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- सत्यार्थी: तंग गलियों से नोबल तक का सफर
वह आर्थिक तंगहाली के बावजूद बच्चों की शुरूआत से हर तरह से मदद करते थे और अपनी पढ़ाई के लिए किताबें पुस्तकालय से जुगाड़ते थे. वह स्ट्रीट लाइट की रोशनी में भी किताबें पढ़ते थे. शांति के नोबल पुरस्कार की घोषणा होने के बाद ही प्राय: शांत रहने वाली किलेअंदर स्थित तंग गली में शुक्रवार दोपहर बाद चहल-कदमी बढ़ गयी. नगर में उनकी अनुपस्थिति के बाद भी उनके पैतृक निवास पर पहुंचने वालों की भीड़ लग गयी और लोगों ने खुशी के चलते मिठाइयां भी वितरित कीं.
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