आयकर विभाग ने बुधवार को कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर (LTCG) की दर में कटौती से अधिकतर करदाताओं को ‘‘पर्याप्त कर बचत’’ होने की उम्मीद है।
|
बजट में दीर्घावधि तक रखी गई आवास संपत्तियों की बिक्री से अर्जित पूंजीगत लाभ पर कर की दरें कम कर दी गई हैं, लेकिन करदाताओं को मिलने वाला ‘इंडेक्सेशन’ लाभ हटा दिया गया है।
रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एलटीसीजी को ‘इंडेक्सेशन’ लाभ सहित 20 प्रतिशत से घटाकर बिना ‘इंडेक्सेशन’ के 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
‘इंडेक्सेशन’ लाभों से तात्पर्य पूंजीगत लाभ कर की गणना के लिए सम्पति के मूल्य से मुद्रास्फीति को समायोजित करने की व्यवस्था समाप्त करना है।
आयकर विभाग ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने आधिकारिक खाते पर लिखा, ‘‘नाममात्र अचल संपत्ति रिटर्न आम तौर पर 12-16 प्रतिशत प्रति वर्ष के आसपास है, जो मुद्रास्फीति से बहुत अधिक है।’’
विभाग के अनुसार, ‘‘ मुद्रास्फीति के लिए ‘इंडेक्सेशन’ चार से पांच प्रतिशत के आसपास है, जो संपत्ति को कितने समय के लिए अपने पास रखा गया उस अवधि पर निर्भर करता है। इसलिए, ऐसे करदाताओं में से अधिकतर को पर्याप्त कर बचत की उम्मीद है।’’
अचल संपत्ति की अवधि के आधार पर लाभों की तुलना करते हुए आयकर विभाग ने कहा कि बिना ‘इंडेक्सेशन’ के नई कर दर अधिकतर मामलों में लाभकारी है।
पांच वर्षों तक रखी गई संपत्ति के लिए नई व्यवस्था तब लाभकारी होगी जब संपत्ति का मूल्य 1.7 गुना या उससे अधिक बढ़ गया हो, जबकि 10 वर्षों तक रखी गई संपत्ति के लिए यह तब लाभकारी होगी जब मूल्य 2.4 गुना या उससे अधिक बढ़ गया हो। 2009-10 में खरीदी गई संपत्ति के लिए यदि मूल्य 4.9 गुना या उससे अधिक बढ़ गया है तो यह फायदेमंद होगा।’’
आयकर विभाग ने कहा, ‘‘ उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि केवल उन क्षेत्रों में, जहां रिटर्न कम है (करीब 9-11 प्रतिशत प्रति वर्ष से कम), वहां पहले की कर दर लाभदायक है, लेकिन रियल एस्टेट में इतना कम रिटर्न अवास्तविक तथा दुर्लभ है।’’
वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में लाए गए बदलावों के अनुसार, सरकार ने 2001 से पहले खरीदी गई या विरासत में मिली संपत्तियों पर करदाताओं के लिए ‘इंडेक्सेशन’ लाभ बरकरार रखा है। कर की दर में बदलाव 23 जुलाई 2024 से प्रभावी हो गए हैं।
| | |
|