एआई-ऑटोमेशन : युवाओं को मिलेंगे वैश्विक मौके
आर्टििफशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन का उदय अब भविष्य की अवधारणा ही नहीं रही है। इसने दुनिया भर के कई उद्योगों में एक नई क्रांति ला दी है।
एआई-ऑटोमेशन : युवाओं को मिलेंगे वैश्विक मौके |
स्वास्थ्य सेवाओं से वित्तीय सेवाओं तक, ये तकनीकें भविष्य को बदल रही हैं। इससे प्रत्येक क्षेत्र की कौशल आवश्यकताओं में भी बड़ा परिवर्तन हो रहा है। ऐसे परिवेश में भारत एक तेजी से आगे बढ़ता हुआ देश है जहां एआई और उभरती प्रौद्योगिकियों में कौशल शिक्षा प्रदान करने का नेतृत्व करने की आवश्यकता है।
वर्तमान में तकनीकी नवाचारों की त्वरित गति के साथ, दुनिया भर में एआई और उभरती हुई तकनीकों के कौशल विशेषज्ञों की मांग तेजी से बढ़ रही है। र्वल्ड इकोनोमिक फोरम ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2025 तक एआई और मशीन लर्निग, दुनिया भर में 10 करोड़ नई नौकरियां सृजित करेंगे। इसके अलावा, एक आईडीसी रिपोर्ट ने यह भी अनुमान लगाया है कि वर्ष 2023 तक एआई पर वैश्विक खर्च 97.9 अरब डॉलर तक पहुंचेगा। ये आंकड़े आने वाले वर्षो में इस क्षेत्र में असाधारण रूप से नौकरियों में वृद्धि की संभावना को दर्शाते हैं। भारत को इस अवसर का लाभ उठाने के लिए, अपने युवाओं को एआई और इंडस्ट्री 4.0 की तकनीकों में कौशल शिक्षा देना महत्त्वपूर्ण है। हमारे देश में युवा और गतिशील कार्यबल है जिन्हें भविष्य की इन नई तकनीकों में प्रशिक्षित किया जा सकता है, जिससे भारत एवं वैश्विक कंपनियों को कुशल श्रमिकों का एक तैयार समुदाय दिया जा सकता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने 21वीं सदी के रोजगार बाजार के लिए कौशल विकास करने का महत्त्व स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, रोजगार और कौशल पर केंद्रित है और छात्रों को सही कौशल प्रदान करने में शिक्षा की भूमिका को स्वीकार करती है। केंद्र सरकार के अनेक कार्यक्रम, एआई से लैस शिक्षण प्लेटफॉर्म और दूरस्थ शिक्षा के उपकरण, छात्रों को कौशल निर्माण पर केंद्रित पाठ्यक्रमों तक पहुंच प्रदान करते हैं। ये प्लेटफार्म कोडिंग, डेटा साइंस, आर्टििफशियल इंटेलिजेंस और उद्यमिता के पाठ्यक्रम देते हैं। इस क्षेत्र में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम और स्किल इंडिया ने भी महत्त्वपूर्ण कार्य प्रारंभ किए हैं। इसके साथ सरकार के कार्यक्रम, छात्रों को उद्योग-अनुकूल कायरे, प्रशिक्षुता और हैकाथॉन में शामिल होने का अवसर प्रदान करते हैं, जो छात्रों के रोजगार योग्यता वाले कौशल को सुधारने और उन्हें रोजगार के लिए तैयार करने में मदद करते हैं। टेक कंपनियों के लिए एक कॉस्ट-इफेक्टिव गंतव्य होने का फायदा भी भारत को मिल रहा है।
भारत में फ्यूचर ऑफवर्क के बारे में अपने विज़न को आगे बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी लीडर, इन्फ्लूएन्सर और शिक्षाविदों को एक प्लेटफार्म के रूप में लाने के लिए कार्य किया जा रहा है। हाल ही में ओडिशा में जी-20 अध्यक्षता के तहत तीसरी शिक्षा कार्य समूह (एडडब्ल्यूजी) की बैठक के दौरान एक साथ फ्यूचर ऑफ वर्क पर आधारित प्रदर्शनी आयोजित की गई। इसमें ऐसी तकनीकी को प्रदर्शित किया गया जो फ्यूचर ऑफ वर्क, मॉडर्न वर्कप्लेस में निरंतर इनोवेशन, भविष्य के कौशल और इनोवेटिव डिलीवरी मॉडल को आगे बढ़ाएगी। भविष्य को देखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान गति शक्ति पर ध्यान केंद्रित किया है, जो आधुनिक लॉजिस्टिक लेयर बनाने के लिए आवश्यक है, जिससे भारत ब्लू इकोनॉमी उत्पादों, भोजन और कृषि के वैश्विक हब के रूप में उभर रहा है। लॉजिस्टिक्स एक रोमांचक क्षेत्र होने जा रहा है और देश के युवाओं के लिए अवसरों से भरा हुआ है। यह टेक्नोलॉजी सक्षमता के विषय में है और इसमें निवेश, उद्यमशीलता और रोजगार के साथ-साथ तकनीक और उभरते सेक्टर में अवसरों की बहुत गुंजाइश है। एआई, ऑटोमेशन एवं इंडस्ट्री 4.0 जैसी उभरती हुई तकनीकों में भारतीय युवाओं का प्रशिक्षण पूरी दुनिया में उनके लिए अनेक नए अवसर ला सकता है।
वैश्विक कंपनियां उभरती हुई तकनीकों में कुशल कार्यबल की उपलब्धता के कारण भारत में अपने केंद्र स्थापित कर रही हैं। ये पहल भारतीय युवाओं को ग्लोबल कंपनियों के साथ काम करने, अपने कौशल को विकसित करने और मूल्यवान अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करने वाली हैं। कौशल की मांग स्वास्थ्य, वित्त और विनिर्माण के क्षेत्र में कुशल कार्यबल, भारतीय युवाओं के लिए विभिन्न उद्योगों में काम करने के अवसरों का निर्माण कर सकता है। विशेष रूप से, ऑटोमेशन और एआई की उभरती हुई तकनीक ने दुनिया भर में काम की प्रकृति को बदल दिया है। समग्र कौशल विकास की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सरकार, शैक्षणिक संस्थाओं और उद्योगों को एक साथ आना आवश्यक है ताकि एआई और उभरती हुई तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करके एक कौशल विकास के मजबूत ईकोसिस्टम का निर्माण हो सके। इससे न केवल कुशल कार्यबल निर्मिंत होगा बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि के साथ ही समग्र विकास में भी बड़ा योगदान मिलेगा।
(लेखक कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय, केंद्र सरकार में सचिव हैं)
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