नागरिकता : भारतीय क्यों छोड़ रहे देश?

Last Updated 08 Aug 2022 12:32:50 PM IST

कुछ हफ्तों पहले संसद में एक सवाल के उत्तर में चौंका देने वाले आंकड़े बताए गए। आंकड़ों के अनुसार 2015 से 2021 के बीच 9 लाख 32 हजार 276 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है।


नागरिकता : भारतीय क्यों छोड़ रहे देश?

गृह मंत्रालय के अनुसार केवल साल 2021 में ही 163,370 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी। मंत्रालय के अनुसार इन भारतीयों ने ‘निजी वजहों’ से नागरिकता छोड़ने का फैसला किया। ऐसे में सवाल उठता है कि इतने बड़े पैमाने में भारतीय देश छोड़ कर क्यों जा रहे हैं?

गौरतलब है कि कोरोना काल में बहुत सारे बड़े उद्योगपति देश छोड़ कर कनाडा, अमेरिका, यूके, यूएई आदि देशों के साथ ही  यूरोप में चले गए। इन धनकुबेरों के देश छोड़ने की एक बड़ी वजह कोरोना को बताया गया। हालांकि 2022 में भी इन उद्योगपतियों का देश छोड़ कर अन्य देश में बसने का सिलसिला जारी है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए यह अच्छा संकेत नहीं। इसके साथ ही, अमीरों के देश से पलायन की मुख्य वजह टैक्स से जुड़े सख्त नियम बताए गए हैं। पिछले महीने एक ब्रिटिश कम्पनी की रिपोर्ट ने दावा किया था कि भारत से लगभग 8,000 करोड़पति 2022 में विदेशों में शिफ्ट हो सकते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि ये उन देशों में जाना चाहते हैं, जहां का पासपोर्ट ज्यादा ताकतवर माना जाता है।

जो भी लोग भारत छोड़ विदेशों में नौकरी के सिलसिले में जाते हैं, उन्हें वहां पर मिलने वाली सुख-सुविधाएं इतना प्रभावित करती हैं कि वे लौट कर भारत नहीं आना चाहते। कुछ लोग तो वहां काम करते-करते अपना घर तक बसा लेते हैं। परिवार बढ़ने के बाद जब उन्हें वहां की नागरिकता मिल जाती है, तो उसकी तुलना वे भारत में मिलने वाली सुविधाओं के साथ करते हैं। विदेशों में जा कर बसे भारतीय वहां पर काम करने के माहौल, बच्चों की पढ़ाई, रहने के ढंग आदि को काफी सकारात्मक मान कर अपनी जन्मभूमि से नाता तोड़ने पर मजबूर होते हैं। यह पहली बार नहीं है, जब भारतीय लोग देश छोड़ कर विदेशों में बसने लगे हैं। ऐसा चलन तो दशकों से चल रहा है परंतु हाल के वर्षो में यह कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है।

भारतीयों को नागरिकता देने वाले देशों में अमेरिका ने सबसे ज्यादा नागरिकता दी है। आजादी के 75 वर्षो में अगर बड़े पैमाने पर भारतीय मूलभूत सुविधाओं की खोज में देश छोड़ कर जाने को मजबूर हो रहे हैं तो यह चिंता का विषय है। एक सव्रे के मुताबिक व्यापारी वर्ग का मानना है कि भारत में उन्हें अपने व्यापार या कारोबार की सुरक्षा की चिंता है। चिंता देश में विभिन्न करों और नियमों में आए दिन होने वाले बदलावों के कारण भी है। इसी असुरक्षा के कारण इन उद्योगपतियों को देश छोड़ने का निर्णय लेना पड़ रहा है। यदि भारत में उद्योगपतियों को उनके व्यापार की सुरक्षा की गारंटी मिल जाए तो शायद यह पलायन इतनी बड़ी संख्या में न हो। एक ओर तो व्यापारिक सुरक्षा कारण है, तो वहीं दूसरी ओर देश का कानून भी कुछ लोगों को नागरिकता छोड़ने पर मजबूर कर देता है। फिर आप चाहे उनको भगोड़े कहें या हाईप्रोफाइल अपराधी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे सैकड़ों उदाहरण मिल जाएंगे।

शिक्षा के क्षेत्र में देश में मूलभूत ढांचे का कमजोर होना भी देश से हो रहे ‘ब्रेन-ड्रेन’ का एक कारण है। देश का होनहार युवा तमाम कोशिशों के बावजूद देश में आरक्षण और अन्य वजहों के चलते अपने हुनर को निखार नहीं पाता। किसान का पुत्र अगर पढ़ाई-लिखाई में तेज है, तो वह खुद को अच्छी शिक्षा देने की होड़ में लग जाता है। ऐसे में उसका किसान पिता भी उसे रोकता नहीं है, बल्कि जरूरत पड़ने पर अपनी जमीन गिरवी रख कर उसे पढ़ाता है। परंतु आरक्षण कानून के चलते जब उसे अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती तो वह हताश हो जाता है। ऐसे में अगर देश का युवा विदेश में पढ़ाई के लिए जाता है, और उसके हुनर की कद्र करते हुए वहीं पर अच्छी नौकरी भी मिल जाती है, तो वो वहीं बस जाता है। इस तरह के पलायन में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। यदि हम देश के युवा को अपने ही देश में अच्छी शिक्षा और नौकरी देना सुनिश्चित कर देते हैं, तो विदेशों की बड़ी से बड़ी कम्पनी अच्छे हुनर की तलाश में भारत में ही अपना ऑफिस खोलेगी। विदेशी कम्पनियों द्वारा निवेश होने पर न सिर्फ पढ़े-लिखे श्रेष्ठ युवाओं को, बल्कि हर वर्ग के लोगों को उस कम्पनी में नौकरी भी मिलेगी।

भारत में अभी तक एकल नागरिकता का ही प्रावधान है। कानून के जानकारों के मुताबिक दोहरी नागरिकता का प्रावधान भी पलायन का एक कारण है। भारत छोड़ कर जाने वाले लोगों की प्राथमिकता उन देशों में जा कर बसने की भी है जिन देशों में ऐसा कानून है। यदि कोई भी भारतीय अपनी नागरिकता और पासपोर्ट छोड़ देता है, तो उसे भारत दोहरी नागरिकता न दे कर ओसीआई कार्ड जारी कर देती है। इस कार्ड से उस व्यक्ति को भारत में आने के लिए वीजा नहीं लेना पड़ता। वो बेझिझक देश में आ सकता है। परंतु नागरिकता से जुड़े उसके कई अधिकार रद्द हो जाते हैं। दुनिया के कई देशों में अज्रेटीना, इटली, पराग्वे और आयरलैंड ऐसे देश हैं, जहां पर दोहरी नागरिकता का प्रावधान है। भारत की नागरिकता छोड़ने के पीछे यह भी एक बड़ी वजह है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो देश छोड़ने वालों ने निजी कारणों को ही देश छोड़ने की वजह बताई, लेकिन यदि इस पर गौर किया जाए तो मूलभूत सुविधाओं की कमी भी देश छोड़ने का महत्त्वपूर्ण कारण दिखाई देती है। आजादी के 75 वर्षो में कई सरकारें आई और गई लेकिन देश से पलायन करने वालों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही। इस बात को मौजूदा सरकार और आने वाली सरकारों को गम्भीरता से लेना होगा नहीं तो देश से होने वाले ‘ब्रेन-ड्रेन’ पर लगाम नहीं लग पाएगी। यदि ऐसा होता है तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र वाले देश के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है।

विनीत नारायण


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