अर्थव्यवस्था : बेहतरी की ओर
निश्चित रूप से यह सूचना पूरे भारत के अंदर आशा का संचार करने वाली है। भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़कर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
अर्थव्यवस्था : बेहतरी की ओर |
एक दशक पहले भारत विहार में तथा ब्रिटेन पांचवें स्थान पर था। मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 854.7 अरब डौलर था, वहीं ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर थी। इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच सकल घरेलू उत्पाद यानी आर्थिक विकास की दर 13.5 प्रतिशत रही है। यद्यपि विश्व भर की वित्तीय संस्थाएं और आर्थिक विशेषज्ञ बता रहे थे कि भारत का विकास दर इस वर्ष संतोषजनक रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से लेकर विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अन्य संस्थाओं ने मोटे तौर पर 7 से 8 प्रतिशत विकास दर का अनुमान लगाया है। इस वृद्धि दर को देखते हुए यह स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है कि भारत 8 प्रतिशत के आसपास का विकास दर हासिल कर सकता है जो दुनिया में सबसे ज्यादा होगा। वित्त सचिव टीवी सोमनाथ ने हालांकि कहा है कि 2022-23 में अर्थव्यवस्था 7 से 7.5 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ेगी। इसी तरह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि इस साल भारत की अर्थव्यवस्था 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। कई अर्थशास्त्री बता रहे हैं कि इससे थोड़ा ऊपर भी जा सकता है। अगर इतना भी रहा तो यह विश्व में सबसे ज्यादा होगा।
ध्यान रखिए कि चीन की विकास दर 3.3 प्रतिशत, ब्रिटेन की 3.2 प्रतिशत, अमेरिका की 2.3 प्रतिशत, यूरोपीय संघ की 2.6 प्रतिशत, उभरती हुई एशियाई देशों का 4.6 प्रतिशत तथा आसियान का 5.3 प्रतिशत रहेगा। तो क्या यह मान लिया जाए कि भारत कोरोना काल के आघात से बाहर निकल चुका है? ध्यान रखिए कि पिछले वर्ष जुलाई से सितम्बर तक की विकास दर 8.4 प्रतिशत थी, लेकिन अक्टूबर से दिसम्बर का विकास दर 5.4 प्रतिशत हो गई थी। जाहिर है, अर्थव्यवस्था रिकवरी के दौर से भी बाहर निकल कर सामान्य पटरी पर गतिशील हो गई है। 13.5 प्रतिशत की गति पिछले चार तिमाही में अर्थव्यवस्था की सबसे तेज गति है। 2019-20 से तुलना करें तो 3.8 फीसद की बढ़ोतरी है। अगर सकल अर्थव्यवस्था की दृष्टि से सोचें तो 2020-21 में लॉकडाउन के कारण भारत का वास्तविक आर्थिक आकार 27 लाख 40 हजार करोड़ रु पया तक आ गया था।
वर्तमान अप्रैल से जून तिमाही में यह 36.85 लाख करोड़ रु पये है। 2018-19 में कुल अर्थव्यवस्था का आकार 33.8 4 लाख करो रु पया तथा 2019-20 में 35.4 9लाख करोड़ रु पया रहा। 2021-22 में भी यह 32.46 लाख करोड़ रु पया था। इसका अर्थ है कि 2021-22 में अर्थव्यवस्था वाकई रिकवरी के साथ गति पकड़ चुकी थी। इसलिए अगर कोई बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ तो मान कर चलना चाहिए कि अर्थव्यवस्था के सामने आपको रोना आघात वाली बाधाएं नहीं है। हालांकि 13.5 प्रतिशत का आंकड़ा वृद्धि दर के लगाए गए अनुमान से थोड़ा कम है। अर्थशास्त्रियों ने माना था कि पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 14 प्रतिशत से ऊपर होगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने 16.2 प्रतिशत तथा भारतीय स्टेट बैंक में 15.7 तक विकास दर रहने का अनुमान जताया था।
