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- सत्यार्थी: तंग गलियों से नोबल तक का सफर
उनका कहना है कि कई बार कैलाश की इन आदतों के कारण घरवाले परेशान हो जाते और एक बार उन्हें सजा के तौर पर धूप में खड़ा भी कर दिया गया. लेकिन वह अपने उद्देश्य से कभी डिगे नहीं और शायद यही वजह है कि उन्हें आज विश्व के श्रेष्ठ माने जाने वाले शांति के नोबल पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गयी है.
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