भारत : विकसित देश बनने की राह पर
वर्ष 2047, जो भारत की आजादी का सौवां वर्ष होगा में भारत दुनिया का एक शक्तिशाली देश बन सकता है, जिसका पता लोगों द्वारा दाखिल किए गए आयकर रिटर्न के विश्लेषण से चलता है।
भारत विकसित देश बनने की राह पर |
वर्तमान में भारत में कामगारों की संख्या 53.0 करोड़ है, जो वर्ष 2047 में बढ़कर 72.5 करोड़ हो सकती है। प्रतिशत में यह आज 37.9 है, जो वर्ष 2047 में बढ़कर 45 हो जाएगी। वहीं, वैसे कामगार जो आयकर जमा करने के योग्य हैं कि संख्या फिलवक्त 31.3 करोड़ है, जो वर्ष 2047 में बढ़कर 56.5 करोड़ हो सकती है। प्रतिशत में यह 59.1 है, जो वर्ष 2047 में बढ़कर 78 हो सकती है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार वर्ष 2040 तक 15 से 64 साल उम्र वाले कामगारों की संख्या उच्च स्तर पर रहेगी, लेकिन उसके बाद इसमें कमी आएगी। इससे पता चलता है कि 2040 तक आर्थिक गतिविधियों में विशेष तेजी बनी रहेगी। 2047 में 22 प्रतिशत कामगार कृषि से जुड़े रहेंगे। चूंकि, कृषि क्षेत्र में कार्यरत किसानों को आयकर से छूट प्राप्त है। इसलिए, खेती-किसानी में कामगारों की संख्या कम होने और दूसरे क्षेत्र में इनकी संख्या बढ़ने से आयकर संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। निर्धारण वर्ष 2023 में भारतीयों की भारित औसत आय 13 लाख रु पए हो गई है, जो वर्ष 2047 में बढ़कर 49.7 लाख रु पए हो सकती है। ज्ञात हो कि निर्धारण वर्ष 2013-14 में भारतीयों की भारित औसत आय महज 4.4 लाख रु पए थी।
निर्धारण वर्ष 2023 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या निर्धारण वर्ष 2022 की तुलना में 7.3 करोड़ से बढ़कर 7.8 करोड़ हो गई है। इनमें से 5.8 करोड़ या 75 प्रतिशत आयकर रिटर्न निर्धारित तारीख से पहले दाखिल की गई। निर्धारित तिथि के बाद दंड शुल्क के साथ आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में भारी कमी आई है। निर्धारण वर्ष 2020 में ऐसे लोगों की संख्या 60 प्रतिशत थी, जो निर्धारण वर्ष 2023 में घटकर 25 प्रतिशत रह गई। निर्धारण वर्ष 2024 में निर्धारित तिथि तक 6.8 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया, जबकि मार्च 2024 तक 1.8 से 2.0 करोड़ लोग आयकर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। निर्धारण वर्ष 2023 में शून्य आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों के प्रतिशत में उल्लेखनीय कमी आई है। ऐसे लोगों की संख्या निर्धारण वर्ष 2012 में 84.1 प्रतिशत थी, जो निर्धारण वर्ष 2023 में कम होकर 64 प्रतिशत रह गई। निर्धारण वर्ष 2023 में सबसे ज्यादा आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले शीर्ष 5 राज्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और पश्चिम बंगाल हैं। निर्धारण वर्ष 2022 के मुकाबले निर्धारण वर्ष 2023 में 64 लाख ज्यादा आयकर रिटर्न दाखिल किए गए। आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले राज्यों में शीर्ष पर महाराष्ट्र रहा। तदुपरांत, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात और राजस्थान रहे। मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड में विगत 9 वर्षो में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों के कार्यस्थल और उनके स्थाई निवास में अंतर देखने में आया है, जिसका कारण कामगारों का रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन करना है। पैन कार्ड को आधार से लिंक करने पर आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों के स्थाई निवास की वास्तविक तस्वीर सामने आ सकती है और राज्यवार आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों के प्रतिशत में भी बदलाव आ सकता है। इससे आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले राज्यों की रैंकिंग में भी परिवर्तन आ सकता है। उद्यमियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए उद्यम पोर्टल का आगाज मोदी सरकार द्वारा 1 जुलाई 2020 को किया गया था, जिसमें अभी तक 2.2 करोड़ सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) ने अपना पंजीकरण कराया है। उद्यम पोर्टल पर एमएसएमई के पंजीकरण के आंकड़ों और राज्यवार आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले आंकड़ों के मिलान से पता चलता है कि 2.18 करोड़ उद्यमियों ने आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों की संख्या को बढ़ाने में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
निर्धारण वर्ष 2011 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 1.6 करोड़ या 84 प्रतिशत लोग आयकर के 5 लाख रु पए वाले स्लैब में आते थे, जिनकी संख्या निर्धारण वर्ष 2023 में बढ़कर 6.85 करोड़ हो गई। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि विगत वर्षो में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या और उनकी आय दोनों में इजाफा हुआ है। निर्धारण वर्ष 2012 के मुकाबले निर्धारण वर्ष 2023 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों में से 13.6 प्रतिशत लोगों ने 5 लाख रुपए से ऊपर वाले स्लैब में शिफ्ट किया है, जिसमें से 8.1 प्रतिशत लोगों ने 5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए के स्लैब में, 3.8 प्रतिशत लोगों ने 10 लाख रुपए से 20 लाख रुपए के स्लैब में, जबकि 1.5 प्रतिशत लोगों ने 20 लाख रुपए से 50 लाख रुपए के स्लैब में शिफ्ट किया है। वहीं, 0.2 प्रतिशत लोगों ने 50 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए के स्लैब में और 0.02 प्रतिशत लोगों ने 1 करोड़ रुपए से ऊपर के स्लैब में शिफ्ट किया है। इतना ही नहीं, यह भी अनुमान है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लगभग 27 प्रतिशत लोग वर्ष 2047 में नीचे से ऊपर वाले स्लैब में शिफ्ट कर जाएंगे। 17.5 प्रतिशत आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोग 5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए वाले स्लैब में शिफ्ट करेंगे, जबकि 5 प्रतिशत, 10 लाख रुपए से 20 लाख रुपए वाले स्लैब में शिफ्ट करेंगे। वहीं, 3 प्रतिशत लोग 20 लाख रुपए से 50 लाख रुपए के स्लैब में, 0.5 प्रतिशत लोग 50 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए के स्लैब में और 0.075 प्रतिशत लोग 1 करोड़ रुपए से ऊपर के स्लैब में शिफ्ट करेंगे।
आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या और आयकर संग्रह में बढ़ोतरी के अनेक कारण जैसे, निम्न आय वर्ग के लोगों की आय में वृद्धि, वैसे लोगों की संख्या में इजाफा, जो पहले आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे थे, कम आय या शून्य आय दिखाने वाले लोगों की संख्या में कमी आदि है। कह सकते हैं कि सरकार की समीचीन नीतियों की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है और इसी वजह से वर्ष 2023 में प्रति व्यक्ति आय के 2 लाख रुपए से बढ़कर 2047 में 14.9 लाख रुपए होने का अनुमान है।
(लेखक अर्थशास्त्री व एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार हैं। सह लेखक सतीश सिंह एसबीआई में सहायक महाप्रबंधक हैं)
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