इस नाते यह विकास दर थोड़ा कम अवश्य है, लेकिन अब तक इतिहास में दर्ज विकास दर में यह दूसरी सबसे ऊंची वृद्धि है। अगर सेक्टर के हिसाब से विचार करें तो आर्थिक विकास को उछाल देने में सेवा और व्यापार का सर्वाधिक योगदान रहा है। होटल सेक्टर बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। यह बताता है कि अब भारत में आर्थिक गतिविधियां सामान्य हो चुकी हैं। निर्माण क्षेत्र अच्छा कर रहा है जिसका मतलब यह है कि सीमेंट, स्टील और इससे जुड़े सेगमेंट में मांग अधिक हुई है।
हालांकि इस बार बारिश अच्छी नहीं हुई। बावजूद माना जा रहा है कि सितम्बर तिमाही के आंकड़े इससे बेहतर होंगे। हां आने वाले समय में रु स यूक्रेन युद्ध से दुनिया पर जो असर पड़ा है और पश्चिम की अर्थव्यवस्था में जो सुस्ती दिख रही है उन सबका असर होगा। ईधन की कीमतें भी अपना असर डालेगी। विकास दर में बहुत बड़ा योगदान निजी खपत का होता है। वर्तमान वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निजी खपत करीब 26 प्रतिशत बढ़ी है। निजी खपत के साथ सकल स्थाई पूंजी निर्माण में भी 29.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसका अर्थ यह हुआ कि सरकार आधारभूत संरचनाओं पर ज्यादा खर्च कर रही है। यह सही है तो तेज विकास दर बनाए रखने में इससे मदद मिलेगी।
यह सच है कि सरकार ने सामान्य खर्चों से ज्यादा पूंजीगत खर्च बढ़ाया है। इससे सीमेंट और स्टील क्षेत्र को काफी फायदा हुआ है। अगर इस पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद में खर्च की हिस्सेदारी के आधार पर विश्लेषण करें तो निजी खपत में 59.9 प्रतिशत, पूंजी निर्माण में 34.7 प्रतिशत, सरकारी खर्च 11.2 प्रतिशत, अन्य खर्च 2.1 प्रतिशत तथा निर्यात में -8.1 प्रतिशत रही। जुलाई महीने में आठ कोर सेक्टर में से 6 में उत्पादन बढ़ा है।
बिजली में 2.2 प्रतिशत, कोयला में 11.4 प्रताशत, रिफाइनरी में 100.2 प्रतिशत, उर्वरक में 6.2 प्रतिशत, सीमेंट 2.1 प्रतिशत, स्टील 5.7 प्रतिशत, प्राकृतिक गैस 0.3 प्रतिशत बढ़ा है। केवल कच्चा तेल में नकारात्मक है यानी -3.8 प्रतिशत। हालांकि कोर सेक्टर में ज्यादातर का विकास दर अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। यह कुल मिलाकर जून 2022 के मुकाबले जुलाई में 4.5 प्रतिशत ही रहा। जून में इन 8 क्षेत्रों की विकास दर 13.2 प्रतिशत थी। इसके कुछ तात्कालिक कारण होते हैं। इससे यह नहीं मानना चाहिए कि कोर सेक्टर ऐसे ही सुस्ती की ओर रहेगा।
सारे संकेत बता रहे हैं कि इनमें आने वाले दिन में भी तेज वृद्धि होगी। जब विकास की गति तेज होती है तो उसका असर अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर पड़ता है। इसीलिए अप्रैल-जुलाई में राजकोषीय घाटा 3.41 लाख करोड़ रुपया रहा। इस वर्ष अभी तक भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन विश्व के सभी प्रमुख शेयर बाजारों की तुलना में बेहतर है। सच तो यही है कि ब्रिटेन और भारत को छोड़कर दुनिया के सभी बाजार गिरावट की ओर है। कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था के अनेक क्षेत्रों में भारत बेहतर स्थिति में आ रहा है। इस कारण संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भारत पुन: एक बार उम्मीद बना है।
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