जीएसटी : साबित होगा आर्थिक वरदान
यकीनन 29 मार्च, 2017 का दिन देश के आर्थिक इतिहास में सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर (इनडायरेक्ट टैक्स) सुधार के लिए याद किया जाएगा.
जीएसटी : साबित होगा आर्थिक वरदान |
इस दिन लोक सभा ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू करने में सहायक चार विधेयकों को मंजूरी दे दी. इसके बाद विभिन्न राज्यों की विधान सभाओं में भी राज्य-जीएसटी पारित कराया जाएगा, जिसमें कोई कठिनाई नहीं होगी. ऐसे में एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होना सुनिश्चित है.
यदि हम जीएसटी का इतिहास देखें तो पाते हैं कि वर्ष 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने कर सुधार की डगर पर आगे बढ़ते हुए जीएसटी के लिए ‘केलकर समिति’ का गठन किया था. इसके बाद यूपीए सरकार ने वर्ष 2006 में जीएसटी की जरूरत को सदन में जोर-शोर से रेखांकित किया था. यद्यपि वर्ष 2011 में जीएसटी को सदन में प्रस्तुत किया गया किन्तु यह विधेयक संसद में आगे बढ़ने से रुक गया.
इस घटनाक्रम के बाद जब एनडीए की नरेन्द्र मोदी सरकार आई तो जीएसटी विधेयक फिर से लोक सभा में प्रस्तावित हुआ और मई 2015 में लोक सभा द्वारा पारित कर दिया गया. इसके बाद यह विधेयक विभिन्न उतार-चढ़ाव का सामना करते हुए अब सफलता के अंतिम पड़ाव पर पहुंचा है. ऐसे में अब देश के आर्थिक इतिहास में यह लिखा जाएगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वित्तमंत्री अरुण जेटली के सतत प्रयासों से लोक सभा स्पीकर सुमित्रा महाजन की अध्यक्षता में भारत की लोकसभा ने जीएसटी विधेयकों को अंतिम मंजूरी देकर जीएसटी लागू करना सुनिश्चित किया.
गौरतलब है कि इस समय देश में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के द्वारा अलग-अलग प्रकार के कोई 17 तरह के टैक्स वसूले जाते हैं. ये टैक्स कई स्तरों पर लिये जाते हैं. इनसे महंगाई बढ़ती है. टैक्स संबंधी उलझने बढ़ती हैं. कारोबारी परेशान रहते हैं. विदेशी व्यापार में भी मुश्किलें आती हैं. जीएसटी लागू होने के बाद यह कई स्तरों पर नहीं वसूला जाएगा. जीएसटी की व्यवस्था के तहत आपूर्तिकर्ता उत्पादक एवं सेवा प्रदाता के द्वारा कर का भुगतान प्रारंभिक बिन्दु पर ही किया जाएगा. केंद्र और राज्य सरकारें एक साथ समस्त उत्पाद श्रृंखला पर जीएसटी लगाएंगे. केंद्रीय जीएसटी को केंद्र के द्वारा वसूला जाएगा. राज्यों के द्वारा राज्य स्तर पर होने वाले कारोबार पर जीएसटी वसूल किया जाएगा. इन दोनों के अलावा अंतरप्रादेशिक आवाजाही पर केंद्र टैक्स वसूल करेगा. ऐेसी होने वाली आय को राज्यों के बीच वितरित किया जाएगा.
यह भी उल्लेखनीय है कि अभी पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है. इसी तरह ‘ओला’ और ‘उबर’ जैसे कैब एग्रीगेटरों को भी अभी जीएसटी से बाहर रखा गया है. लेकिन इन सभी को जल्दी ही संवैधानिक तौर पर जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा. नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था जीएसटी के तहत चार टैक्स स्लैब, रखे गए हैं. ये हैं 5 फीसद, 12 फीसद, 18 फीसद और 28 फीसद. हालांकि, आगे अगर सरकार को विशेष परिस्थितियों में जरूरत पड़ी तो वह टैक्स की दर बढ़ा सकती है. अधिकतम 40 फीसद टैक्स का प्रावधान किया जा सकता है. इसमें सेंट्रल और स्टेट जीएसटी दोनों 20-20 फीसद हो सकेंगे.
खास बात यह भी है कि जीएसटी के तहत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में शामिल 50 फीसद से ज्यादा वस्तुओं को शून्य दर की श्रेणी में रखा गया है, जिससे महंगाई बढ़ने की आशंका नहीं है. जहां विलासिता से जुड़े उत्पादों के लिए ऊंची टैक्स दर होगी, वहीं सामान्य लोगों के उपयोग वाली चीजों के लिए टैक्स की दर कम होगी. उल्लेखनीय है कि दुनिया के 140 से अधिक देशों में जीएसटी जैसी कर व्यवस्था लागू है. अब भारत में भी जीएसटी लागू होने का फायदा आम आदमी से लेकर पूरी अर्थव्यवस्था को होगा. पूरे देश में किसी भी सामान की कीमत एक होगी. जीएसटी के क्रियान्वयन से राज्यों के बीच व्यापार बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी. जीएसटी के कारण देश में टैक्स सिस्टम सरल हो जाएगा.
चूंकि, अभी टैक्स सिस्टम कठिन है एवं टैक्स अधिक है, अतएव बहुत से कारोबारी बिक्री कम दिखाते हैं. लेकिन जीएसटी के बाद टैक्स की दर कम होगी. बेहतर कर प्रशासन होगा. कारोबार असंगठित क्षेत्र से संगठित क्षेत्र की ओर बढ़ेगा. हर लेन-देन की ऑनलाइन इंट्री होगी. इससे कर की वसूली करते समय कर अधिकारियों द्वारा कर में हेराफेरी की संभावना कम हो जाएगी. निसंदेह जीएसटी से कई सारी चीजें पूरी कर प्रणाली सहित सुधर जाएंगी. इसके लागू होने से काले धन पर लगाम लगेगी. ‘नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड रिसर्च’ की रिपोर्ट 2017 के मुताबिक जीएसटी लागू होने से देश की जीडीपी में एक से 1.70 फीसद तक की बढ़ोतरी हो सकती है.
चूंकि, जीएसटी एक जुलाई से लागू होना है, ऐसे में अब सरकार द्वारा इसे लागू करने के लिए उपलब्ध तीन माह का युद्धस्तर पर उपयोग करना होगा. जीएसटी कौंसिल की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण होगी. जीएसटी के तहत रखे गए विभिन्न चार टैक्स स्लेब और शून्य दर की श्रेणी में आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं को चिह्नित करना होगा. जीएसटी मसलों के समाधान के लिए गठित किए गए विभिन्न 10 उद्योग समूह को तत्परतापूर्वक कार्य करके रिपोर्ट सौंपना होगा. उद्योग-कारोबार से संबद्ध लोगों को जीएसटी कानून को समझकर उनको इसे उपयुक्त रूप से अपनाने के लिए तैयार करना होगा.
जीएसटी की प्रशासनिक तैयारी को भी जल्द अंतिम रूप दिया जाना होगा. हम आशा करें कि जीएसटी लागू होने से आम आदमी से लेकर पूरी अर्थव्यवस्था को लाभ होगा. भारत दुनिया के सबसे बड़े साझे बाजार के रूप में विकसित होगा. जीएसटी वैश्विक स्तर पर भारत को प्रतिस्पर्धी बनाएगा. जीएसटी के कारण भारत से निर्यात बढ़ेंगे और विदेशी निवेश भी बढ़ेगा. ऐसे में जीएसटी देश के लिए आर्थिक वरदान बन सकता है.
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