जमीन हस्तांतरण को चुनौती, NCLT ने खरीद-फरोख्त पर लगाई रोक
नेशनल कंपनी लॉ न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने गुड़गांव की 3.65 एकड़ जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी है। यह जमीन गुड़गांव के गांव घाटा में है।
![]() जमीन हस्तांतरण को चुनौती, NCLT ने खरीद-फरोख्त पर लगाई रोक |
यह मामला जमीन के विवादस्पद हस्तांतरण से जुड़ा है। याचिकाकर्ता ने अपनी अपील में इस बात का दावा किया है कि उक्त भूखंड का हस्तांतरण एक ऐसे आदेश का हवाला देकर करा लिया गया जिसके अंतर्गत यह भूखंड आता ही नहीं।
एनसीएलटी ने एमार होल्डिंग की अर्जी पर यह आदेश दिया। याची कंपनी ने दावा किया कि एनसीएलटी के आठ जनवरी, 2018 के आदेश का हवाला देकर गांव घाटा की तीन एकड़ से अधिक जमीन का ट्रांसफर एमजीएफ ने अपने नाम कर लिया जबकि अदालत के समक्ष भूमि की सूची में यह भूखंड नहीं था। एमार ने अपनी याचिका में कहा कि एमजीएफ ने एनसीएलटी द्वारा एमार एमजीएफ की डीमर्जर योजना को स्वीकृति दिए जाने के एक महीने बाद इस जमीन के मालिकाना अधिकार को हस्तांतरित करने की मांग की। एमार ने कहा कि यह भूमि एनसीएलटी द्वारा पारित आदेश का हिस्सा नहीं थी।
प्रतिवादी का कहना था कि यह जमीन मूल रूप से मैसर्स एक्टिवा और मैसर्स सिद्धिविनायक के पास थी। बाद में यह मैसर्स कायो को हस्तांतरित की गई। एमार ने श्रवण गुप्ता के स्वामित्व वाले एमजीएफ के आठ फरवरी, 2018 के पत्र का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि 3.65 एकड़ जमीन के अधिकार एमजीएफ के पास हैं। इस संबंध में 19 मार्च, 2008 को दिए गए लाईसेंस का भी जिक्र किया गया।
एनसीएलटी की प्रधान पीठ ने 28 अक्टूबर, 2020 के अपने आदेश में एमजीएफ के र्तको को विरोधाभासी कहा और अगले आदेश तक तृतीय पक्ष को किसी तरह का मालिकाना अधिकार देने से रोक दिया। एनसीएलटी ने प्रतिवादियों से कहा कि वह अपना जवाब दायर करे। एमार होल्डिंग ने दायर अर्जी में कहा कि एनसीएलटी के आठ जनवरी, 2018 के आदेश में घाटा गांव की इस जमीन का जिक्र नहीं है।
| Tweet![]() |