अर्थव्यवस्था : कारोबारी सुगमता से बनी बात

Last Updated 09 Aug 2023 12:38:18 PM IST

हाल ही में 27 जुलाई को लोक सभा ने जिस जनविश्वास (प्रावधान संशोधन) विधेयक, 2023 को मंजूरी दी है, वह उद्योग-कारोबार बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।


अर्थव्यवस्था : कारोबारी सुगमता से बनी बात

इसमें कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 42 अधिनियमों में 183 प्रावधानों में संशोधन कर छोटी-मोटी गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव किया गया है। ये 42 कानून जिन 19 केंद्रीय मंत्रालयों से संबद्ध हैं, उनमें वित्त, वित्तीय सेवाएं, कृषि, वाणिज्य, पर्यावरण, सड़क परिवहन और राजमार्ग, डाक, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भी शामिल हैं। विभिन्न अधिनियमों में संशोधन के जरिए मुकदमों में वृद्धि से बचने के लिए जहां भी संभव हो कारावास के साथ जुर्माने को हटाकर नियम का उल्लंघन करने पर मौद्रिक दंड लगाए जाने तथा छोटे-मोटे अपराधों को अपराधमुक्त करने के प्रस्ताव के अलावा अपराध की गंभीरता के आधार पर मौद्रिक दंड को तर्कसंगत बनाने, भरोसे पर आधारित राजकाज को बढ़ावा देने के भी प्रस्ताव किए गए हैं।

ज्ञातव्य है कि उद्योग-कारोबार को आसान बनाने के लिए विगत 9 वर्षो में करीब 1,500 पुराने कानूनों और 40 हजार अनावश्यक अनुपालन को समाप्त कर दिया गया है। आर्थिक क्षेत्र में जीएसटी और दिवालिया कानून जैसे सुधार किए गए हैं। बैंकिंग क्षेत्र में जोरदार सुधार करके मजबूत वृहद् आर्थिक बुनियाद की मदद से अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया गया है। कॉरपोरेट टैक्स कम किया गया है। कारोबार का खुद संचालन करने की बजाय सरकार ने कारोबार करने के लिए आधार तैयार किया है।

गौरतलब है कि 17 जुलाई को विश्व प्रसिद्ध ब्रोकरेज कंपनी बर्नस्टीन द्वारा भारत में आर्थिक-वित्तीय सुधार एवं डिजिटलीकरण पर प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ऐतिहासिक सुधारों, बुनियादी ढांचा विकास, वित्तीय समावेशन और डिजिटलीकरण के बल पर कारोबार सुगमता की डगर पर लंबी छलांग लगाते हुए दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। इन दिनों प्रकाशित हो रहीं कारोबार की अनुकूलताओं से संबंधित अन्य कई वैश्विक रिपोर्टों में भारत में कारोबार सुगमता के परिवेश को रेखांकित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) की डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा संबंधी रिपोर्ट में भारत 140 देशों को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबसे आगे पहुंच गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पारदर्शिता, औपचारिकताएं, संस्थागत व्यवस्था, सहयोग और कागजरहित व्यापार संबंधी मूल्यांकन में भारत ने 100 प्रतिशत की उत्कृष्ट रैंक हासिल की है। 2021 में प्रकाशित डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा रिपोर्ट में भारत ने 90.32 फीसद अंक हासिल किए थे तथा 2019 में इस रिपोर्ट में भारत को 78.49 फीसद अंक मिले थे।

स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि पिछले चार वर्षो में भारत डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधाओं में छलांग लगाकर आगे बढ़ा है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि कारोबार में बढ़ती अनुकूलताओं के कारण भारत में ख्याति प्राप्त वैश्विक फाइनेंस और कॉमर्स कंपनियां अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं। इतना ही नहीं, भारत से कई विकसित और विकासशील देशों के लिए कई काम बड़े पैमाने पर आउटसोर्सिंग पर हो रहे हैं। अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय आईटी प्रतिभाओं के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत में अपने ग्लोबल इनहाउस सेंटर (GIC) तेजी से बढ़ाते हुए दिखाई दे रही हैं। भारत में स्थित वैश्विक फाइनेंशियल फर्मो के दफ्तर ग्लोबल सुविधाओं से सुसज्जित हैं। इन फर्मो में बड़े पैमाने पर प्रतिभाशाली भारतीय युवाओं की नियुक्तियां हो रही हैं।

भारत के युवाओं ने डिजिटल और उद्यमिता के क्षेत्र में दुनिया भर में दबदबा कायम किया है। 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न बनाए हैं, और एक लाख से ज्यादा नये स्टार्टअप हैं। यह बात महत्वपूर्ण है कि एक अप्रैल, 2023 से लागू देश की नई विदेश व्यापार नीति (FTP) विदेश व्यापार को सरल बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। नई विदेश व्यापार नीति के तहत सरकार निर्यात का दायरा बढ़ाने के लिए जिला स्तर पर एक्सपोर्ट हब की स्थापना करने की डगर पर आगे बढ़ी है। इससे निर्यात से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी दूर हो सकेगी। सरकार वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट की पहचान का काम पहले ही पूरा कर चुकी है। जिला स्तर पर निर्यात सुविधा विकसित होने से उस जिले के उत्पाद को आसानी से निर्यात किया जा सकेगा।

ई-कॉमर्स के माध्यम से होने वाले निर्यात के प्रोत्साहन के लिए अलग से ई-कॉमर्स जोन की स्थापना की ओर तत्परता से आगे बढ़ा जा रहा है। कुरियर सेवा के माध्यम से होने वाले निर्यात की वैल्यू लिमिट को 5 लाख से बढ़कर 10 लाख रुपये प्रति खेप कर दिया गया है। निश्चित रूप से डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार के मद्देनजर भारत लाभ की स्थिति में है। लेकिन स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अभी सीमित संख्या में ही भारत की कौशल प्रशिक्षित प्रतिभाएं डिजिटल कारोबार की जरूरतों को पूरा कर पा रही हैं। अब दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले भारत को बड़ी संख्या में युवाओं को डिजिटल कारोबार के दौर की ओर नई तकनीकी योग्यताओं के साथ एआई, क्लाउड कंप्यूटिंग, मशीन लर्निग एवं अन्य नये डिजिटल स्किल्स से सुसज्जित किया जाना होगा।

अब भारत द्वारा यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद (JCC) के छह देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इस्रइल के साथ एफटीए के लिए प्रगतिपूर्ण वार्ताएं तेजी से पूरी करनी होंगी। रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयास तेज करने होंगे। देश की नई विदेश व्यापार नीति, नई लॉजिस्टिक नीति और गति शक्ति योजना की अभूतपूर्व रणनीतियों से भारत को आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में तेजी बढ़ना होगा। हमें  2023 में जी-20 की अध्यक्षता के दौरान इस सम्मेलन की विभिन्न बैठकों में पहुंचने वाले विशिष्ट विदेशी प्रतिनिधियों को भारत के डिजिटल विकास और कारोबारी सुगमता के परिदृश्य से अच्छी से परिचित कराना होगा। निश्चित रूप से कारोबारी सुगमता के लिए ऐसे और अधिक प्रयासों से देश में उद्योग, कारोबार, निर्यात, निवेश तथा रोजगार के मौके बढ़ेंगे।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment