उत्तर प्रदेश : भाजपा की जीत का आधार

Last Updated 28 Mar 2022 12:04:36 AM IST

पांच प्रांतों के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चार राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में अपने प्रदर्शन से रिकॉर्ड बनाया है।


उत्तर प्रदेश : भाजपा की जीत का आधार

 इन राज्यों में बीजेपी की सत्ता में वापसी के पीछे यूं तो कई कारण गिनाए  जा सकते हैं, लेकिन मुख्यत: कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतार कर जन-जन तक पहुंचाने के अलावा कानून-व्यवस्था को कड़ाई से लागू करना ही रहा।
जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है, तो जनता चार-पांच वर्ष पूर्व तक बड़े-बड़े माफिया, अपराधी एवं गुंडों से त्रस्त थी। ऐसे में योगी आदित्यनाथ ने राज्य में कानून-व्यवस्था की बहाली को बड़ा मुद्दा बनाकर अधिकांश गुंडों और अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया; साथ ही राज्य में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा कर ईमानदारी से यूपी के विकास में जुट गए। कटु सत्य है कि महिलाओं के साथ देश के किसी भी इलाके में सबसे अधिक यौन शोषण की जो घटनाएं होती हैं, उनमें एक बड़ा हिस्सा अल सुबह और देर शाम अंधेरे में खेतों में शौच करने जाती महिलाओं के साथ होती हैं। लिहाज के कारण महिलाएं अंधेरे में ही शौच जाना चाहती हैं, और यही अंधेरा उनके लिए आफत बन जाता है। मोदी सरकार ने महिलाओं की इस मजबूरी को समझा और हर घर में शौचालय बनवाने का काम किया। घर में शौचालय का बनना महिलाओं के लिए केवल सफाई का मुद्दा नहीं, बल्कि सुरक्षा और अस्मिता से जुड़ा मुद्दा भी है। माहवारी से जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ने का काम भी मोदी सरकार द्वारा हुआ।

मासिक धर्म के दौरान बरते जाने वाले अस्वच्छ कपड़े के इस्तेमाल से गरीब घरों की महिलाएं बराबर बीमारियों का शिकार हो जाती थीं। मोदी सरकार द्वारा कम मूल्य या मुफ्त में सैनेटरी नैपकिन दिए जाने से स्वच्छता का प्रतिशत बढ़कर 75 प्रतिशत हो गया जो पूर्व में मात्र 37 प्रतिशत से भी कम था। प्राय: महिलाएं मुद्दों के आधार पर वोट करती हैं। यही कारण है कि बीजेपी को पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के अधिक वोट मिले। ग्रामीणों की अपेक्षा शहरी क्षेत्र की गरीब महिलाओं को ‘उज्जवला योजना’ के तहत मुफ्त गैस सिलेंडर से भी भाजपा को लाभ मिला। कोरोना काल में गरीबों को मुफ्त राशन का भी चुनाव पर व्यापक प्रभाव देखा गया। इस जीत में पार्टी के प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। चुनाव में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई  कल्याणकारी योजनाओं के अच्छे परिणाम मिले हैं। विभिन्न सरकारी योजनाओं का पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजे जाने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) खासकर किसान सम्मान निधि और प्रधानमंत्री आवास योजना आदि के प्रभावों ने मतदाताओं के मिजाज और उनके वोट समीकरण को काफी बदल दिया। खासकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित होने वाले 75 प्रतिशत मकानों का मालिकाना हक महिलाओं के नाम करने से महिलाओं के वोट भाजपा को विशेष रूप से मिले।
किसान आंदोलन को हालिया विधानसभा चुनाओं में अहम फैक्टर माना जा रहा था। समझा जा रहा था कि किसानों की नाराजगी बीजेपी को नुकसान पहुंचाएगी, लेकिन आंदोलन के कारण यूपी में बीजेपी को खास नुकसान नहीं हुआ क्योंकि मोदी सरकार द्वारा किसानों की हित में किए गए कार्यों के कारण किसान आंदोलन के बावजूद अधिकांश किसानों ने बीजेपी को वोट दिया। पीएम किसान सम्मान-निधि-योजना छोटे किसानों का बड़ा संबल बन गई है। इसके तहत 6000 रुपये प्रत्येक किसान को सालाना दिया जा रहा है। फसल बीमा योजना में सुधार, एमएसपी को डेढ़ गुणा करने, किसान क्रेडिट कार्ड से सस्ते दर पर बैंक से कर्ज मिलने, कृषि निर्यात तेजी से बढ़ने, कृषि बजट को पांच गुणा किए जाने, सोलर पावर से जुड़ी योजनाएं खेत तक पहुंचाने, दस हजार नये किसान-उत्पादन संगठन बनाने, किसान रेल के माध्यम से छोटे किसानों के कृषि-उत्पाद कम परिवहन लागत पर देश के दूरदराज के इलाकों तक पहुंचाने तथा किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिलने से करोड़ों किसान लाभान्वित हुए हैं।
फलत: भाजपा को किसानों का व्यापक समर्थन मिला। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डवलपिंग सोसायटीज और लोकनीति के सव्रेक्षण से पता चला कि पांच राज्यों में हुए चुनाव में चार राज्यों के मतदाता राज्य सरकारों की तुलना में केंद्र सरकार के कार्यों से अधिक संतुष्ट थे। परिणामों से सामने आया कि भावनात्मक मुद्दों को उछाल कर जनता से अब वोट नहीं लिया जा सकता। जनता राजनीतिक रूप से सशक्त हो रही है। लोकतंत्र का यही असली मूल-मंत्र भी है। लगता है कि मतदाताओं में बढ़ रही परिपक्वता राजनीति में सकारात्मक बदलाव का वाहक बन सकेगी।

सुरेश रूंगटा


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