सत्यार्थी: तंग गलियों से नोबल तक का सफर

PICS: सत्यार्थी को नोबल पुरस्कार मिलते ही विदिशा विश्व पटल पर छाया

सत्यार्थी देश की सीमाओं से पार पूरे विश्व में बचपन बचाओ आंदोलन और बंधुआ मजदूर मुक्ति के मसीहा के रूप में जाने जाते हैं. इस नौजवान इंजीनियर ने सुविधाएं और सम्मान पाने वाले पेशे को ठुकराकर 1980 में मानव दास्ता के कलंक को मिटाने के अभियान की शुरूआत की.

 
 
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