गरीबी में घटाव : जनोन्मुखी होने का कमाल

Last Updated 27 Jul 2023 12:31:06 PM IST

इन दिनों देश-दुनिया में भारत में बहुआयामी गरीबी घटने से संबंधित दो रिपोर्ट्स गंभीरतापूर्वक पढ़ी जा रही हैं।


गरीबी में घटाव : जनोन्मुखी होने का कमाल

एक, नीति आयोग द्वारा 17 जुलाई को जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) प्रगति समीक्षा रिपोर्ट 2023; और दूसरी, 11 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) एवं ऑक्सफोर्ड विविद्यालय की ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (ओपीएचआई) द्वारा वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) की रिपोर्ट-2023। बेशक, ये दोनों रिपोर्ट्स भारत में बहुआयामी गरीबी घटने का पुरसुकून परिदृश्य प्रस्तुत करते हुए दिखाई दे रही हैं।  

गौरतलब है कि नीति आयोग द्वारा जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में बहुआयामी गरीब लोगों की हिस्सेदारी  2015-16 के 24.85 फीसद से घटकर 2019-21 में 14.96 फीसद हो गई है। यह सूचकांक आय गरीबी के आकलन का पूरक है, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में सुधार को बताता है, और जो इसके सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के अनुरूप है। इसके तहत पोषण, बाल एवं किशोर मृत्यु दर, खाना बनाने में उपयोग होने वाले ईधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, मांओं के स्वास्थ्य, स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति जैसे आधारभूत संकेतक शामिल हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत एसडीजी लक्ष्य 1.2 प्राप्त करने की राह पर निकल पड़ा है जिससे 2030 के लिए तय की गई मियाद से बहुत पहले बहुआयामी गरीबी को कम से कम आधा करने में मदद मिलेगी।

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे अधिक कमी उत्तर प्रदेश में देखी गई, जहां 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं। इसके बाद बिहार में 2.25 करोड़, मध्य प्रदेश में 1.35 करोड़, राजस्थान में 1.08 करोड़ और पश्चिम बंगाल में 92.6 लाख लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। उल्लेखनीय है कि यूएनडीपी की रिपोर्ट-2023 में कहा गया है कि भारत में पिछले 15 वर्षो में गरीबी में उल्लेखनीय रूप से कमी आई है। 2005-06 से 2019-21 के दौरान कुल 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। 2005-06 में जहां गरीबों की आबादी 55.1 फीसद  थी, वहीं 2019-21 में घटकर 16.4 फीसद हो गई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2005-06 में भारत में लगभग 64.5 करोड़ लोग गरीबी की सूची में शामिल थे, यह संख्या 2015-16 में घट कर लगभग 37 करोड़ और 2019-21 में कम होकर 23 करोड़ हो गई। खास बात यह है कि भारत में सभी संकेतकों के अनुसार गरीबी में गिरावट आई है। सबसे गरीब राज्यों और समूहों, जिनमें बच्चे और वंचित जाति समूहों के लोग शामिल हैं, ने तेजी से प्रगति हासिल की है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पोषण संकेतक के तहत बहुआयामी रूप से गरीब और वंचित लोग 2005-06 में 44.3 फीसद थे जो 2019-21 में कम होकर 11.8 फीसद हो गए। इस दौरान और बाल मृत्यु दर 4.5 फीसद से घट कर 1.5 फीसद हो गई। रिपोर्ट के अनुसार खाना पकाने के ईधन से वंचित गरीबों की संख्या भारत में 52.9 फीसद से गिरकर 13.9 फीसद हो गई है। वहीं स्वच्छता से वंचित लोगों, जो 2005-06 में 50.4 फीसद थे, की संख्या 2019-21 में कम होकर 11.3 फीसद रह गई है। पेयजल के पैमाने की बात करें तो उक्त अवधि के दौरान बहुआयामी रूप से गरीब और वंचित लोगों का फीसद 16.4 से घटकर 2.7 हो गया। बिना बिजली के रह रहे लोगों की संख्या 29 फीसद से 2.1 फीसद और बिना आवास के गरीबों की संख्या 44.9 फीसद से गिरकर 13.6 फीसद रह गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत सहित 25 देशों ने भी अपने यहां गरीबों की संख्या में कमी की है। रिपोर्ट के अनुसार भारत उन 19 देशों की लिस्ट में शामिल है, जिन्होंने 2005-06 से 2015-16 की अवधि के दौरान अपने वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) मूल्य को आधा करने में सफलता हासिल की।

गौरतलब है कि डिजिटलीकरण के तहत जिस तरह आधार ने लीकेज को कम करते हुए लाभार्थियों को भुगतान के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर-डीबीटी) में मदद की है, उससे भी गरीबों का सशक्तिकरण हुआ है। 2014 से लागू की गई डीबीटी योजना देश में गरीबी कम करने में वरदान की तरह दिखाई दे रही है। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि देश में गरीबों के कल्याण के लिए लागू की गई विभिन्न सरकारी योजनाएं-मसलन, सामुदायिक रसोई, वन नेशन वन राशन कार्ड, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, पोषण अभियान, समग्र शिक्षा अभियान आदि-प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गरीबी के स्तर में कमी लाने और स्वास्थ्य और  भुखमरी की चुनौती को कम करने में सहायक रही हैं। निश्चित रूप से तेजी से बढ़तीं खाद्यान्न कीमतों के मद्देनजर गरीबों को मुश्किलों से बचाने और खाद्य सुरक्षा की सुनिश्चितता के लिए अभी और कारगर प्रयासों की जरूरत बनी हुई है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल, 2023 में भारत 142.86 करोड़ लोगों की आबादी के साथ चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बना गया है, अतएव देश की नई आबादी के लिए रोजगार के नये अवसरों का निर्माण करना जरूरी होगा। रोजगार के नये अवसर गरीबी नियंत्रण में सहायक होंगे।

निश्चित रूप से देश में बहुआयामी गरीबी अभी भी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। देश में करीब 23 करोड़ लोग अभी भी गरीब हैं। ऐसे में गरीबी, बेरोजगारी, भूख और कुपोषण खत्म करने के लिए सरकार द्वारा घोषित जनकल्याण योजनाओं, स्वरोजगार योजनाओं, कौशल विकास, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सार्वजनिक, सामुदायिक रसोई व्यवस्था तथा पोषण अभियान-2 को पूरी तरह कारगर और सफल बनाया जाना होगा। मोटे अनाज का उत्पादन और वितरण बढ़ाकर देश में भूख और कुपोषण की चुनौती का सामना करके गरीबों की कार्यक्षमता बढ़ानी होगी। उम्मीद करते हैं कि नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र की रिपोटरे के मद्देनजर अब भारत में केंद्र और  राज्य सरकारों के रणनीतिक प्रयासों से बहुआयामी गरीबी में और कमी आएगी। ऐसे में आम आदमी की कार्यक्षमता बढ़ेगी और आर्थिक कल्याण के साथ देश के विकास की भी रफ्तार बढ़ेगी।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी


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