वैश्विकी : क्वाड शिखर वार्ता का संदेश

Last Updated 14 Mar 2021 12:47:29 AM IST

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में उभर रहे चतुगरुट (क्वाड) के नेताओं की शिखर बैठक को सभी सदस्य देश ऐतिहासिक करार दे रहे हैं।


वैश्विकी : क्वाड शिखर वार्ता का संदेश

शिखर वार्ता के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में जिस शब्दावली का उल्लेख नहीं किया गया वही इस आयोजन का केंद्रीय विषय था। चीन के बढ़ते दबदबे को सशक्त राजनीतिक और सैन्य गठबंधन के जरिए कम करना क्वाड का अघोषित लक्ष्य है। शिखर वार्ता के बाद अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया है। साथ ही, यह स्पष्ट किया कि यह नाटो जैसा सैन्य गठबंधन नहीं है। दूसरी ओर चीन के विदेश मंत्री वांग यी क्वाड को भारत-प्रशांत क्षेत्र का नाटो करार देते हैं। जाहिर है कि क्वाड को लेकर दुनिया के बड़े देशों में ही नहीं, बल्कि सदस्य देशों में भी अलग-अलग राय है। शिखर वार्ता के बाद विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा कि क्वाड का एजेंडा नकारात्मक नहीं, सकारात्मक है। यह किसी देश के विरुद्ध नहीं है, बल्कि दुनिया की भलाई के लिए एक सकारात्मक एजेंडे को आगे बढ़ाने वाला संगठन है।
यह जिज्ञासा का विषय है कि यदि चीन ने पिछले वर्ष पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सैनिक दुस्साहस नहीं किया होता तो क्या भारत क्वाड शिखर वार्ता के प्रति इतना ही उत्साहित रहता। पूर्वी लद्दाख के घटनाक्रम ने भारत को एक रणनीतिक फैसला लेने के लिए मजबूर कर दिया। रणनीतिक स्वायत्तता और स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम रहते हुए भी आज भारत क्वाड जैसे गुट के जरिए अपने लिए एक सुरक्षा कवच हासिल करना चाहता है। चीन की आक्रामक गतिविधियों को लेकर क्वाड के सभी सदस्य देशों की अपनी शिकायतें हैं। जापान पूर्वी चीन सागर में अपने द्वीपों पर चीन की गिद्ध दृष्टि को लेकर आशंकित है। तो ऑस्ट्रेलिया चीन की ओर से छेड़े गए व्यापार युद्ध का शिकार है। पूर्वी लद्दाख में भारत को तो सीधे-सीधे सैन्य अतिक्रमण का शिकार होना पड़ा है। शिखर वार्ता के दौरान चीन के इस आक्रामक रवैये पर चर्चा हुई तथा इसका सामना करने के विकल्पों पर विचार किया गया। विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि क्वाड नेताओं ने क्षेत्रीय महत्त्व के मुद्दों पर चर्चा की। इन मुद्दों को लेकर चारों नेताओं की राय एक जैसी  थी। उन्होंने इस चर्चा का खुलासा नहीं करते हुए कहा कि विचार-विमर्श गोपनीय था। इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिखर वार्ता को भारतीय विदेश नीति के मूल दर्शन के अनुरूप बताया। उन्होंने कहा कि क्वाड अब परिपक्व हो गया है। यह भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की नीति का विस्तार ही है। शिखर वार्ता के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में क्वाड के बारे में भारत की यह सोच परिलक्षित हुई कि यह गुट समावेशी है और इसमें आसियान देशों की केंद्रीय भूमिका है। इस पहली शिखर वार्ता के साथ ही क्वाड ने अब एक औपचारिक रूप ले लिया है। आने वाले दिनों में इस गुट की गतिविधियों में और इजाफा होगा। सदस्य देशों ने कहा कि इस वर्ष वे एक और शिखर वार्ता आयोजित करेंगे। संभावना है कि लंदन में जून महीने में आयोजित होने वाली समूह-7 देशों की बैठक के दौरान एक और शिखर वार्ता हो जिसमें ये सभी नेता आमने सामने बैठकर बात करेंगे। मेजबान ब्रिटेन ने भारत और ऑस्ट्रेलिया को इस बैठक में सहयोगी देशों के रूप में आमंत्रित किया है।
शिखर वार्ता में क्वाड देशों ने तीन कार्यदल गठित करने का फैसला किया है। ये कार्यदल कोविड वैक्सीन, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन से संबंधित हैं। अब क्वाड के जरिए कोरोना विषाणु महामारी के विरुद्ध सबसे बड़ा अभियान शुरू होगा। इसके तहत 2022 तक कोरोना रोधी टीके की एक अरब खुराक के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। टीका निर्माण के लिए अमेरिका अपनी तकनीक देगा और जापान के साथ मिल कर वित्त का प्रबंध करेगा। टीके का निर्माण भारत में होगा। इसके लिए बहुत बड़े प्लांट के निर्माण की जरूरत पड़ेगी। दुनिया के गरीब मुल्कों और विशेषकर एशिया-प्रशांत के देशों तक टीके को मुहैया कराने की जिम्मेदारी ऑस्ट्रेलिया की है।
क्वाड शिखर वार्ता भारत के लिए अनेक लिहाज से उपयोगी रही। इससे चीन को एक स्पष्ट संदेश गया। सबसे अधिक फायदा भारत के औषधि क्षेत्र को होने की संभावना है। इस क्षेत्र में अब बड़े पैमाने पर निवेश होगा और कोरोना महामारी ही नहीं, बल्कि भविष्य की अन्य महामारियों का मुकाबला करने के लिए भारत दुनिया का सबसे प्रमुख स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदाता देश बन सकेगा।

डॉ. दिलीप चौबे


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