Dev Uthani Ekadashi Ki Aarti : देव उठनी एकादशी की पूजा में जरूर पढ़ें यह आरती

Last Updated 23 Nov 2023 10:07:35 AM IST

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी,जय एकादशी माता। विष्णु पूजा व्रत को धारण कर,शक्ति मुक्ति पाता॥ ॐ जय एकादशी, तेरे नाम गिनाऊं देवी,भक्ति प्रदान करनी।


Dev Uthani Ekadashi Ki Aarti

Dev Uthani Ekadashi Ki Aarti : कार्तिक मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी दीपावली के बाद आती है। मान्यताओं है कि इस देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार माह शयन के बाद जागते हैं। इस एकादशी पर भगवान हरि के जागने के बाद मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस बार देवउठनी एकादशी पर तीन शुभ योग बन रहे हैं। इन शुभ योग में पूजा पाठ करने से भगवान का आशीर्वाद मिलेगा। इस बार रवि योग, सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। पूजा के समय इस आरती का भी बहुत महत्व है। इस आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। तो चलिए यहां पढ़िए देव उठनी एकादशी की आरती।  

Dev Uthani Ekadashi Ki Aarti
एकादशी माता की आरती (Ekadashi Mata Aarti In Hindi)

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी,जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर,शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय एकादशी...॥

तेरे नाम गिनाऊं देवी,भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता,शास्त्रों में वरनी॥
ॐ जय एकादशी...॥

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना,विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा,मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय एकादशी...॥

पौष के कृष्णपक्ष की,सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा,आनन्द अधिक रहै॥
ॐ जय एकादशी...॥

नाम षटतिला माघ मास में,कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै,विजय सदा पावै॥
ॐ जय एकादशी...॥

विजया फागुन कृष्णपक्ष मेंशुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में,चैत्र महाबलि की॥
ॐ जय एकादशी...॥

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा,धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में,वैसाख माह वाली॥
ॐ जय एकादशी...॥

शुक्ल पक्ष में होयमोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी,शुक्लपक्ष रखी॥
ॐ जय एकादशी...॥

योगिनी नाम आषाढ़ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो,शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय एकादशी...॥

कामिका श्रावण मास में आवै,कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होयपवित्रा आनन्द से रहिए॥
ॐ जय एकादशी...॥

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की,परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में,व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय एकादशी...॥

 पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में,आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै,सुखदायक भारी॥
ॐ जय एकादशी...॥

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की,दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूंविनती पार करो नैया॥
ॐ जय एकादशी...॥

परमा कृष्णपक्ष में होती,जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होयपद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ॐ जय एकादशी...॥

जो कोई आरती एकादशी की,भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा,निश्चय वह पावै॥
ॐ जय एकादशी...॥

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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