिहा करना चाहिए और उसके खिलाफ अत्याचार को खत्म करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व समुदाय मुस्लिमों को लेकर चीन के शर्मनाक पाखंड को बर्दाश्त नहीं कर सकता है।
चीन ने जताई आपत्ति
चीन ने अमेरिका से जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एक मसौदा प्रस्ताव ‘जबरदस्ती पेश कर’ इस मुद्दे को जटिल नहीं बनाने का बृहस्पतिवार को आग्रह किया। उसने कहा कि अमेरिका ने प्रस्ताव पेश कर संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद रोधी समिति के अधिकार को कमजोर किया है।
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