अमेरिका-भारत संबंध : साझेदारी हुई मजबूत

Last Updated 19 Feb 2025 01:14:56 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा पर संपूर्ण विश्व की दृष्टि थी। दूसरे कार्यकाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस्रइली प्रधानमंत्री, जापानी प्रधानमंत्री और जॉर्डन के राजा के बाद प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित किया था।


अमेरिका-भारत संबंध : साझेदारी हुई मजबूत

मोदी ऐसे चौथे वैश्विक नेता है जिनकी ट्रंप और उनके प्रशासन के साथ विस्तृत बातचीत हुई, समझौते हुए तथा इससे भविष्य के संबंधों का संकेत मिला। टैरिफ यानी सीमा शुल्क को लेकर ट्रंप का रवैया पहले जैसा ही कठोर है। 

उन्होंने घोषणा किया हुआ है कि रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जो देश उनकी सामग्रियों पर जितना शुल्क लगाता है उतना ही लगाएंगे। उन्होंने अमेरिका के पुराने मित्र और साझेदारों जापान तथा यूरोपीय संघ को भी नहीं बक्शा है। वह केवल भारत को अलग से रियायत देंगे यह मानकर नहीं चलना चाहिए। भारत का नाम लेते हुए उन्होंने कहा था कि वहां शुल्क इतना ज्यादा है कि व्यापार करना कठिन है। संयुक्त पत्रकार वार्ता में भी उन्होंने कहा कि हम 45 अरब डॉलर के भारत से व्यापार घाटे को कम करने की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के अनुचित और बहुत कड़े टैरिफ को घटाने की घोषणा की है, जो भारतीय बाजार में अमेरिकी पहुंच को कम करते हैं। और मैं कहना चाहूंगा कि यह बहुत बड़ी समस्या है। ट्रंप पहले कार्यक्रम में भी इस पर कठोर रहे हैं लेकिन भारत के विरु द्ध शुल्क वाली दंडात्मक कार्रवाई नहीं की।

भारत को द्विपक्षीय व्यापार में सर्वाधिक लाभ अमेरिका के साथ है और वे शुल्क बढ़ाते हैं तो भारतीय सामग्रियों के लिए अमेरिकी बाजार में स्थान बनाना कठिन होगा। हमारा निर्यात घट सकता है और यह अर्थव्यवस्था की दृष्टि से चिंताजनक होगा। किंतु अब केवल अमेरिका नहीं संपूर्ण विश्व को उसके साथ संबंधों के पुनर्सयोजन की आवश्यकता उत्पन्न हो गई है। सत्ता संभालने के साथ ही ट्रंप लगातार आक्रामक होकर अपनी दृष्टि से अमेरिकी हित के संदर्भ में कदम उठा रहे हैं और उनसे अन्य देशों को परेशानी हुई है। हम यह मानकर नहीं चलें कि प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से भारत और विश्व की दृष्टि से सकारात्मक उपलब्धियां नहीं हुई है। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में जिस तरीके से मोदी का स्वागत किया वैसा पूर्व के तीन नेताओं का नहीं हुआ। ट्रंप ने कहा भी कि मुझे आपकी कमी यहां महसूस हो रही थी। जहां तक प्रतिक्रियात्मक शुक्ल का प्रश्न है तो ऐसा लगता नहीं कि अमेरिकी प्रशासन ने अभी तक उसका सही आकलन और रूपरेखा निर्धारित किया है। माना जा सकता है कि हमारे पास अपने हितों को सुरक्षित रखने का रास्ता खत्म नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त प्रेस वार्ता मुक्त व्यापार समझौते पर जल्दी पहुंचने की बात की और इसी वर्ष पूरा होने का संकेत दिया। वर्तमान में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार 129.2 अरब डॉलर है, 2030 तक इसे 500 अरब डॉलर तक ले जाने का संकल्प मोदी ने व्यक्त किया। ट्रंप ने भारत का नंबर एक तेल और गैस आपूर्तिकर्ता देश बनने पर मोदी के साथ बातचीत की चर्चा की। इस तरह भारत ने रास्ता निकाला है। 

