बीहड़ में बागी होते हैं,डकैत मिलते हैं पार्लियामेंट में
इरफान खान ने फिल्म 'पान सिंह तोमर' में संसद का अपमान कर बवाल को न्यौता दे दिया है.
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निर्देशक तिग्मांशु धूलिया की फिल्म पान सिंह तोमर में इरफान खान एक बागी डाकू की भूमिका निभा रहें है...इसी में उनका एक डॉयलाग है जिसमें उन्होंने कहा कि 'बीहड़ में बागी होते हैं,डकैत मिलते है पार्लियामेंट में'.
अभी हाल ही में यही शब्द आवेश में आकर अन्ना टीम के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल ने भी कह डाले थे जिस पर अच्छा खासा बवाल हुआ था.
उन्होंने कहा था संसद में चोर-लुटेरे बैठे हैं और उनसे उन्हें कोई उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि संसद में बलात्कारी लुटेरे और हत्यारें हैं तो देश का भला कैसे होगा. उन्होंने यहां तक कह डाला कि संसद ही देश की समस्या है और उसे बदलने की जरुरत है.
उनके इस बयान पर केजरीवाल की काफी आलोचना हुई थी अब यही शब्द हमें फिल्म पान सिंह में भी सुनने को फिल्म रहें है जिसमें संसद का अपमान किया गया है, जो कि बवाल का कारण बन सकता है.
बहरहाल लोग अब इस डॉयलाग को किस तरह से लेंगे यह जल्द ही पता चल जाएगा.
पान सिंह तोमर भारतीय खेलों की त्रासदी को व्यक्त करती है. यह न खेल पर आधारित फिल्म है न कि डकैती पर.
बल्कि अगर यह कहा जाए कि ये हालातों के हाथों मजबूर एक बागी की कहानी है तो गलत नहीं होगा.
अभिनेता इरफान खान फिल्म के मुख्य किरदार में नजर आएंगे और इनके साथ माही गिल और विपिन शर्मा भी फिल्म में अभिनय करते हुए नजर आएंगे.
इस फिल्म को बनाने के लिए निर्देशक तिग्मांशु ने एक लंबे समय का इंतजार किया और काफी रिसर्च के बाद इस फिल्म को बनाने का निणर्य किया ताकि सही तथ्यों के साथ ही दर्शकों को इसे समझने में आसानी हो.
यह फिल्म मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर से ताल्लुक रखने वाले पान सिंह तोमर के इर्द-गिर्द घूमती है. उन्होंने राष्ट्रीय खेलों में लगातार सात साल तक बाधा दौड़ में विजय हासिल की और अगले एक दशक तक कोई भी उनके रिकॉर्ड को नहीं तोड़ सका.
खेलों से वापसी पर तोमर अपने गृह नगर लौट जाते हैं और एक सामाजिक अन्याय का शिकार होने के बाद चंबल घाटी में एक डाकू बन जाते हैं.
वह एक पुलिस मुठभेड़ में मारे जाते हैं और फिल्म बताती है कि एक एथलीट के जीवन का अंत किस तरह होता है.
इरफान ने इस फिल्म में अपने वास्तविक चरित्र को जानने के लिए न सिर्फ ‘स्टिपल रेस’ का बाकायदा प्रशिक्षण लिया बल्कि उन्होंने पान सिंह के करीबी दोस्तों, प्रशिक्षकों और उन पत्रकारों से भी मुलाकात की जो खिलाड़ी पान सिंह की कवरेज किया करते थे.
जिस पुलिस मुठभेड़ में पान सिंह मारे गये थे उसमें उनका एक भतीजा बलवंता जीवित बच गया था जो अब भी जिंदा है.
इरफान ने उसके बारे में भी पूरी जानकारी प्राप्त की ताकि वह अपने चरित्र में गहराई से डूब सकें.
इरफान ने कहा, ‘मेरे लिए यह एक महत्वपूर्ण फिल्म थी जिसमें एक वास्तविक चरित्र को पर्दे पर साकार करने और उस चरित्र के साथ पूरी तरह न्याय
करने के लिए उसकी जटिलताओं को समझना मेरे लिए काफी जरूरी था.
संभवत: यही कारण है कि मैं अपने प्रयासों की सफलता को जानने के लिए उस समय के डाकुओं से उनकी प्रतिक्रिया जानना चाहूंगा.’
उल्लेखनीय है कि इरफान की हॉलीवुड की पारी भी परवान चढ़ती जा रही है और उनकी ताजा फिल्म ‘स्पाइडरमैन रिबूट’ भी जुलाई में रिलीज होने जा रही है.
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