नौ सेना दिवस : भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत

Last Updated 04 Dec 2024 12:53:02 PM IST

पाकिस्तान व चीन की रक्षा तैयारियों को देखते हुए भारतीय नौसेना को अत्यन्त आक्रामक बनाया जा रहा है। हिन्द महासागर क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए नौसेना का फोकस रणनीतिक रूप से चीन की बढ़ती मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए है।


नौ सेना दिवस : भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत

इसलिए भारतीय नौसेना अपनी ताकत बढ़ाने की तैयारी कर रही है जिससे वह आने वाले दिनों में और अधिक ताकतवर हो जाए।

समंदर में भारत की ताकत बढ़ाने के लिए नौसेना को इस माह के अंत तक एक नया गाइडेड मिसाइल युद्धपोत प्राप्त हो जाएगा।

रूस द्धारा तैयार किए गए दो युद्धपोतों में से आईएनएस तुषील पहला है। रूस-यूक्रेन युद्ध के लंबा खिंचने के कारण आने में देरी हो गई। इसी युद्ध के चलते एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम और परमाणु पनडुब्बी के मिलने में भी देरी होने की संभावना है। आईएनएस तुषील युद्धपोत ब्रहमोस मिसाइलों सहित अत्याधुनिक हथियारों से लैस होगा। तुषील के मिलने के बाद अगले वर्ष आईएनएस तमल गाइडेड मिसाइल युद्धपोत मिल जाएगा। इन दोनों पोतों के मिलने से भारतीय नौसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी।

उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग सैन्य तकनीकी सहयोग की बैठक के लिए इसी माह रूस का दौरा करने वाले है। इन गाइडेड मिसाइल युद्धपोतों में ब्रहमोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों सहित अत्याधुनिक घातक हथियार तथा सैन्य अभियानों को अंजाम देने के लिए सेंसर लगाए गए हैं। तुषील गाइडेड मिसाइल युद्धपोत इलेक्ट्रॉनिक युद्धकला से सुसज्जित है। इसमें एंटी सबमरीन रॉकेट और तारपीडो लगाए गए है। इसकी लंबाई लगभग 129 मीटर है।

इसकी स्पीड 30 नॉटिकल मील प्रति घंटा है। तुषील का वजन 3600 टन से ज्यादा है। इसमें 180 नौसैनिक यात्रा कर सकते हैं। भारत और रूस के बीच वर्ष 2016 में चार तलवार क्लास के स्टील्थ फ्रिगेट बनाने के समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। इसमें से दो रूस में और दो भारत में बनाए जाने थे। भारत में बनने वाला विशाखपट्टनम क्लास का चौथा गाइडेड मिसाइल युद्धपोत शीघ्र ही मिलने की उम्मीद है। यह 7400 टन वजन वाला है। इसमें लगी ब्रहमोस मिसाइलें लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम हैं।

इसी वर्ष नीलगिरि फ्रिगेट भी नौसेना को मिलने वाला है। इसका वजन 6670 टन है और इसमें आठ ब्रहमोस मिसाइलें लगी हैं। विदित हो कि भारतीय नौसेना वर्ष 2003 तलवार क्लास के जंगी जहाज शामिल हो रहे हैं। वर्तमान में इस श्रेणी के छह स्टील्थ फ्रिगेट्स नौसेना के बेड़े का हिस्सा हैं। इनमें से चार को ब्रहमोस मिसाइलों से लैस कर दिया गया है और दो पर काम चल रहा है। इन युद्धपोतों के नौसेना में शामिल होने से भारत की समुद्री ताकत काफी बढ़ जाएगी। भारतीय नौसेना ने 27 नवम्बर 2024 के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। नौसेना ने यह परीक्षण परमाणु पनडुब्बी अरिघात से किया। इस पनडुब्बी को 2017 में लॉन्च किया गया था।

अब इसका अपग्रेड वर्जन जल्द ही कमीशन किया जाना है। परमाणु पनडुब्बी अरिघात आईएनएस अरिहंत का अपग्रेडेड वर्जन है। इस पनडुब्बी को विषाखापट्टनम में नौसेना के शिप बिल्डिंग सेंटर में निर्मिंत किया गया था। अब अरिहंत की तुलना में 6000 टन वजन वाली अरिघात के नये वर्जन को के-4 मिसाइलों से लैस किया जाएगा। इस परीक्षण में के-4 मिसाइल अपने सभी तय मानकों पर खरी उतरी। पनडुब्बी से इस मिसाइल का यह पहला परीक्षण था।

वर्ष 2010 में इसका सबसे पहले परीक्षण किया गया था। तबसे अब तक इसके कई परीक्षण किए जा चुके हैं। यह मिसाइल 10 मीटर लंबी और 20 टन वजन वाली है। यह एक टन वजन का पेलोड ले जाने में सक्षम है। के-4 मिसाइलों की मारक दूरी 3500 किलोमीटर तक है। इसलिए बंगाल की खाड़ी में जब इन मिसाइलों को तैनात किया जाएगा तो ये मिसाइलें चीन के मेनलैंड तथा दक्षिण व पश्चिमी इलाके तक के क्षेत्र को अपने निशाने पर ले लेंगी। यही नहीं अपनी मारक क्षमता के तहत ये चीन राजधानी बीजिंग को भी निषाने पर ले सकती हैं। अरिघात 50 दिन से ज्यादा पानी के अंदर रह सकती है। इसलिए यह चीन के जासूसी जहाजों की नजरों से बचकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सकती है।

अगर पाकिस्तान से मुकाबले की बात आती है तो अरिघात में तैनात होने पर ये इस्लामाबाद को भी नेस्तनाबूद कर सकती हैं। गौरतलब है कि भारत के पास पनडुब्बी से दागी जाने वाली मिसाइलों में कम दूरी की मारक क्षमता वाली के-15 मिसाइलें हैं। ये मिसाइलें 750 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम हैं। पनडुब्बी आईएनएस अरिहन्त में ये मिसाइलें तैनात हैं। इसके अलावा भारत के पास भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) इंटर कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल के-5 पर काम कर रहा है। उम्मीद है कि इसकी मारक दूरी 5000 किलोमीटर से भी ज्यादा होगी। इन सभी की तुलना में के-4 मिसाइलें ज्यादा सटीक, बेहतर एवं आसानी से ऑपरेट होती हैं। अमेरिका से खरीदे गए एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टर शक्तिशाली पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं के साथ इस पोत पर तैनात रहेंगे। इन सभी के मिलने के बाद भारतीय नौसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी।

लक्ष्मी शंकर यादव


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