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- पाताल भुवनेश्वर गुफा के दर्शन

इस गुफा के अंदर केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन होते हैं। बद्रीनाथ में बद्री पंचायत की शिलारूप मूर्तियां हैं, जिनमें यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश तथा गरुड़ शामिल हैं। चट्टान में तक्षक नाग की आकृति भी बनी नजर आती है। इन सब के ऊपर बाबा अमरनाथ की गुफा है तथा पत्थर की बड़ी- बड़ी जटाएं फैली हुई हैं। इसी गुफा में काल भैरव जीभ के दर्शन होते हैं। धार्मिक मान्यता है कि मनुष्य कालभैरव के मुंह से गर्भ में प्रवेश कर आखिरी छोर तक पहुंच जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। आगे बढ़ने पर समुद्र मंथन से निकला पारिजात का पेड़ नजर आता है तो ब्रह्मा जी का पांचवें मस्तक के दर्शन भी यहां पर होते हैं। गुफा के दाहिनी ओर इसके ठीक सामने ब्रह्मकपाल और सप्तजलकुंड के दर्शन होते हैं, जिसकी बगल में टेढ़ी गर्दन वाले एक हंस की आकृति दिखाई देती है। मानस खंड में वर्णन है कि हंस को कुंड में मौजूद अमृत की रक्षा करने का कार्य दिया गया था, लेकिन लालच में आकर हंस ने खुद ही अमृत को पीने की चेष्टा की, जिससे शिव जी के श्राप के चलते हंस की गर्द हमेशा के लिए टेढ़ी हो गई। कुल मिलाकर 160 मीटर लंबी पाताल भुवनेश्वर गुफा एक ऐसा स्थान है, जहां पर एक ही स्थान पर न सिर्फ 33 करोड़ देवताओं का वास है, बल्कि इस गुफा के दर्शन से चारों धाम- जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम, द्वारिकी पुरी और बद्रीनाथ धाम के दर्शन पूर्ण हो जाते हैं। पताल भुवनेश्वर गुफा का विस्तृत वर्णन स्कंद पुराण के मानस खंड के 103 अध्याय में मिलता है। पाताल भुवनेश्वर अपने आप में एक दैवीय संसार को समेटे हुए है। धर्म में अगर आपकी जरा सी भी आस्था है तो आप भी जीवन में एक बार पाताल भुवनेश्वर गुफा के दर्शन अवश्य कीजिएगा। यकीन मानिए, आप महसूस करेंगे कि अगर इस गुफा के अंदर विराजमान दैवीय संसार को आप ने इसके दर्शन कर नहीं जाना तो मानो जीवन में कुछ अधूरा सा छूट गया है लगता है।