अफगानी सेब के नाम पर सरकार को 1250 करोड़ की चपत

Last Updated 07 Feb 2021 01:05:00 AM IST

पश्चिमी देशों में खलनायक बना चीन और खाड़ी देशों के निशाने पर आए ईरान ने पाकिस्तानी शागिर्दों की मदद से भारत को करीब 1250 करोड़ रु पए की चपत लगा दी है।


अफगानी सेब के नाम पर सरकार को 1250 करोड़ की चपत

दोनों देश अफगानी सेब के नाम पर अपने उत्पाद को बिना कस्टम ड्यूटी भरे बाघा और अटारी बॉर्डर से भारत में खपा रहे हैं। देश में आने वाले इस लाखों टन सेब ने कश्मीर से लेकर हिमाचल और उत्तराखंड तक के किसानों में बेचैनी बढ़ा दी है। उस पर आजादपुर सब्जी मंडी समिति इनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है।

दरअसल, विदेशी सेब पर 15 फीसद कस्टम ड्यूटी और करीब 35 फीसद कर और सेस वसूल किया जाता है। मगर अफगानिस्तान को मित्र राष्ट्र होने के नाते आयातित सेब पर कस्टम और टैक्स नहीं देना होता। अफगान सरकार के आंकड़े कहते हैं कि वहां सालाना करीब एक लाख मेट्रिक टन सेब पैदा होता है। मगर अक्टूबर से अभी तक बाघा और अटारी बॉर्डर के माध्यम से करीब छह लाख मेट्रिक टन अफगानी सेब भारत में खपाया जा चुका है। सूत्रों का कहना है कि कोरोना के बाद चीन पूरे विश्व में, तो कौमी विवाद के बाद ईरान खाड़ी देशों में अलग-थलग पड़े हैं। ऐसे में दोनों ही मुल्कों ने अपने पाकिस्तानी शागिर्दों के जरिए अफगानी सेब के नाम पर अपना सेब भारत के बाजार में खपाना शुरू कर दिया।



चीनी-ईरानी सेब ने हमारी कमर ही तोड़ दी : मोहम्मद अशरफ बानी

कश्मीर सेब उत्पादक समिति के अध्यक्ष मोहम्मद अशरफ बानी कहते हैं कि कश्मीर में सालाना करीब 26 लाख, हिमाचल में करीब छह लाख और उत्तराखंड में डेढ़ से दो लाख मीट्रिक टन सेब उत्पादन होता है। लॉकडाउन में कश्मीर में ही कोल्ड स्टोर में रखे सेब के भाड़े के तौर पर हमें करीब 42 करोड़ रु पए चुकाने पड़े। अब लगा था कि नुकसान की भरपाई हो जाएगी। लेकिन देश में आ रहे चीन और ईरान के सेब ने हमारी कमर ही तोड़ दी है। उनका आरोप है कि आजादपुर सब्जी मंडी में जहां भारतीय किसानों के उत्पाद बेचने की मंजूरी है, मगर मंडी समिति अफगान के नाम पर चीन और ईरान से आ रहे सेबों को भी अवैध रूप से बेचने की इजाजत दे रही है, जबकि विदेशी फलों को बेचने के लिए अलग स्थान तय है।

विदेशी फल बेचने के लिए कोई अधिसूचित जगह नहीं : आदिल
आजादपुर सब्जी मंडी समिति के अध्यक्ष आदिल अहमद खान आरोपों को झूठा करार देते हुए कहते हैं कि विदेशी फल बेचने के लिए कोई अधिसूचित जगह नहीं है। कश्मीरी किसानों को दिक्कत है, तो मोदी जी के पास जाएं, जिन्होंने अफगानी सेब यहां बेचने की इजाजत दी हुई है। समिति के सचिव राजीव सिंह परिहार कहते हैं कि कई साल से भारतीय और अफगानी विक्रेता एक जगह व्यवसाय करते हैं। महामारी और अफगानी सेब की आवक बढ़ने से कश्मीरी विक्रेताओं की दिक्कत बढ़ी है। लेकिन समस्या यह है कि विदेशी फलों के लिए तय न्यू सब्जी मंडी में जगह का अभाव है। मगर फिर भी हमने अफगानी सेब विक्रेताओं पर सख्ती कर निर्देश दिए हैं कि कश्मीरी विक्रेताओं से कम से कम सौ मीटर दूर अपना माल बेचेंगे।

सहारा न्यूज ब्यूरो/सुबोध जैन
नई दिल्ली


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