Vat Savitri Vrat Katha in Hindi : पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री के दिन जरुर पढ़ें संपूर्ण व्रत कथा

Last Updated 03 Jun 2024 11:57:19 AM IST

Vat Savitri 2024 Vrat Katha in Hindi (वट सावित्री की कथा) : सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री (Vat Savitri 2024 ) का व्रत बहुत ही खास होता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति की दीर्घायु होती है।


Vat Savitri Vrat Katha in Hindi

Vat Savitri Vrat Katha in Hindi : वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलायें पूरी निष्ठा तथा आस्था के साथ रखती हैं। यह व्रत रखने से महिलाओं को ईश्वर की असीम कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों शक्ति मिलकर महिलाओं को सुहागिन होने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। जो महिलाएं संपूर्ण आस्था व विश्वास के साथ वट वृक्ष के नीचे इस वट अमावस्या के दिन पूजा पाठ, व्रत इत्यादि करती हैं, उनको विशेष लाभ प्राप्त होता है। इस दिन वट सावित्री व्रत की पूजा के दौरान व्रत कथा पढ़ना जरुरी है। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। तो चलिए यहां पढ़िए वट सावित्री की व्रत कथा।  

वट सावित्री व्रत कथा? Vat Savitri katha in hindi

सावित्री अश्वपति की कन्या थी, जिसने सत्यवान को पति रूप में स्वीकार किया था। सावित्री का पति सत्यवान लकड़ियां काटने के लिए जंगल में भ्रमण किया करता था। सावित्री पहले घर में अपने नेत्रहीन सास-ससुर की सेवा करती फिर सत्यवान के पीछे जंगल में चली जाती थी। एक दिन की बात है, सत्यवान को लकड़ियां काटते समय अचानक चक्कर आ गया और वह पेड़ से उतरकर नीचे बैठ गया।

उसी समय वहां यमराज भैंसे पर सवार होकर सत्यवान के प्राण लेने के लिए आ पहुंचे। सावित्री ने उन्हें पहचान लिया और सावित्री उनसे कहने लगी कि आप मेरे सत्यवान के प्राण न लीजिए लेकिन यमराज ने सावित्री की कोई बात नहीं मानी और अंततः सत्यवान के प्राण लेकर आगे जाने लगे।

अपने पति के प्राण ले जाते देख यमराज के पीछे पीछे सावित्री भी चलने लगी व यमराज से सत्यवान के प्राण लौटाने की प्रार्थना करने लगी।  यमराज ने कई बार उसे मना किया व वापस लौटने को कहा, मगर सावित्री फिर भी वापस नहीं लौटी।

सावित्री के पतिव्रत धर्म से प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान के रूप में उसके अंधे सास-ससुर को आंखें प्रदान की और सावित्री को 100 पुत्र होने का आशीर्वाद दिया और सत्यवान को जीवित कर दिया। यही कारण है कि वट वृक्ष से जुड़ी इस कहानी के अनुसार महिलाएं इस दिन को वट अमावस्या के रूप में पूजती हैं।

वट सावित्री पूजा से जुड़े रीति रिवाज़

• महिलाएं 16 शृंगार करके तैयार होती हैं।

• इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की जड़ों का सेवन भी करती हैं, अगर व्रत 3 दिन लगातार

• रखते हैं तो पानी का सेवन भी किया जा सकता है।

• इस पूजा के बाद पेड़ के चारों तरफ महिलाओं द्वारा लाल या पीले रंग का धागा बांधा जाता है, उसके बाद पेड़ पर चावल, फूल और पानी चढ़ाते हैं।

• यदि आस पास बरगद का पेड़ मौजूद नहीं होता है, तो आप लकड़ी पर चंदन का पेस्ट या हल्दी की मद्द से पेड़ का चित्र बनाकर उस पर समस्त रीति रिवाज़ों को पूरा कर सकते हैं।

• पूजा होने के बाद परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद बांट दिया जाता है।

• प्रसाद देने के बाद घर की महिलाएं अपने घर के बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

• इस दिन अधिकतर लोग गरीबों को कपड़े, भोजन, फल आदि वस्तुओं को उपहार स्वरूप भेंट भी करते हैं।


प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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