गांधी जी को मिली थी गोखले से प्रेरणा
Last Updated 19 Feb 2009 10:03:31 AM IST
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19 फरवरी को पुण्यतिथि पर विशेष
पढ़ाई में उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए जब गोपाल कृष्ण गोखले को 20 रुपये की छात्रवृत्ति मिलनी शुरू हुई तो उनकी तारीफ करने वालों को शायद इस बात का अंदाज नहीं रहा होगा कि एक दिन यह मेधावी विद्यार्थी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का राजनीतिक गुरु कहलाएगा।
गोखले सिर्फ गांधी जी ही नहीं बल्कि मोहम्मद अली जिन्ना के भी राजनीतिक गुरु थे।
इतिहासकार सर्वदानंदन का मानना है कि यदि गोखले 1947 में जीवित होते तो जिन्ना शायद देश के बंटवारे की बात रखने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।
गांधी जी को आजादी की लड़ाई की प्रेरणा देने वाले गोखले का जन्म नौ मई 1866 को महाराष्ट्र के कोहट में हुआ था।
उनके पिता कृष्ण राव पेशे से क्लर्क थे लेकिन गोखले की प्रतिभा ने परिवार के नाम में चार चांद लगा दिए।
सर्वदानंदन का कहना है कि गांधी को अहिंसा के जरिए स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई की प्रेरणा गोखले से ही मिली थी। गोखले की प्रेरणा से ही गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ आंदोलन चलाया।
सन 1912 में गांधी के आमंत्रण पर वह खुद भी दक्षिण अफ्रीका गए और वहां जारी रंगभेद की निन्दा की।
जन नेता कहे जाने वाले गोखले नरमपंथी सुधारवादी थे। उन्होंने आजादी की लड़ाई के साथ ही देश में व्याप्त छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ आंदोलन चलाया। वह जीवनभर हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए काम करते रहे।
मोहम्मद अली जिन्ना ने भी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु माना था।
यह बात अलग है कि बाद में जिन्ना गोखले के आदर्शों पर कायम नहीं रह पाए और देश के बंटवारे के नाम पर भारी खूनखराबा कराया।
गोखले पुणे के फरगुसन कालेज के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उन्होंने इस कालेज में अध्यापन कार्य के साथ ही आजादी के लिए राजनीतिक गतिविधियां भी जारी रखीं।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और सर्वेंट्स सोसायटी आफ इंडिया के सम्मानित सदस्य गोखले का 19 फरवरी 1915 को निधन हो गया लेकिन उनके शिष्य मोहनदास करमचंद गांधी ने उनके सपनों और अधूरे कामों को पूरा कर दिखाया।
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