बजट में मध्यम वर्ग को मिल सकती है राहत, व्यक्तिगत कर छूट सीमा बढ़ा सकते हैं वित्त मंत्री

Last Updated 10 Jan 2018 09:59:54 AM IST

मोदी सरकार के अगले बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिल सकती है. सरकार आयकर छूट की सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर 3 लाख कर सकती है. बजट में सरकार टैक्स छूट सीमा बढ़ाने के साथ-साथ टैक्स स्लैब में भी बदलाव कर सकती है.


3 लाख हो सकती है आयकर छूट सीमा (फाइल फोटो

सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय के समक्ष व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा ढाई लाख रूपये से बढ़ाकर तीन लाख रूपये करने का प्रस्ताव है. हालांकि, छूट सीमा को पांच लाख रूपये तक बढ़ाने की समय समय पर मांग उठती रही है.
         
वर्ष 2018-19 का आम बजट मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा.  इस बजट में सरकार मध्यम वर्ग को, जिसमें ज्यादातर वेतनभोगी तबका आता है, बड़ी राहत देने पर सक्रियता के साथ विचार कर रही है.  सरकार का इरादा है कि इस वर्ग को खुदरा मुद्रास्फीति के प्रभाव से राहत दी मिलनी चाहिये.
          
वित्त मंत्री अरण जेटली ने पिछले बजट में आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन छोटे करदाताओं को राहत देते हुये सबसे निचले स्लैब में आयकर की दर 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी थी.  सबसे निचले स्लैब में ढाई लाख से लेकर पांच लाख रूपये सालाना कमाई करने वाला वर्ग आता है.
         
सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्री एक फरवरी को पेश होने वाले आगामी बजट में कर स्लैब में व्यापक बदलाव कर सकते हैं. पांच से दस लाख रूपये की सालाना आय को दस प्रतिशत कर दायरे में लाया जा सकता है जबकि 10 से 20 लाख रूपये की आय पर 20 प्रतिशत और 20 लाख रपये से अधिक की सालाना आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जायेगा.  वर्तमान में ढाई से पांच लाख की आय पर पांच प्रतिशत, पांच से दस लाख रूपये पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रूपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर देय है.


           
उद्योग मंडल सीआईआई ने अपने बजट-पूर्व ज्ञापन में कहा है, मुद्रास्फीति की वजह से जीवनयापन लागत में काफी वृद्धि हुई है.  ऐसे में निम्न आय वर्ग को राहत पहुंचाने के लिये आयकर छूट सीमा बढ़ाने के साथ साथ अन्य स्लैब का फासला भी बढ़ाया जाना चाहिये. 
          
उद्योग जगत ने कंपनियों के लिये कंपनी कर की दर को भी 25 प्रतिशत करने की मांग की है. हालांकि, सरकार पर राजकोषीय दबाव को देखते हुये उसके लिये इस मांग को पूरा करना मुश्किल लगता है.  माल एवं सेवाकर लागू होने के बाद सरकार की अप्रत्यक्ष कर वसूली पर दबाव बढ़ा है.  इस साल के बजट में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.2 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखा गया है. 
           
सरकार ने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिये पिछले दिनों ही बाजार से 50,000 रूपये का अतिरिक्त उधार उठाया है.

 

भाषा


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