सत्यार्थी: तंग गलियों से नोबल तक का सफर

PICS: सत्यार्थी को नोबल पुरस्कार मिलते ही विदिशा विश्व पटल पर छाया

नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी को विश्व के इस प्रतिष्ठित शांति पुरस्कार से नवाजे जाने की घोषणा के बाद उनके परिजनों के साथ ही विदिशा के लोगों की खुशी का भी ठिकाना नहीं रहा. सत्यार्थी ने बाल दासता के खिलाफ और बच्चों के अधिकारों के लिए मध्य प्रदेश के विदिशा से आवाज बुलंद की. ऐतिहासिक शहर विदिशा के ठेठ पुराने इलाके किले के अंदर की तंग गलियों में सत्यार्थी के परिजनों और परिचितों को शुक्रवार को जैसे ही उन्हें शांति के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की जानकारी मिली सभी की आंखें खुशी की वजह से छलक आयीं. इसी क्षेत्र की तंग गलियों में अपना बचपन गुजारने वाले सत्यार्थी ने यहीं के इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की. सरल स्वभाव के सत्यार्थी भले ही अपने लोगों के लिए सहज थे लेकिन बच्चों से दासता कराने वालों के प्रति वह पूरी सख्ती से पेश आते थे और उन्होंने इसी शहर से बच्चों के बचपन बचाने के काम की शुरुआत की.

 
 
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