क्या आस्था मनोरंजन का विषय है

Last Updated 24 Jun 2023 01:22:22 PM IST

पिछले कुछ दिनों से एक फिल्म को लेकर देश भर में काफी विवाद चल रहा है। कारण है इस फिल्म में दिखाए गए भ्रामक दृश्यों और आपत्तिजनक डायलॉग।


क्या आस्था मनोरंजन का विषय है

समाज का एक बड़ा हिस्सा, धार्मिंक गुरु  व संत और राजनैतिक दल फिल्म के निर्माताओं को हर मंच पर घेर रहे हैं। विवादों के चलते सोशल मीडिया पर इस फिल्म को दुनिया भर से काफी ट्रोल भी किया गया है। सवाल उठता है कि क्या मनोरंजन के लिए आप आस्था से खिलवाड़ कर सकते हैं? क्या आस्था मनोरंजन का विषय है?

रामायण पर आधारित फिल्म ‘आदिपुरुष’ के निर्माताओं ने इस फिल्म में कुछ पात्रों का विवादास्पद चितण्रकिया है, जो हिन्दुओं की भावना को ठेस पहुंचा रहा है। इस फिल्म में बोले गए कई ऐसे डायलॉग भी सभ्य नहीं माने जा सकते। जैसे ही विवाद बढ़ा तो फिल्म के निर्माता व संवाद लेखक ने अपने पुराने बयानों से पलटते हुए सफाई दी, ‘यह फिल्म रामायण पर आधारित नहीं, बल्कि रामायण से प्रेरित है।’ इसके बाद लेखक मनोज मुंतशिर ने विवादित डायलॉगों में संशोधन करने का ऐलान भी कर दिया। देश भर के कई हिन्दू संगठन फिल्म के विरोध में खुलेआम उतर आए हैं।  

कई संगठनों ने तो फिल्म के निर्माताओं को फिल्म के आपत्तिजनक डायलॉग की भाषा में ही धमकी तक दे डाली है। इन सबके चलते मुंबई पुलिस ने लेखक व निर्माता को सुरक्षा भी दे दी है। पड़ोसी देश नेपाल से भी फिल्म के विरोध की खबरें आ रही हैं। कहा जाता है ‘बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा’। तो क्या फिल्म के निर्माताओं ने इसी मंशा से इस फिल्म को बनाया? या फिर किसी अन्य एजेंडे के तहत ऐसी फिल्में योजनाबद्ध तरीक़े से बनाई जाती हैं, जो समाज में मतभेद पैदा करने का कम करती हैं? यहां पर यह कहना ठीक होगा कि ऐसी फिल्में न सिर्फ एकतरफा होती हैं, बल्कि तथ्यों से भी काफी दूर होती हैं। वृंदावन में कई वर्षो से भजन कर रहे रसिक संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी ने हाल में फिल्म ‘आदिपुरुष’ और इसी तरह की अन्य फिल्मों पर अपनी कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि, ‘आस्था मनोरंजन का विषय नहीं है।

मनोरंजन कभी आस्था नहीं हो सकता और आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। भगवान की लीलाएं हमारी आस्था का विषय हैं। जो भी इन्हें मनोरंजन की दृष्टि से बनाता है वो हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ करता है।’ इस विषय पर स्वामी जी आगे कहते हैं, ‘श्री कृष्ण लीला हो या श्री राम लीला, यह एक मर्यादा के तहत ही दिखाई जाती हैं। यदि कोई इसका चितण्रमनोरंजन की भावना से करता है, उनका उपहास करता है या उसे मर्यादा रहित ढंग से पेश करता है तो वह जो कोई भी हो अपराधी है, जिसका दंड उसे अवश्य मिलेगा।

इन लीलाओं को बड़े-बड़े ऋषियों ने जैसा समाधि लगा कर देखा, वही लिखा। इन्हीं लीला चरित्रों के बल पर संतगण भक्तों को सही मार्ग पर चलने का उपदेश देते हैं। ऐसे सत्संगों या धार्मिंक सम्मेलनों में जाने वालों को एक अलग अनुभूति होती है।’ स्वामी जी कहते हैं, ‘प्राय: देखा गया है कि सामने वाले को रिझाने की दृष्टि से सत्संग और लीला गायन को मनोरंजन बनाया जा रहा है।’ सभी से प्रार्थना करते हुए कहते हैं, ‘शास्त्र सम्मत भगवत चरित्र सुने जाएं, शास्त्र सम्मत भगवत लीला अनुकरण के दशर्न किए जाएं, मनमानी न की जाए।’ इस विषय पर श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण स्वामी जी का विस्तृत वीडियो यूट्यूब पर उपलब्ध है।

एक समय था जब ‘जय संतोषी मां’, ‘संपूर्ण रामायण’ जैसी धार्मिंक फिल्में श्रद्धा के साथ बनाई जाती थीं। इन फिल्मों को लोग पूरी आस्था के साथ देखने जाते थे। सिनेमा हॉल में चप्पल बाहर उतारते थे, फिल्म को देखते हुए भक्ति रस में डूब कर रो पड़ते थे और फिल्म के समापन के बाद श्रद्धा से पैसे भी चढ़ाते थे। आपको याद होगा कि जब दूरदशर्न पर रामानन्द सागर और बीआर चोपड़ा निर्मिंत ‘रामायण’ व ‘महाभारत’ का टेलीकास्ट होता था तब सड़कों पर ऐसा सन्नाटा छा जाता था जैसे कि सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया हो। हाल में कोविड महामारी के चलते जब रामायण का दोबारा टेलीकास्ट हुआ तो भी उसे उतनी ही श्रद्धा से देखा गया जितना दशकों पहले देखा जाता था।

जब इन धारावाहिकों के कलाकार सार्वजनिक स्थलों पर दिखाई देते थे तो प्रतीत होता था कि अरु ण गोविल में साक्षात ‘प्रभु श्री राम’ व दीपिका चिखिलया में ‘सीता जी’ के दशर्न हो रहे हैं।   ‘वीर हनुमान’ की भूमिका करने वाले दारा सिंह व महाभारत में ‘गदाधारी भीम’ का किरदार निभाने वाले प्रवीण कुमार को लोग असल जीवन में भी उनके किरदार में ही देखते थे। परंतु जिस तरह धार्मिंक चोला ओढ़ कर मनोरंजन और एजेंडे के तहत बनाई जाने वाली फिल्में बनाई जा रही हैं, वे विवाद भड़काने का ही काम कर रही हैं। तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर आस्था के साथ खिलवाड़ करना किसी भी सभ्य समाज में स्वीकारा नहीं जा सकता। इसके लिए सरकार को कड़े दिशा निर्देश देने की आवश्यकता है।

रजनीश कपूर


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