भारत-आसियान : मित्रता बेहद अहम

Last Updated 17 Oct 2024 12:10:01 PM IST

21वां भारत-आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन) (21st asean india summit) के सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि उन्होंने 10 वर्ष पूर्व ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ की घोषणा की थी, और विगत दशक में इसने भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को नई ऊर्जा, उमंग और उत्साह के साथ ही दिशा और गति भी दी है।


भारत-आसियान : मित्रता बेहद अहम

ऐसे समय में जब विश्व के अनेक हिस्से संघर्ष एवं तनाव का सामना कर रहे हैं, तब भारत और आसियान मित्रता बेहद अहम है। ऐतिहासिक दृष्टि से आसियान का प्रभाव इसके अपने सदस्यों के बीच भी सीमित रहा है, लेकिन इस क्षेत्र के साथ जुड़ने की इच्छुक महाशक्तियों के बीच अक्सर संवाद के लिए मंच के रूप में अनवरत कार्य करता रहा है।

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा,‘हम शांतिप्रिय देश हैं, एक दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता एवं संप्रभुता का सम्मान करते हैं, और अपने युवाओं के उज्जवल भविष्य के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। मेरा मानना है कि 21वीं सदी भारत और आसियान देशों की सदी है।’ विगत दस वर्षो में भारत-आसियान व्यापार दोगुना होकर 130 मिलियन डॉलर से अधिक हो गया है, और आसियान भारत के सबसे बड़े व्यापार एवं निवेश साझेदारों में से एक है, जिसकी अब 7 आसियान देशों के साथ सीधी उड़ान कनेक्टिविटी है।

हिन्द-प्रशांत पर आसियान आउटलुक के संदर्भ में क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने पर उन्होंने बल दिया। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन एक क्षेत्रीय संगठन है, जो एशिया प्रशांत के उपनिवेशी राष्ट्रों के बीच बढ़ते तनाव के बीच राजनीतिक एवं सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था। इसका आदर्श वाक्य ‘वन विजन, वन आइडेंटिटी, वन कम्युनिटी’ है। सदस्य देशों में इंडोनेशिया, मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और  कंबोडिया हैं।

वास्तव में भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ क्या है, इसका उल्लेख करना भी  आवश्यक है। नवम्बर 2014 में घोषित ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ का अपग्रेड है। इसका प्रमुख उद्देश्य आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और सक्रिय एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ सामरिक संबंधों को सुदृढ़ करना तथा इस प्रकार से उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र के आर्थिक विकास में सुधार करना है, जो दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र का प्रवेश द्वार है। दक्षिण चीन सागर और हिन्द महासागर चीन की बढ़ती आक्रामकता के संदर्भ में, नेवीगेशन की स्वतंत्रता तथा हिन्द महासागर में भारत की अपनी भूमिका सुनिश्चित करना ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ की प्रमुख विशेषता है। इसमें विशेष रूप से ‘फोर-सी’ का वर्णन भी है-कल्चर (संस्कृति), कॉमर्स (वाणिज्य), कनेक्टिविटी (संपर्क) तथा कैपेसिटी बिल्डिंग (क्षमता-निर्माण)।

लाओस की राजधानी वियनतियान में आसियान शिखर सम्मेलन में म्यांमार में एक लंबी अवधि से चले आ रहे गृह-युद्ध और दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय तनाव से निपटने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और आसियान देश पड़ोसी हैं, और ‘वैश्विक दक्षिण’ में साझेदार हैं। हम शांतिप्रेमी देश हैं, और एक दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता एवं संप्रभुता का सम्मान करते हैं। आसियान की केंद्रीयता को विशेष रूप से ध्यान में रखते हुए भारत ने 2019 में हिन्द-प्रशांत महासागर पहल आरंभ की थी। विगत वर्ष 2023 में क्षेत्रीय सुरक्षा एवं स्थिरता के लिए समुद्री अभ्यास भी शुरू किए गए।

भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने थीम-‘कनेक्टिविटी और लचीलापन बढ़ाना’-को ध्यान में रखते हुए 10 सूत्री योजना की भी घोषणा की-2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में मनाएगा जिसके लिए भारत 5 मिलियन डॉलर उपलब्ध कराएगा, युवा शिखर सम्मेलन, स्टार्टअप महोत्सव, हैकाथन, संगीत महोत्सव, आसियान-भारत थिंकटैंक नेटवर्क और दिल्ली वार्ता सहित अनेक जनकेंद्रित गतिविधियों के माध्यम से ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के एक दशक का जश्न मनाना। आसियान-भारत विज्ञान एवं तकनीकी विकास निधि के तहत आसियान-भारत महिला वैज्ञानिक सम्मेलन का आयोजन होगा।

नालन्दा विविद्यालय में छात्रवृत्तियों की संख्या दुगनी करना तथा भारत के कृषि विविद्यालयों में आसियान छात्रों के लिए नई छात्रवृत्तियों का प्रावधान करना। 2025 तक आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते की समीक्षा। आपदा-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना जिसके लिए भारत 5 मिलियन डॉलर देगा। स्वास्थ्य लचीलापन निर्माण की दिशा में स्वास्थ्य मंत्रियों का एक नया मार्ग आरंभ करना। डिजिटल और साइबर लचीलेपन की मजबूती हेतु आसियान-भारत साइबर नीति नियमित तंत्र शुरू करेगा। हरित हाइड्रोजन पर कार्यशाला का आयोजन। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ‘मां के लिए एक पेड़ लगाओ’ अभियान में शामिल होने के लिए आसियान नेताओं को आमन्त्रित किया गया।

जहां इस शिखर सम्मेलन का मुख्य फोकस आसियान और भारत के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ाना था, वहां शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं ने आर्थिक मंदी, जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक तनावों सहित वैश्विक अनिश्चितताओं से उत्पन्न चुनौतियों को भी स्वीकार किया। उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने के लिए लचीले और समावेशी ढांचे की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। इसके साथ ही सदस्य देशों के बीच आपसी सम्मान, सहयोग, समर्पण, सहानुभूति एवं सामूहिक सहभागिता पर विशेष बल दिया गया।

आसियान के नेताओं ने व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के तरीकों पर भी संवाद किया, जिसका प्रमुख लक्ष्य मौजूदा द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि करना था। इस अवसर पर आसियान-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र (एफआईएफटीए) के महत्त्व को भी दोहराया गया। नि:संदेह भारत-आसियान मित्रता के इस महत्त्वपूर्ण शिखर-सम्मेलन द्वारा जहां आपसी संबंधों में प्रगाढ़ता बढ़ेगी वहीं क्षेत्रीय आपसी समस्याओं का समाधान सरलता के साथ करना संभव भी हो सकेगा। साथ ही, आसियान और भारत संयुक्त रूप से क्षेत्र में शांति, समृद्धि एवं स्थिरता हेतु सामरिक साझेदारी को सुदृढ़ करके नई दिशा देंगे।
(लेख में विचार निजी हैं)

डॉ. एस.के. मिश्र


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