टीम इंडिया चयन : उचित नहीं है विवाद
भारत में क्रिकेट और क्रिकेट में भारत, ये दो ऐसे सिरे हैं जिसने हाल के दशकों में इस खेल के पूरे चरित्र को बदल दिया है। आलम यह कि अमेरिका भी बल्ला लेकर क्रिकेट के मैदान में उतरने को तैयार है।
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दरअसल, क्रिकेट का रोमांच जहां सर चढ़कर बोल रहा है, वहीं यह एक कुबेरी खेल भी बन गया है। इस बात को आज दुनिया मानती है कि 1983 में लार्ड्स के मैदान में क्रिकेट वि कप जीतने के बाद से न सिर्फ भारत में बल्कि भारतीय महाद्वीप में क्रिकेट का एक नया जुनून देखने को मिला है।
आईपीएल के बाद से तो भारत क्रिकेट जगत का नया मक्का बन गया है। यह फख्र कभी इंग्लैंड या आस्ट्रेलिया को हासिल था। ऐसे में जहां भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का जहां रसूख बढ़ा है, वहीं टीम इंडिया में खिलाड़ियों के चयन का मामला भी असाधारण रूप से बढ़ गया है। ढेर सारी अपेक्षाओं, आग्रहों-दुराग्रहों के बीच टीम को शक्ल देना कोई आसासन बात नहीं है। अलबत्ता इस पूरे मामले की हालिया चर्चा में गोता लगाने से पहले तारीखी तौर पर कुछ बातें समझनी जरूरी है।
गौरतलब है कि 1983 क्रिकेट वि कप में खिताबी जीत के बाद टीम मैनेजमेंट से लेकर खिलाड़ियों की नई जमात तैयार करने का जो मॉडल भारत ने दिया, वह पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया। 2007 में टी-20 वि कप के आगाज तक इस प्रारूप की सफलता पर सवाल था, लेकिन भारत इसमें चैंपियन बना और उसने इस प्रारूप के मायने ही बदल दिए, लेकिन वेस्टइंडीज और अमेरिका में होने वाले 2024 आईसीसी टी-20 वि कप से पहले भारतीय क्रिकेट जगत में खलबली है।
इस महाकुंभ के लिए चयनित टीम में जिस खिलाड़ियों को जगह दी गई है, उस पर लगातर सवाल उठ रहे हैं। टीम में चार स्पिनरों को चुनने पर भी लोगों की प्रतिक्रिया तीखी है। हालांकि, चयनकर्ताओं का तर्क है कि उन्होंने सिर्फ आईपीएल में प्रदशर्न को देखकर टीम का चयन नहीं किया, बल्कि अनुभव को भी तवज्जो दी है। टीम के चयन में हर विभाग का ध्यान रखा गया है और हर खिलाड़ी का चयन उसकी उपयोगिता के आधार पर ही हुई है।
वैसे, भारतीय टीम का प्रदर्शन तो 1 जून से शुरू हो रहे वि कप के मैचों में ही दिखेगा, लेकिन कुछ सवाल हैं जो खेल प्रशंसक और क्रिकेट जानकारों को परेशान कर रही हैं। दरअसल, पूरी दुनिया में टी-20 क्रिकेट को मशहूर बनाने वाले भारत को टी-20 वि कप का खिताब जीते 17 वर्ष बीत चुके हैं। 2011 में ब्लू जर्सी ने 50 ओवर का वि कप तो जीता, लेकिन इस प्रारूप में जीत हमारे हाथों से फिसलती रही है। शायद, यही कारण है कि पूर्व क्रिकेटर से लेकर विश्लेषक तक एक बेहतरीन टीम संयोजन की वकालत करने में जुटे हैं। बहरहाल, भारतीय टीम में शामिल 15 खिलाड़ियों में आठ का हाल के दिनों में प्रदशर्न बेहतर होने के बजाय खराब हुआ है।
कप्तान रोहित शर्मा, उपकप्तान हार्दिक पंड्या, सूर्य कुमार यादव, संजू सैमसन, शिवम दुबे ये सभी वे नाम हैं, जिन्होंने आईपीएल के दौरान बड़े शॉट तो खेले, लेकिन विास और निरंतरता के साथ प्रदर्शन नहीं किया है। विकेटकीपर के तौर पर ऋषभ पंत अपने पुराने फॉर्म में लौटे हैं, लेकिन बल्लेबाजी में अभी भी उन्हें कुछ समस्या है। गेंदबाजी में भी जसप्रीत बुमराह और सिराज को छोड़ दें तो किसी अन्य ने बहुत उम्दा प्रदर्शन किया है, ऐसा नहीं है। के एल राहुल के बाहर करने पर भी विवाद हुआ, जिसका जवाब दिया गया कि उनके शामिल होने से टीम में बल्लेबाजी क्रम में दिक्कत होती।
भारतीय टीम के चयन पर सवाल उठने के बाद रोहित शर्मा से लेकर मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर तक चाहे जितनी भी सफाई पेश कर चुके हों, यह सच है कि वि कप की अन्य मजबूत टीमों के मुकाबले हमारी टीम में कुछ कमजोरियां नजर आ रही हैं। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड जैसी टीमों के उलट भारत की टीम में ऑलराउंडर्स और अनुभवी फिनिशरों की कमी दिख रही है। भारतीय टीम को देखें तो फिलहाल हार्दिक पंड्या के रूप में हमारे पर तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर है। जो फिनिशर हारे हुए मैच को जिताते हैं, भारत के पास ऐसा अनुभवी फिनिशरों की भी कमी है। शीर्ष क्रम में भी ज्यादातर वही खिलाड़ी हैं, जो पिछले दो टी-20 वि में फेल रहे।
इस पूरे टीम संयोजन में आईपीएल के दौरान विदेशी गेंदबाजों के सामने उम्दा खेलने वाले खिलाड़ियों को तवज्जो न के बराबर दी गई है। ऐसे में टीम चयन पर लोगों की नाराजगी जायज लगती है। चयनकर्ताओं ने खिलाड़ियों को टीम में शामिल करने का चाहे जो भी पैमाना अपनाया हो, इस बात को नजरअंदाज करना मुश्किल है कि आईपीएल के 17वें सत्र ने भारत को टी-20 के कई नए और धाकड़ युवा चेहरे दिए।
सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेलने वाले अभिषेक शर्मा हों या गुजरात टाइटंस के साई सुदर्शन, कोलकाता नाइटराइडर्स के हर्षित राणा और रिंकू सिंह या फिर चेन्नई के ऋतुराज गायकवाड़ इन्होंने अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया है। ऐसे में टी-20 वि कप में इनमें से भी किसी खिलाड़ी को आजमाया जाना चाहिए था। खैर, अगर अमेरिका से टीम इंडिया खिताब के साथ लौटती है तो इस पूरे विवाद का सुखद पटाक्षेप होगा, अन्यथा इस विवाद की आगे कुछ और तहें भी खुलेंगी।
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