स्मार्टनेस और बेवकूफी
स्मार्ट होना और बुद्धिमान होना, दो अलग-अलग बातें हैं। मैं आपको एक कहानी सुनाता हूं।
![]() सद्गुरु |
एक बार एक स्मार्ट कुत्ता था। इतना स्मार्ट था कि आसपास के सभी गांवों के कुत्तों से बेहतर बन गया। एक दिन वो थोड़ा ज्यादा साहसी हो गया। अगर आप ने ध्यान दिया हो तो गांव के कुत्ते कभी जंगल के अंदर तक नहीं जाते। ज्यादा से ज्यादा वे जंगल के किनारे तक एकाध खरगोश को पकड़ने के लिए चले जाते हैं, पर कभी जंगल में अंदर, दूर तक नहीं जाते क्योंकि जानते हैं कि वहां बड़े जानवर हैं, जिनके वे आसानी से भोजन बन जाएंगे।
लेकिन ये कुछ ज्यादा ही स्मार्ट कुत्ता था। तो जंगल में बहुत अंदर तक चला गया, जहां उसे एक बाघ ने देखा। बाघ ने उसके जैसे जीव को पहले कभी नहीं देखा था। उसने सोचा, ‘लगता है, आज की दोपहर के लिए बढ़िया नाश्ता होगा।’ वो गुर्राया और कुत्ते के पास आने लगा। लेकिन ये कुत्ता स्मार्ट था। भागना चाहता था लेकिन जानता था कि भागा तो बाघ उसे जल्दी ही पकड़ कर अपने लिए कुरकुरा नाश्ता बना लेगा। उसने पास ही हड्डियों का ढेर देखा तो उसके चारों ओर चक्कर लगाते हुए कहने लगा, ‘वाह भगवान, ये बाघ मेरे लिए बहुत अच्छा भोजन है।’
यह सुन बाघ हिचकिचाया और पीछे हट गया, ‘अरे, ये कोई ऐसा जीव है जो बाघ को भोजन बना लेता है, और ये इतनी हड्डियों का ढेर लगा है।’ वो मुड़ा और वापस जाने लगा। ये देख कर स्मार्ट कुत्ता धीरे से वापस खिसक गया। पास के पेड़ पर बैठा एक बंदर ये सब देख रहा था और परिस्थिति में दखल देने से वो अपने आप को रोक नहीं सका। वो बाघ से बोला, ‘अरे, वो तुम्हें बेवकूफ बना कर चला भी गया। वो बस एक कुत्ता है। मैं गांवों में गया हूं। उसके पास तुम्हारे पंजे जितनी भी ताकत नहीं है।’
बाघ को बुरा लगा,‘ क्या, उसने मुझे बेवकूफ बनाया? आओ, हम उसे पकड़ें।’ तो बंदर कूद कर बाघ की पीठ पर बैठ गया और वे कुत्ते की ओर दौड़ने लगे। कुत्ते ने देखा, बंदर बाघ की पीठ पर सवारी कर रहा है और वे उसकी ओर आ रहे हैं। वो समझ गया, क्या हुआ होगा, लेकिन कुत्ता स्मार्ट था। उसने जोर से जम्हाई ली और बोला, ‘कहां है वो बदमाश बंदर? लगभग एक घंटा हो गया जब मैंने उसे किसी दूसरे बाघ को पकड़ कर लाने के लिए कहा था। कहां है वो?’
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