हड़ताल पर हैं दस लाख बैंक कर्मी
देशभर में निजीकरण के विरोध में दस लाख बैंक कर्मचारी शुक्रवार को एक दिन की हड़ताल पर हैं.
|
इस दौरान कुछ बैंकों के एटीएम भी बंद रहेंगे.
इससे देशभर में सार्वजनिक तथा पुराने बैंकों का कामकाज प्रभावित होने की आशंका है.
ये कर्मचारी बैंकिंग क्षेत्र में प्रस्तावित सुधारों का विरोध कर रहे हैं.
ऑल इंडिया बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन के विश्वास उतागी ने बताया, दस लाख से अधिक बैंक कर्मी इस हड़ताल में भाग लें रहे हैं. आप देशभर में बैंकिंग क्षेत्र के सभी अंगों पर इसका असर देखेंगे.
उन्होंने कहा कि समाशोधन कार्यालय, विदेशी मुद्रा विभाग, कॉल मनी बाजार तथा रिजर्व बैंक के कार्यालय भी बंद रहेंगे.
उतागी के अनुसार बैंक कर्मचारियों को विश्वास है कि यह मामला संसद के मौजूदा सत्र में उठेगा.
उतागी ने कहा कि पुराने निजी बैंकों की 24 यूनियन शुक्रवार की हड़ताल में शामिल हैं.
एआईबीईए के. सी. वेंकटचलम ने कहा, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, यस बैंक तथा कोटक महिंद्रा बैंक के कर्मचारियों के इस हड़ताल में शामिल होने की संभावना नहीं है क्योंकि इन बैंकों में यूनियन नहीं है.
यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू) के संयोजक सी.एच. वेंकटचलम ने दावा किया, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, पुराने निजी बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में कार्यरत करीब 10 लाख बैंक कर्मी एवं अधिकारी हड़ताल पर हैं.
यूएफबीयू देश में सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के बैंकों की पांच कर्मचारी यूनियनों और चार अधिकारी यूनियनों का एक संगठन है.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की शाखाओं में परिचालन प्रभावित हुआ है और चेक समाशोधन में विलंब हो रहा है.
उन्होंने कहा, अन्य मुद्दों में बैंक नौकरियों की आउटसोर्सिंग एवं खंडेलवाल समिति की ‘कर्मचारी-विरोधी’ सिफारिशों को लागू करने का प्रयास शामिल है. इसके अलावा, पेंशन और अधिकारियों के लिए काम के घंटे तय करने के लंबित मुद्दे भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के नाम पर सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाने और इन बैंकों में निजी क्षेत्र की पूंजी बढ़ाने का प्रयास कर रही है.
बैंक यूनियनों ने कल वित्तीय सेवा सचिव डीके मित्तल और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के चेयरमैन से मुलाकात की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकाला जा सका.
बैंकिंग उद्योग के नौ संघों के इस फोरम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चेक क्लियरिंग कामकाज भी प्रभावित हुआ है. उन्होंने हालांकि कहा कि कुछ निजी बैंक कामकाज कर रहे हैं. उन्होंने कहा, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैक काम कर रहे हैं. उनकी इसमें भागीदारी नहीं है.
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ के हरविंदर सिंह ने कहा, हमने देखा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी कम की जा रही है और साथ ही हमारे बैंकों में निजी पूंजी बढ़ रही है.
उन्होंने कहा, हमारी मांग है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण नहीं होना चाहिए और इन बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी कम नहीं होनी चाहिए. सार्वजनिक बैंकों की पूंजी बढ़ाने के लिए विश्व बैंक से ऋण नहीं लिया जाए.
उन्होंने कहा कि हमारी अन्य मांगों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय रोकना, स्थाई बैंकिंग नौकरियों का निजी बैंकों से आउटसोर्सिंग रोकना, खाली पदों को भरना, मुआवजे के आधार पर पारिवार के सदस्य को नौकरी और आवास, कार और अन्य ऋणों के लिए दिशा-निर्देश तय करना शामिल है.
संघ के अधिकारियों का कहना है कि वे 10 अगस्त को बेंगलुरू में बैठक कर आगे की रणनीति पर विचार करेंगे.
Tweet |