भारत में 2020 तक पानी की किल्लत :ब्लेक
वर्ष 2025 तक दुनिया के दो तिहाई देशों में पानी की किल्लत हो जाएगी.
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अमरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि वर्ष 2025 तक दुनिया के दो तिहाई देशों में पानी की किल्लत हो जाएगी, जबकि एशिया और खासतौर पर भारत में 2020 तक ही ऐसा होने की आशंका है.
दक्षिण और मध्य क्षेत्र मामलों के सहायक विदेश मंत्री राबर्ट ब्लेक ने कहा,'विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि दुनिया के करीब दो तिहाई देशों में पानी की किल्लत हो जाएगी. इसे अधिक पानी की मांग या खराब गुणवत्ता वाले जल के चलते इसके सीमित मात्रा में इस्तेमाल के तौर पर देखा जा सकता है. एशिया में यह समस्या कहीं अधिक विकराल होगी.'
उन्होंने यहां प्रथम तिब्बत पर्यावरण फोरम की बैठक में बताया, 'उदाहरण के रूप में भारत में 2020 तक पानी की किल्लत होने की आशंका है, जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर असर पड़ेगा.'
ब्लेक ने बताया कि तिब्बत के पठार पर मौजूद हिमालयी ग्लेशियर समूचे एशिया में 1.5 अरब से अधिक लोगों को मीठा जल मुहैया करता है. इस ग्लेशियर से नौ नदियों में पानी की आपूर्ति होती है, जिनमें गंगा और ब्राह्मपुत्र नदियां शामिल हैं. इनसे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, नेपाल और बांग्लादेश में जलापूर्ति होती है.
ब्लेक ने कहा,'लेकिन जलवायु परिवर्तन और 'ब्लैक कार्बन' जैसे प्रदूषक तत्वों ने हिमालय के कई ग्लेशियरों पर जमी बर्फ की मात्रा को घटा दिया है और उनमें से कुछ इस सदी के अंत तक निश्चित रूप से खत्म हो जाएंगे.
ग्लेशियरों पर जमी बर्फ की मात्रा के घटने से लाखों लोगों की जलापूर्ति पर असर पड़ेगा और बाढ़ का खतरा पैदा हो सकता है जिससे जान माल को भारी नुकसान होगा.
ब्लेक ने कहा कि इससे समुद्री जल के स्तर में भी बढ़ोतरी होगी, जिससे तटीय इलाके में रहने वाले लोगों को खतरे का सामना करना पड़ेगा. जलवायु परिवर्तन की वजह से तापमान में बढ़ोतरी होगी.
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि वसंत और गर्मियों के मौसम में होने वाली बारिश से बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में स्वास्थ्य और विकास के लिए उचित मात्रा में जल का होना बहुत जरूरी है.
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