United Nations Day 2024 : सुस्त-पक्षपाती होता संयुक्त राष्ट्र संघ

Last Updated 24 Oct 2024 12:31:57 PM IST

दुनिया भर में संघर्ष और तनावों के बीच संवादहीनता खत्म करने और विश्व शांति के उद्देश्य के साथ 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई थी। मगर आज की परिस्थितियों में यह उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा।


यूएन दिवस : सुस्त-पक्षपाती होता संयुक्त राष्ट्र संघ

असलियत तो यह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ बेजान संगठन बन रह गया है। उस पर महज चंद देशों का कब्जा हो गया है। खास तौर पर सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों ने अपने वीटो पावर की वजह से संयुक्त राष्ट्र संघ को खिलौना बना कर रख दिया है।

अमेरिका, चीन, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस  का प्रभुत्व ही सब कुछ हो गया है। यूक्रेन-रूस का घमासान जारी है, इजरायल, सीरिया, ईरान, फिलिस्तीन दुनिया भर को विश्व युद्ध के कगार पर ले जाते दिखाई दे रहे हैं।

फ्रांस, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, चीन जैसे देश अपने हथियार बेचने के पत्ते चल रहे हैं यानी फिर से दुनिया के सामने करीब-करीब 1939 से 45 वाले हालात ही हैं। भारत, पाकिस्तान और चीन के विवादों में भी उसकी भूमिका अपंग संस्था जैसी रही है।

प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि आखिरकार, संयुक्त राष्ट्र संघ की जरूरत ही क्या है? भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सही ही कहा था पिछले दिनों कि आखिर, भारत कब तक संयुक्त राष्ट्र संघ में वाजिब हिस्सेदारी के लिए प्रतीक्षा करे।

आज भारत एशिया ही नहीं, दुनिया के प्रभावशाली देशों में शुमार है, उसकी जनसंख्या कमजोरी नहीं, ताकत बन चुकी है। अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है। स्थाई सुरक्षा परिषद की सदस्यता पर उसका दावा सही और समय के अनुकूल है पर संयुक्त राष्ट्र संघ पर हावी देश उसके हक को दबाए बैठे हैं।

तब भारत क्यों न संयुक्त राष्ट्र संघ से अलग कुछ सोचे? पर भारत ने ऐसा सोचा और किया तब तो संयुक्त राष्ट्र संघ मुर्दा संगठन ही बन कर रह जाएगा। बेहतर हो कि संयुक्त राष्ट्र संघ भारत की भूमिका बढ़ाने के बारे में तत्परता से सोचे। सोचे ही नहीं अपितु उस पर अमल भी करे।

संयुक्त राष्ट्र संघ के समक्ष वर्तमान ज्वलंत प्रश्नों के साथ उसके स्थापना दिवस पर उसके इतिहास, दायित्वों, कार्यों और उपलब्धियों तथा सफलताओं-विफलताओं पर भी नजर डालना समीचीन होगा आज।

द्वितीय विश्व युद्ध के विजेता देशों ने मिल कर संयुक्त राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय संघर्ष की स्थिति में विवादों और युद्ध की समाप्ति के लिए हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से और भविष्य में द्वितीय विश्व युद्ध की तरह के युद्ध रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद के रूप में शक्तिशाली देशों अमेरिका, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन को शामिल किया।

वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ में 194 देश सदस्य हैं, और आम सभा, सुरक्षा परिषद, यूनिसेफ, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, सचिवालय और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय इसके मुख्य अंग हैं।

राष्ट्र संघ के विफल होने पर द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ का विचार उभरा और 24 अप्रैल, 1945 को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की संयुक्त बैठक राष्ट्र सम्मेलन हुई और 40 उपस्थित देशों ने संयुक्त राष्ट्रीय संविधान पर हस्ताक्षर किए और 24 अक्टूबर, 1945 को 50 देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय अमेरिका के न्यूयॉर्क बना। दूसरी अहम संस्थाएं जेनेवा, कोपनहेगन आदि में हैं।  

जिस समय संयुक्त राष्ट्र बना था, उस समय सभी राष्ट्र एक दूसरे के घोर विरोधी थे। दो देश आपस में तभी जुड़ते थे, जब उनका हित होता था। हित पूर्ति होते ही अलग होकर एक दूसरे से लड़ने लगते थे। इसी कारण दो भीषण विश्व युद्ध हुए।

उस समय के पांच मजबूत देशों को वीटो पावर दिया गया ताकि वे सभी से सहयोग कर सकें। अगर किसी एक ने वीटो पावर का प्रयोग कर दिया तो वह आम राय नहीं मानी जाती और संयुक्त राष्ट्र वह कार्य नहीं कर पाता है। मगर इस ताकत का अनेक बार बेजा इस्तेमाल हुआ है। भारत को सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य न बनने देने के लिए चीन अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल करता रहा है।

चूंकि संयुक्त राष्ट्र संघ के पास अपनी कोई सेना या बल नहीं है, तो उसे किसी भी कार्रवाई के लिए सदस्यों देशों पर ही निर्भर करना पड़ता है और इसी वजह से संयुक्त राष्ट्र संघ में ताकतवर देश मनमानी करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र का उद्देश्य है-एक भी बच्चा भूखा-अनपढ़ न रहे, सभी को उचित भोजन-शिक्षा मिले। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा पर भी भारी  खर्च कर रहा है। बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए समय-समय पर युनिसेफ कार्यक्रम कराता है ताकि उन्हें उचित प्रोत्साहन मिले और वे मन लगा कर अपने कार्यों को पूरा कर सकें।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में भारत ने हर क्षेत्र में उत्साह और नवाचार का माहौल तैयार किया है पर सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का मामला अभी भी अधर में है। इस दिशा में भारत को आगे आकर काम करना होगा ताकि संयुक्त राष्ट्र संघ में एक संतुलन स्थापित हो सके। 

डॉ. घनश्याम बादल


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment