हे प्रभो, पुरुष ज्ञान को कैसे प्राप्त होता है
जनक ने कहा, ‘हे प्रभो, पुरुष ज्ञान को कैसे प्राप्त होता है। और मुक्ति कैसे होगी और वैराग्य कैसे प्राप्त होगा?
![]() आचार्य रजनीश ओशो |
बारह साल के लड़के से सम्राट जनक का कहना है : ‘हे प्रभु! भगवान! मुझे समझाएं!
एतत मम लूहि!
मुझ नासमझ को कुछ समझ दें! तीन प्रश्न पूछे हैं-
‘कथं ज्ञानम! कैसे होगा ज्ञान!’
साधारणत: तो हम सोचेंगे कि ‘यह भी कोई पूछने की बात है? किताबों में भरा पड़ा है।’ जनक भी जानता था। जो किताबों में भरा पड़ा है, वह ज्ञान नहीं; वह केवल ज्ञान की धूल है, राख है! ज्ञान की ज्योति जब जलती है तो पीछे राख छूट जाती है। राख इकट्ठी होती चली जाती है, शास्त्र बन जाती है। वेद राख हैं-कभी जलते हुए अंगारे थे। ऋषियों ने उन्हें अपनी आत्मा में जलाया था। फिर राख रह गए। फिर राख संयोजित की जाती है, संगृहीत की जाती है, सुव्यवस्थित की जाती है।
जैसे जब आदमी मर जाता है तो हम उसकी राख इकट्ठी कर लेते हैं-उसको फूल कहते हैं। बड़े मजेदार लोग हैं! जिंदगी में जिसको फूल नहीं कहा, उसकी हड्डियां-वड्डियां इकट्ठी कर लाते हैं-कहते हैं, ‘फूल संजो लाये’! जनक भी जानता था कि शास्त्रों में सूचनाएं भरी पड़ी हैं। लेकिन उसने पूछा, ‘कथं ज्ञानम? कैसे होगा ज्ञान?’ क्योंकि कितना ही जान लो, ज्ञान तो होता ही नहीं। जानते जाओ, जानते जाओ, शास्त्र कंठस्थ कर लो, तोते बन जाओ, एक-एक सूत्र याद हो जाए, पूरे वेद स्मृति में छप जायें-फिर भी ज्ञान तो होता नहीं।
कुछ दिनों पहले कुछ जैन साध्वियों की मेरे पास खबर आई कि वे मिलना चाहती हैं, मगर श्रावक आने नहीं देते। यह भी बड़े मजे की बात हुई! साधु का अर्थ होता है, जिसने फिक्र छोड़ी समाज की; जो चल पड़ा अरण्य की यात्रा पर, लेकिन साधु-साध्वी कहते हैं, ‘श्रावक आने नहीं देते! वे कहते हैं, वहां भूल कर मत जाना। वहां गये तो यह दरवाजा बंद!’ यह मुक्ति हुई? जनक ने पूछा, ‘कथं मुक्ति? कैसे होती मुक्ति? क्या है मुक्ति? उस ज्ञान को मुझे समझाएं, जो मुक्त कर देता है।’
पूछा जनक ने, ‘कैसे होगी मुक्ति और कैसे होगा वैराग्य? हे प्रभु, मुझे समझा कर कहिए!’ अष्टावक्र ने गौर से देखा होगा जनक की तरफ; क्योंकि गुरु के लिए वही पहला काम है कि जब कोई जिज्ञासा करे तो वह गौर से देखे। ‘जिज्ञासा किस स्रोत से आती है? पूछने वाले ने क्यों पूछा है?’ उत्तर तो तभी सार्थक हो सकता है जब प्रश्न क्यों किया गया है, वह समझ में आ जाए, वह साफ हो जाए।
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