सत्यार्थी: तंग गलियों से नोबल तक का सफर

PICS: सत्यार्थी को नोबल पुरस्कार मिलते ही विदिशा विश्व पटल पर छाया

माना जाता है कि सत्यार्थी की पहल के पहले बाल मजदूरी और बाल दासता पर किसी का विशेष ध्यान नहीं जाता था. लेकिन उन्होंने बच्चों के हक की लड़ाई को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया और अब वे एक सैकड़ा से अधिक देशों में विभिन्न संगठनों से जुड़े हुए हैं. एक अनुमान के मुताबिक बचपन बचाओ आंदोलन के जरिए उन्होंने कम से कम 83 हजार से अधिक बच्चों को दासता से मुक्त कराके उनका पुनर्वास भी कराया है.

 
 
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