B'day Spl: जब जीनत अमान के प्यार में पड़ गए थे देव आनंद, एक्ट्रेस को राज ...
दिवंगत एक्टर देव आनंद ना सिर्फ पर्दे पर रोमांटिक रोल निभाते थे बल्कि वो रियल लाइफ में भी काफी रोमांटिक इंसान थे। अपनी लव लाइफ के बारे में एक्टर ने अपनी किताब में खुलकर बात की है।
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छह दशक तक दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले सदाबहार अभिनेता देवानंद के जन्मदिन पर हम आपको बताते हैं उनकी जिंदगी के जुड़ी कुछ बातें।
कहा जाता है कि देव आनंद अपने जीवन में तीन महिलाओं से बेहद प्यार करते थे - उनका पहला प्यार थी सुरैया, जिन्हें वे बेहत पसंद करते थे, इसके बाद उनकी बीवी कल्पना कार्तिक और फिर बॉलीवुड की बोल्ड स्टार जीनत अमान।
जब देवानंद ने 40 के दशक में खूबसूरत अदाकार सुरैया के साथ फिल्मों में एक साथ काम किया तो कहा जाता था कि वे एक-दूसरे से प्यार कर बैठे थे। दोनों के अलग-अलग धर्म होने के कारण सुरैया की नानी ने शुरू से ही इस रिश्ते का विरोध किया था। इस विरोध की वजह से दोनों का रिश्ता ज्यादा नहीं चल पाया। नानी के दबाव के कारण सुरैया ने अपना रिश्ता खत्म कर दिया। वो 74 साल की उम्र में अपनी मौत तक अविवाहित रहीं। इस बात का जिक्र देव आनंद ने अपनी बायोग्राफी 'रोमांसिंग विद लाइफ' में किया था।
सुरैया से अलग होने के कुछ समय बाद देव आनंद को एक अन्य को-स्टार से प्यार हो गया। उनकी 'बाजी' की को-एक्ट्रेस कल्पना कार्तिक तीन साल में ही शादी कर ली। उनकी शादी 1954 में हुई और उनके बेटे सुनील आनंद और बेटी देविना भी हुए।
इसके बाद सदाबहार हीरो देवानंद की जिंदगी में बॉलीवुड की वोल्ड एक्ट्रेस जीनत अमान ने प्यार की लौ जगाई। वह महसूस करने लगे थे कि वह जीनत अमान से प्रेम करने लगे हैं। बताया जाता है कि जीनत को फिल्मों में लाने का श्रेय देवानंद को ही जाता है।
साल 1971 में अपनी फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ की कामयाबी के बाद सदाबहार हीरो देवानंद महसूस करने लगे थे कि वह अपनी खोज और इस फिल्म की नायिका जीनत अमान से प्रेम करने लगे हैं।
एक्ट्रेस जीनत के प्रति अपनी भावना का इजहार करते हुए देवानंद ने अपनी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विथ लाइफ’ में लिखा है कि फिल्म की कामयाबी के बाद जब अखबारों और पत्रिकाओं में उनके रोमांटिक संबंधों के बारे में लिखा जाने लगा तो उन्हें अच्छा लगने लगा था।
उन्होंने अपने प्रेम की घोषणा करीब-करीब कर ही दी थी लेकिन जब उन्होंने जीनत को राज कपूर के करीब देखा तो वो पीछे हट गए। राज कपूर अपनी फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ में जीनत को नायिका बनाना चाहते थे।
साल 2007 में प्रकाशित इस पुस्तक में देवानंद ने लिखा है, कहीं भी और कभी भी जब जीनत के बारे में चर्चा होती तो मुझे अच्छा लगता। उसी प्रकार मेरी चर्चा होने पर वह खुश होती. अवचेतन अवस्था में हम दोनों एक दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़ गए थे।
देवानंद ने स्वीकार किया कि उन्हें उस समय ईर्ष्या हुई जब उनकी अगली फिल्म ‘इश्क इश्क इश्क’ के प्रीमियर पर राज कपूर ने लोगों के सामने सार्वजनिक रूप से जीनत को चूम लिया।उन्होंने महसूस किया कि वह जीनत से प्रेम करने लगे थे और मुंबई के दि ताज में एक रोमांटिक भेंट के दौरान इसकी घोषणा करना चाहते थे।
देवानंद ने लिखा है, अचानक, एक दिन मैंने महसूस किया कि मैं जीनत से प्रेम करने लगा हूं और इसे उन्हें बताना चाहता था। इसके लिए उन्होंने होटल ताज को चुना था जहां वे दोनों एक बार पहले भी साथ-साथ खाना खा चुके थे।
उन्होंने लिखा कि पार्टी में कुछ देर ठहरने के बाद जीनत के साथ भेंट स्थल पर जाने की व्यवस्था कर ली थी. लेकिन पार्टी में ‘नशे में राज कपूर ने अपनी बांहें फैला दी। जीनत ने भी जवाबी प्रतिक्रिया व्यक्त की।’ देवानंद को संदेह था कि इसमें कुछ तो है। उन्होंने याद किया कि उन दिनों अफवाह थी कि जीनत ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ की नायिका की भूमिका के लिए स्क्रीन टेस्ट की खातिर राजकपूर के स्टूडियो गयी थी। उन्होंने लिखा, ‘अफवाहें सच होने लगी थीं. मेरा मन दुखी हो गया था।
देव आनंद ने 1950 के दशक में हिंदी सिनेमा के शीर्ष तीन नायकों में शामिल अपने साथी दिलीप कुमार और राज कपूर को पीछे छोड़ दिया। दिलीप कुमार और राज कपूर उम्र में एक साल के छोटे बड़े थे। इन्होंने लगभग 70-70 फिल्में कीं, जबकि देव आनंद ने 120 फिल्मों में काम किया।
देव आनंद की फिल्में जिन्होंने उन्हें डिफाइन किया उनमें हम एक हैं (1946), अफसर (1950), बाजी (1951), इंसानियत (1955), सोलवा साल (1958), गेटवे ऑफ इंडिया (1957), काला पानी (1958), हम दोनों (1961), माया (1961), तीन देवियां (1965), दुनिया (1968), प्रेम पुजारी (1970), तेरे मेरे सपने (1971) और मनपसंद (1980) आदि हैं।
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