संभवत: उन्हें बताया है कि आप शुल्क लगाकर अपना नुकसान पहुंचाएंगे क्योंकि हम बड़े खरीदार हैं। जैसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी कि साझा उत्पादन, तकनीक आदि के मामले में हम रक्षा साझेदार हैं और सबसे बड़ी बात कि गैस और तेल हम आपसे खरीदेंगे। इसमें समस्या भी नहीं है। कहीं से हमको लेना है तो सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार और लाभ वाले ऐसे देश से, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक समस्याओं से निपटने में सहयोग कर सकता है उससे खरीदने मे समस्या नहीं है। हमारी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी तथा हाइड्रोकार्बन खरीद में विविधता बढ़ेगा, कुछ देशों पर निर्भरता में कमी आएगी। आर्टििफशियल इंटेलिजेंस जैसे नये उभर रहे क्षेत्र में सहयोग द्विपक्षीय एवं वैश्विक व्यवस्था की दृष्टि से हमारे लिए लाभकारी है। एक महत्त्वपूर्ण बात भारत मध्य पूर्व यूरोपीय आर्थिक गलियारा पर अमेरिका की हरी झंडी है। यह हमारे लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इससे ईरान स्थित चाबाहार बंदरगाह सुरक्षित हो सकता है। अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, लेकिन चाबहार उन्होंने विदेश मंत्री मार्क रु बियो पर छोड़ दिया है। यह मार्ग चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का प्रत्युत्तर है। इससे हमारे दूरगामी व्यापारिक एवं सामरिक हित सधने वाले हैं। बोस्टन ओर लॉस एंजेलिस में दो नये दूतावास खोलने की घोषणा महत्त्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि अमेरिका में भारत की राजनयिक, आर्थिक और दोनों देशों के नागरिकों के बीच अंतर्सवाद का काफी विस्तार हुआ है।

प्रधानमंत्री मोदी ने प्रमुख अधिकारियों और नेताओं से भी मुलाकात की जिनमें अमेरिकी खुफिया सेवाओं की निदेशक तुलसी गबार्ड, अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज एवं डिपार्टमेंट आफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी के प्रमुख एलन मस्क शामिल हैं। इन सबका असर सुरक्षा एवं अन्य मामलों में आने वाले समय में धीरे-धीरे दिखाई देगा। रूस-यूक्रेन के बीच तनाव घटाने पर ट्रंप सक्रिय हैं और इसमें हमारा भी हित है क्योंकि रूस पर लगे प्रतिबंधों से समस्याएं बढ़ी हुई हैं। हिन्द-प्रशांत में हिन्द महासागर पहल की घोषणा महत्त्वपूर्ण है। ट्रंप स्वतंत्र एवं मुक्त हिन्द प्रशासन क्षेत्र की बात करते हुए कहते रहे हैं कि भारत क्षेत्र की महाशक्तिहै और भारत की साझेदारी को हमेशा महत्त्व दिया है। भारत की सुरक्षा की दृष्टि से इस यात्रा की दो महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां है। संयुक्त वक्तव्य में सीमा पार आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान का स्पष्ट नाम लिया गया है तथा 2008 के मुंबई हमले के अपराधियों को सजा देने की भी मांग है।
प्रधानमंत्री की यात्रा की पूरी तैयारी कर कर जाते हैं और इसमें उनकी भाषा और शब्दचयन भी शामिल है। उन्होंने संयुक्त पत्रकार वार्ता में ट्रंप की ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ यानी ‘मागा’ की चर्चा करते हुए कहा कि मैं इस नाते उनका प्रशंसक हूं। उसी तरह भारत को 2047 तक विकसित बनाने के लिए मैं भी ‘मेक इंडिया ग्रेट अगेन’ पर काम कर रहा हूं। इस यात्रा के बाद आर्थिक ,सामरिक एवं रणनीतिक संबंध व साझेदारी पर बनी व्यापक सहमति से पता चलता है कि भविष्य की दृष्टि से दोनों नेताओं ने संबंधों को सही दिशा और आकार देने की पहल की है और इसके अच्छे परिणाम आएंगे।
(लेख में विचार निजी हैं)

अवधेश कुमार


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