मुद्दा : वैश्विक मंच पर योग की प्रामाणिकता

Last Updated 28 Oct 2024 01:09:09 PM IST

वैश्विक पटल पर हजारों साल की योग विरासत की सार्थकता सिद्ध हो रही है। योग के चमत्कारों को अब वैज्ञानिक प्रामाणिकता भी मिल रही है। यही कारण है कि आज अमेरिका, यूरोप और चीन में योग पर बड़े-बड़े शोध किए जा रहे हैं।


मुद्दा : वैश्विक मंच पर योग की प्रामाणिकता

नोबेल पुरस्कार प्राप्त अमेरिका के एक न्यूरो सर्जन ने माना है कि योग और प्राणायाम मानसिक रोगों के उपचार में अत्यधिक प्रभावी हैं।

योग निद्रा, जो ध्यान की एक प्राचीन भारतीय शैली है, को भी आधुनिक विज्ञान में महत्त्व दिया जा रहा है। यह शब्द ‘योग’ और ‘निद्रा’ से मिल कर बना है, जहां योग का अर्थ है मिलन या एकाग्रता, और निद्रा का अर्थ है गहरी नींद। योग निद्रा में हम सचेतन विश्राम की ध्यानावस्था में प्रवेश करते हैं, जो हमें सहज ज्ञान, रचनात्मकता, और शरीर में नवीन ऊर्जा को संरक्षित करने में सहायक होती है। आज के समय में यह तकनीक व्यस्त जीवन शैली के लिए एक प्रभावी समाधान के रूप में उभर रही है।

विश्व भर में योग का एक बड़ा बाजार विकसित हो चुका है, जिससे अरबों का कारोबार हो रहा है, लेकिन भारत में योग के प्रति सच्ची दीवानगी और उत्साह की कमी नजर आती है। जहां योग को भारत भूमि में की देन माना जाता है, लेकिन इस प्रकार भारतीयों का अधिकांश: इस विधा से उदासीन होना दुर्भाग्यपूर्ण है। स्थिति यह है कि तमाम शोधों और अध्ययनों को भी ज्यादातर अनदेखा किया जाता है। जरूरी है कि योग-विषयक अध्ययनों पर ध्यान केंद्रित करके योग के प्रोत्साहन की तरफ बढ़ा जाए।

हाल ही में आईआईटी और दिल्ली एम्स द्वारा एमआरआई के जरिए किए गए एक अध्ययन में पुष्टि हुई है कि योग निद्रा से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है, इसके साथ ही यह मन के भटकाव को रोक कर नींद को नियंत्रित भी करती है। दरअसल, योग निद्रा सोने और जागने के बीच की एक सचेतन अवस्था है, जिसका उपयोग प्राचीन काल से योगी ध्यान-मनन के लिए करते रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग निद्रा की उपयोगिता निर्विवाद रही है। इस शोध ने यह भी सिद्ध किया है कि योग निद्रा से गहरे विश्राम और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

नियमित योग और ध्यान करने वाले व्यक्तियों में नींद को नियंत्रित करने की क्षमता सामान्य व्यक्तियों की तुलना में अधिक होती है। एक हालिया शोध के अनुसार, मानसिक रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए योग निद्रा रामबाण दवा के समान है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में व्यावसायिक तनाव को कम करने के लिए योग निद्रा पर जोर दिया जा रहा है। दिल्ली में हुए शोध में यह भी पाया गया है कि योग निद्रा के माध्यम से चेतना के उच्च स्तर को प्राप्त किया जा सकता है। इसके जरिए अवचेतन मन में दबे हुए तनाव और कुंठाओं को मानसिक सतह पर लाकर उनसे छुटकारा पाया जा सकता है, जिससे व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक सेहत में सुधार होता है।

आज के समय में जब लोग अत्यधिक सोचने की आदत से जूझ रहे हैं, उस पर आज की स्थितियां भी कम तनावपूर्ण नहीं हैं, इसलिए योग निद्रा को संबल बना कर मन के भटकाव को रोका जा सकता है। इस नुकसान को रोकने में योग निद्रा सहायक हो सकती है। शोध के अनुसार, कुछ मिनटों की योग निद्रा कई घंटों की सामान्य नींद के बराबर मानसिक शांति प्रदान करती है। व्यक्ति धीरे-धीरे योग निद्रा की अवधि बढ़ा कर मानसिक रोगों से निजात पा सकता है बशर्ते उसे किसी अनुभवी योगी से सीख कर किया जाए। हमारे शरीर में कई शारीरिक और मानसिक समस्याएं अज्ञानता के कारण उत्पन्न होती हैं। शरीर और इसके विभिन्न अंगों के बारे में जानकारी के अभाव के कारण जीवन में कई कठिनाइयां उत्पन्न होती हैं।  

वैज्ञानिक शोध के अनुसार, हमारे मस्तिष्क में ‘अनिमल ब्रेन’ होता है, जो हिंसक और नकारात्मक भावनाओं का कारण बनता है। इसे संतुलित करने का एकमात्र तरीका योग है। शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति के लिए योग से बढ़ कर कुछ नहीं है। लेकिन आधुनिक जीवन शैली में हम योग और आध्यात्मिकता से दूर होते जा रहे हैं। स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है, ‘निर्मल हृदय ही सत्य के प्रतिबिंब के लिए सर्वोत्तम दर्पण है। सारी साधना हृदय को निर्मल करने के लिए ही है। जब मन निर्मल हो जाता है, तो सारे सत्य उसी क्षण उसमें प्रतिबिंबित हो जाते हैं।’ आज दुनिया में युद्ध, आतंकवाद, हिंसा और सांप्रदायिक दंगे पनप रहे हैं, और इसका सबसे बड़ा कारण योग की कमी है। योग और आध्यात्मिकता ही वैश्विक शांति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

सोनम लववंशी


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