प्राणशक्ति
रोग के कई सारे पहलू हैं। अंग्रेजी शब्द ‘डिजीज’ का अर्थ है कि आप आराम में नहीं है। जब आप के शरीर को पता नहीं चलता कि आराम कैसे करें, तो ऊर्जा अस्त व्यस्त हो जाती हैं।
![]() जग्गी वासुदेव |
उदाहरण के लिए, जब अस्थमा के रोगी ईशा योग कार्यकम में आते हैं और ध्यान तथा योग क्रियाएं करना शुरू करते हैं तो कुछ ही दिनों की क्रिया से बहुत से लोगों का अस्थमा गायब हो जाता है। इसका कारण ये है कि उनकी ऊर्जा कुछ दिन क्रिया करने से ही व्यवस्थित होने लगती है। कुछ लोगों का अस्थमा थोड़ा कम हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनका अस्थमा सिर्फ अस्त-व्यस्त ऊर्जा की वजह से नहीं हुआ है। इसके अन्य गहरे कर्म संबंधी कारण भी हैं।
कुछ लोगों को बिल्कुल भी आराम नहीं आता, क्योंकि उनका रोग बहुत ज्यादा शक्तिशाली कर्म संबंधी कारणों की वजह से होता है। कुछ ऐसी बाहरी परिस्थितियां भी हो सकती हैं, जो न बदली हों। कर्म, रोग का कारण कैसे बनते हैं? एक चीज होती है जिसे प्रारब्ध कहते हैं, जो आप के इस जीवन के लिये आवंटित कर्मो का हिस्सा हैं। प्रारब्ध कर्म आप के शरीर, मन और अनुभूतियों पर दर्ज रहते हैं, परंतु आप की ऊर्जा पर ये सबसे अधिक गहरे रूप से दर्ज होते हैं। ऊर्जा पर कोई जानकारी कैसे दर्ज हो सकती है?
ये मेरे अंदर एक जीवित अनुभव है-मुझे पता नहीं कि इस पर कोई वैज्ञानिक शोध हो रहा है या नहीं, पर मैं ये जानता हूं कि विज्ञान किसी दिन ये जानने के लिए रास्ता ढूंढ ही लेगा। एक समय था जब हम जो कुछ भी दर्ज कर के रखना चाहते थे, वो सब पत्थरों की पट्टियों पर लिख कर रखना पड़ता था। वहां से हम पुस्तकों की ओर आए और अब आगे बढ़ते हुए डिस्क और चिप्स तक आ गए हैं। पत्थरों की हजारों पट्टियों पर जो कुछ लिखा जा सकता था, वो एक पुस्तक में आने लगा और फिर जो हजारों पुस्तकों में लिखा जा सकता था वो एक कॉम्पैक्ट डिस्क में आने लगा।
और अब तो, हजारों डिस्क में आने वाली जानकारी एक छोटी सी चिप में आ जाती है। किसी दिन ये होगा कि आज हम जितना कुछ लाखों चिप्स में दर्ज कर सकते हैं वो ऊर्जा के एकदम छोटे से हिस्से में आ जाएगा। मैं जानता हूं कि यह सम्भव है क्योंकि यह मेरे अंदर हर समय हो रहा है, और ये हरेक में हो रहा है। ऊर्जा स्वयं ही एक खास ढंग से काम करती है। हरेक की ऊर्जा या प्राणशक्ति एक समान ढंग से काम नहीं करती।
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