दक्षिण अफ्रीका : भारतवंशियों ने चुनाव में गाड़े झंडे

Last Updated 27 Jun 2024 01:30:37 PM IST

भारत में लोक सभा चुनाव के नतीजे बीती 4 जून को आए और दक्षिण अफ्रीका के उससे मात्र दो दिन पहले 2 जून को। दोनों देशों में मिली-जुली सरकारें बन गई हैं।


द. अफ्रीका : भारतवंशियों ने चुनाव में गाड़े झंडे

दक्षिण अफ्रीका से भारत सिर्फ  इसलिए ही अपने को भावनात्मक रूप से जोड़कर नहीं देखता है कि वहां लगभग 21 सालों तक गांधी जी रहे। वहां उन्होंने भारतवंशियों और बहुसंख्यक अेत आबादी के हक में लड़ाई लड़ी। दक्षिण अफ्रीका भारत के लिए इसलिए भी विशेष है कि वहां पर करीब 15-16 लाख भारतवंशी बसे हुए हैं। संसार के शायद ही किसी अन्य देश में इतने भारतवंशी हों।

दक्षिण अफ्रीका की संसद के लिए हुए हालिया चुनाव में भारतीय मूल के बहुत से उम्मीदवार विभिन्न राजनीतिक दलों से भाग्य आजमा रहे थे। उन्होंने संसद और प्रांतीय असेंबलियों में भी जीत दर्ज की। मेरगन शेट्टी लगातार तीसरी बार संसद के लिए चुने गए। क्वाजुलू-नाटाल प्रांतीय विधानसभा की सदस्य शारा सिंह ने राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया और संसद सदस्य बन गई। शेट्टी संसद में डेमोक्रेटिक अलायंस (डीए) की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले भारतीय मूल के सदस्य बताए जाते हैं। उन्होंने पहले 2006 में पीटरमारिट्जबर्ग नगर परिषद का प्रतिनिधित्व किया था। शारा सिंह ने संसद में चुने जाने के बाद स्थानीय सरकार की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। डीए  के संसद के लिए 87 सदस्य चुने गए हैं।

इनमें से चार भारतीय मूल के हैं। ए. सरूपेन ने लगातार दूसरी बार संसद के चुनाव में जीत हासिल की। सरूपेन के पूर्वज उत्तर प्रदेश से थे। वे गौतेंग प्रांतीय विधानसभा के सदस्य के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। इंकथा फ्रीडम पार्टी के नेता नरेन्द्र सिंह, अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (एएनसी) की फासीहा हसन, अल जमा-आह के इमरान इस्माइल मूसा भी निर्वाचित हुए हैं। गोपाल रेड्डी और शुनमुगम रामसामी मूडली भी संसद पहुंचे हैं। अधिकांश चुने गए भारतीय मूल के सदस्य दक्षिण अफ्रीका में ही पैदा हुए हैं, लेकिन केरल के पथानमथिट्टा जिले के तिरु वल्ला के मूल निवासी अनिल कुमार केसवा पिल्लई ने 40 साल पहले दक्षिण अफ्रीका की स्थानीय राजनीति में खुद को स्थापित किया था। एक युवा शिक्षक के रूप में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे पिल्लई शिक्षकों के ट्रेड यूनियन नेता के रूप में उभरे। उन्हें पहली बार 2019 में एएनसी के प्रतिनिधि के रूप में ईस्टर्न केप की प्रांतीय परिषद के लिए चुना गया था। डीए के सदस्य इमरान कीका, एम. नायर और रिओना गोकुल को भी क्वाजुलू-नाटाल की प्रांतीय विधानसभा के लिए फिर से चुना गया है।

इस बीच, दक्षिण अफ्रीका के फिर से राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा बन गए हैं। रामाफोसा ने अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (एएनसी), डेमोक्रेटिक अलायंस (डीए) और अन्य दलों के समर्थन से फिर से राष्ट्रपति पद को संभाला। खैर, भारत दक्षिण अफ्रीका समेत सभी अफ्रीकी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखने का इच्छुक रहा है। कुछ साल पहले राजधानी में हुए भारत-अफ्रीका समिट को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधित किया। उन्होंने कहा था कि भारत और अफ्रीका की युवा होती आबादी पूरे वि में नये कीर्तिमान बना सकती है।

उन्होंने कहा कि अफ्रीका में निवेश के लिए भारत बड़ा स्रेत है। तब भारत ने अफ्रीकी देशों के लिए 600 मिलियन डॉलर की मदद की घोषणा की थी। भारत की चोटी की कंपनियों टाटा, भारती, महिन्द्रा, अशोक लीलैंड वगैरह का अफ्रीका में तगड़ा निवेश है। भारती एयरटेल ने अफीका के करीब 17 देशों में दूरसंचार क्षेत्र में अरबों डॉलर का निवेश किया हुआ है। भारतीय कंपनियों ने कोयला, लोहा और मैगनीज खदानों के अधिग्रहण में भी रु चि जताई है। अफ्रीकी कंपनियां एग्रो प्रोसेसिंग और  कोल्ड चेन, पर्यटन एवं होटल और रिटेल क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग कर रही हैं। अफ्रीकी देश नाइजीरिया भारत को बड़े पैमाने पर तेल की आपूर्ति करता है।

अफ्रीका से राजधानी दिल्ली में आने नागरिकों को यहां अफ्रीका के बहुत सारे प्रतीक मिलेंगे। राजधानी के चाणक्यपुरी में घाना के शिखर नेता क्वामे नकरूमा मार्ग के नाम पर एक सड़क है। करीब ही अफ्रीका गॉर्डन है। अफ्रीका एवेन्यू भी है। संयोग ही है कि निर्गुट आंदोलन के नेता क्वामें नकरूमा मार्ग और अफ्रीका गार्डन इतने करीब हैं। इंडिया अफ्रीका फ्रेंडशिप रोज गॉर्डन को अब अफ्रीका गॉर्डन कहा जाने लगा है। दिल्ली में अफ्रीका नाम से किसी उद्यान का होना एक तरह से यहां पर रहने वाले अफ्रीकी नागरिकों को कुछ भरोसा तो दिलाता होगा कि भारत उनका मित्र है। राजधानी में नेल्सन मंडेला और मिस्र के जननायक गमाल आब्देल नासेर के नाम पर भी सड़क हैं। क्वामें नकरूमा की तरह नासेर भी निर्गुट आंदोलन के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर थे। लगता है कि मोदी जी तीसरे प्रधानमंत्रित्व काल की सरकार दक्षिण अफ्रीका तथा अन्य सभी अफ्रीकी देशों से संबंध और मजबूत और स्थायी करेगी।
 

डॉ. आर.के. सिन्हा


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment