भारत ने ब्रिटेन से कहा- भगोड़े कारोबारी विजय माल्या का शीघ्र प्रत्यर्पण करे
भारत ने गुरूवार को ब्रिटेन से कहा कि वह भगोड़े कारोबारी विजय माल्या का शीघ प्रत्यर्पण सुनिश्चित करे. वह 2 मार्च 2016 को भारत से भागकर ब्रिटेन में रह रहा है.
विजय माल्या (फाइल फोटो) |
ब्रिटेन में रह रहे माल्या पर कई बैंकों से लिये गये 9 हजार करोड़ रपये के कर्ज की अदायगी नहीं करने का आरोप है.
केन्द्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि ने गुरूवार को ब्रिटेन के गृह विभाग में सचिव पेट्सी विल्किंसन से मुलाकात के दौरान माल्या के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाते हुये यह बात कही.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक दो घंटे तक चली बैठक में दोनों अधिकारियों ने ब्रिटेन में सक्रिय सिख आतंकवादियों तथा ब्रिटेन सहित अन्य यूरोपीय देशों में मौजूद आईएसआईएस के आतंकवादियों के बारे में खुफिया सूचनाएं साझा कीं. इस दौरान भारत और ब्रिटेन के बीच आतंकवाद के खिलाफ आपसी सहयोग से जुड़े अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुयी.
इसके अलावा बैठक में माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर ब्रिटेन के प्रयासों की सराहना करते हुये महर्षि ने ब्रिटिश अदालत में चल रही प्रत्यर्पण की सुनवाई में भारत सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग करने का भरोसा दिलाया. प्रत्यर्पण प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के लिये उन्होंने सुझाव दिया कि अगर भारतीय अभियोजन एजेंसी और ब्रिटिश अभियोजन विभाग ‘‘क्राउन प्रोसीक्यूशन’’ के बीच एकपक्षीय संवाद हो तो अदालती कार्रवाई को आसान बनाते हुये इसे जल्द पूरा किया जा सकता है.
भारत और ब्रिटेन ने 1992 में प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किये थे. लेकिन अब तक सिर्फ एक प्रत्यर्पण हो सका है. इसके तहत साल 2002 में हुये गोधरा कांड के बाद भड़के गुजरात दंगों में आरोपी समीरभाई विनुभाई पटेल का पिछले साल अक्तूबर में प्रत्यर्पण हुआ था.
सूत्रों के मुताबिक महर्षि ने भारतीय अदालतों में ब्रिटेन के वांछित अपराधियों के खिलाफ चल रही सुनवाई से जुड़ी सूचनायें ब्रिटेन को उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाते हुये ब्रिटेन से भी वहां रह रहे भारतीय वांछित अपराधियों के लंबित मामलों की सुनवाई को लेकर सूचनायें साझा करने की उम्मीद जताई.
वहीं भारत ने ब्रिटेन में वांछित एक बांगलादेशी नागरिक के खिलाफ असम में दर्ज किये गये मामले को वापस लेने का प्रस्ताव रखा जिससे उसका ब्रिटेन प्रत्यर्पण किया जा सके. इसके एवज में भारत ने भी अपने वांछित अपराधियों के खिलाफ ब्रिटिश अदालतों में चल रहे मुकदमों को वापस लेने की अपेक्षा जाहिर की जिससे इनका भी यथाशीघ भारत प्रत्यर्पण किया जा सके.
इस बीच दोनों पक्षों ने आगामी जुलाई में सुरक्षा सहयोग पर एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की सहमति जतायी.
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