आईपीएल : गंभीर ने बदली केकेआर की तकदीर
आईपीएल में एक बार फिर साबित हो गया कि गौतम गंभीर के बिना केकेआर के अभियान में गंभीरता नहीं आ पाती है। टीम चेपॉक मैदान पर शानदार प्रदर्शन करके तीसरी बार चैंपियन बनी और तीनों ही बार उसके चैंपियन बनने में गंभीर की भूमिका अहम रही है।
आईपीएल : गंभीर ने बदली केकेआर की तकदीर |
केकेआर 2012 और 2014 में चैंपियन गौतम के कप्तान रहते बनी थी और इस बार उनके मेंटॉर के तौर पर जुड़ने से टीम की किस्मत बदली है। उन्होंने फाइनल में सनराइजर्स हैदराबाद को आठ विकेट से हरा दिया। इस तरह के एकतरफा फाइनल की किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी।
कोलकाता नाइट राइडर्स ने दिखाया कि वह ही इस सत्र की सर्वश्रेष्ठ टीम थी, क्योंकि उन्होंने शुरू से लेकर आखिर तक अपने प्रदर्शन का लोहा बनवाए रखा। पर टीम को यह मजबूती दिलाने में टीम प्रबंधन खासतौर से गौतम गंभीर की नीतियों की भूमिका अहम रही। गौतम ने सबसे पहले सुनील नारायण को पारी की शुरुआत के लिए तैयार किया। यह कहा जा रहा है कि वह शुरुआत में इसके लिए तैयार नहीं थे। पर उनसे कहा गया कि आप अच्छा प्रदर्शन करें या नहीं पर लगातार आक्रामक रुख अपनाना है।
इस भरोसे को उन्होंने 488 रन बनाकर और 17 विकेट लेकर सही ठहरा दिया। इसी तरह टीम के सबसे महंगे खिलाड़ी मिचेल स्टार्क के शुरुआती मैचों में प्रभाव नहीं छोड़ने पर भी उन पर भरोसा बनाए रखना। आखिर में उन्होंने क्वालिफायर एक और फाइनल में शानदार प्रदर्शन करके अपने ऊपर जताए भरोसे को सही ठहरा दिया। वह इन दोनों ही मैचों में प्लेयर ऑफ द मैच बने। आंद्रे रसेल को केकेआर का ट्रंप कार्ड मान सकते हैं। वह आईपीएल इतिहास के सिर्फ तीसरे ऑलराउंडर हैं, जिसने एक सत्र में 200 से ज्यादा रन बनाने के अलावा 19 विकेट लिए हैं। इससे पहले यह करिश्मा सिर्फ जैक कैलिस और शेन वाटसन ही कर सके हैं।
हमें याद है कि पिछले सीजन में रसेल बार-बार चोटिल हो रहे थे और उनकी फिटनेस बहुत अच्छी नहीं थी। पर केकेआर फ्रेंचाइजी ने उन्हें फिटनेस के लिए अमेरिका भेजा और वह वहां बास्केटबाल खिलाड़ियों के साथ फिटनेस सत्र में शामिल रहे और उसका नतीजा इस बार साफ दिखा। उन्हें इस बार कप्तान श्रेयस ने जितनी भी बार गेंद थमाई, उन्होंने विकेट निकालकर दिया। इससे एक बात तो साफ है कि फ्रेंचाइजी अपने खिलाड़ियों के साथ हमेशा जुड़ी रहती है।
पर इस टीम की सफलता में कप्तान श्रेयस अय्यर की भी भूमिका अहम रही। उन्होंने गेंदबाजी में बदलाव समझदारी के साथ किए और विकेट निकालने के लिए रणनीतियां अच्छे से बनाई और जरूरत पड़ने पर बल्ले से भी अच्छा योगदान किया। केकेआर ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि एक बार टीम सेट हो गई तो उस पर ही भरोसा बनाए रखा। यही वजह है कि पिछले सीजन में श्रेयस की अनुपस्थिति में कमान संभालने वाले नीतिश राणा इस बार ज्यादा खेलने के मौके तक नहीं पा सके। केकेआर की जीत में ओपनिंग जोड़ी फिलिप साल्ट और सुनील नारायण की भूमिका अहम जरूरी रही। पर इस जोड़ी को अन्य बल्लेबाजों का भी भरपूर सहयोग मिला।
यही वजह है कि उसके चार प्रमुख बल्लेबाजों ने 350 से ज्यादा रन बनाए। इसमें फिलिप साल्ट तो 12 मैच खेलने के बाद ही चले गए थे। वह यदि पूरे 16 मैच खेलते तो ऑरेंज कैप जीतने वाले विराट कोहली के 741 रनों के आसपास जरूर होते। साल्ट ने चार अर्धशतकों से 435 रन बनाए। केकेआर के गेंदबाजी अटैक को सभी टीमों में सर्वश्रेष्ठ माना जा सकता है।
उसके पांचों प्रमुख गेंदबाजों ने वरुण चक्रवर्ती (21 विकेट) की अगुआई में 10 से ज्यादा विकेट लिए। केकेआर के गेंदबाजी कोच बी अरुण ने कहा कि हम पिछले दो सीजन में प्लेऑफ के लिए क्वालिफाई नहीं कर सके थे। पर इस बार गेंदबाजी अटैक में मिचेल स्टार्क के जुड़ने से गेंदबाजी अटैक में धार आ गई। वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में शुमार होते हैं। सही मायनों में पहले क्वालिफायर और फाइनल में उन्होंने ही जीत की राह बनाई। उन्होंने फाइनल में जिस गेंद पर अभिषेक को बोल्ड किया, उसे इस सीजन की सर्वश्रेष्ठ गेंद माना जा सकता है। इसी तरह पहले क्वालिफायर में बेहतरीन गेंद पर ट्रेविस हेड को बोल्ड किया था। हैदराबाद ने इस सीजन में तीन विकेट पर 287 रन का सर्वाधिक स्कोर बनाने का रिकॉर्ड बनाया।
उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में आक्रामक बल्लेबाजी करके अपनी धाक जमा दी। पर फाइनल जैसे महत्त्वपूर्ण मौके पर वह क्लिक नहीं कर सके। सही मायने में उनकी खेलने की सही योजना ही नहीं दिखी। यह सही है कि टीम की बल्लेबाजी की जान रहे ट्रेविस हेड और अभिषेक शर्मा दो बेहतरीन गेंदों का शिकार बन गए और इससे टीम की बल्लेबाजी में पंचर लग गया और वह इन झटकों से कभी उबर ही नहीं सकी।
इसमें बल्लेबाजों का गलत शॉट सलेक्शन ने भी अहम भूमिका निभाई। सनराइजर्स को भविष्य में स्पिन गेंदबाजी को और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि मध्य के ओवरों में विकेट निकाल सकें। यह सही है कि शाहबाज और अभिषेक शर्मा ने दूसरे क्वालिफायर में अपनी भूमिका को अच्छे से निभाया। पर दोनों स्पिनर ऐसे नहीं हैं कि उन पर हमेशा भरोसा किया जा सके।
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