पानी चोर कहां से आए!
पानी की आस में कहां-कहां भटकती है वह. यहां पानी नहीं है. पानी की चोरी होती है. हमने तो सुना था धन की चोरी होती है.
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यहां तो पानी की चोरी होती है. आजकल पानी इतनी आसानी से मिलता है. कहीं भी जाओ बोतलों में बंद पानी ही पानी! कहां कमी है पानी की. पैसा फेंको और पानी का मजा लो. आप कहते हैं पानी नहीं है. रेगिस्तान में बाढ़ आती है तब भी पानी की कमी! नहीं ऐसा कैसे हो सकता है. हमारे जमाने में तो पानी ही पानी होता था. कई-कई दिनों तक रास्ते बंद रहते थे. तालाब फूट जाते. पानी ही पानी होता! आज वह पानी कहां चला गया? पानी की कमी और पानी का बाजार! क्या बात है. यह मुनाफा संस्कृति बहुत ही लाभ दे रही है हमारी सरकारों को! वे हर उस उत्पाद को बाजार में चाहती है जो राजकोष को भारी करे! फिर वह चाहे कितना भी हानिकारक हो. शराब को हर सरकार प्रश्रय देना चाहती है. इससे सरकारी खजाना जो भरता है. पानी का व्यापार भी अब इसी श्रेणी में आता जा रहा है.
जुलाई के प्रथम सप्ताह में मेरे यहां बारिश होनी होती! यदि नहीं होती तो गांव के लोग तरह-तरह से बरखा को मनाने के टोटके करते. लोक देवताओं की पूजा करते. और यही खबर करते रहते कि बरखा रानी कब आएगी. कई बार तो सामूहिक भोज दिया जाता, कई बार गांव के बाहर खाना बनाया जाता! तो कई बार देवताओं को शराब की धार दी जाती. एक बार तो गजब ही किया. एक बड़ा-सा पत्थर पूरे गांव के चारो ओर घुमाया गया. कई बार श्मशान में हल चलाया जाता! बारिश के देवता इन्द्र को मनाने के लिए! यह अंधविश्वास है और इनसे क्या होना, पर लोग करते. मन को सांत्वना देते. इसको धर्म करना कहते. या फिर कहते कि यह इस कारण हुआ कि धरती पर पाप बढ़ गया है. लोग धरम-कर्म नहीं करते. मुझे याद है बचपन में जब भी तालाब भरा होता मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहता. सूखा होता तब मत कहो. तीन तालाबों के किनारे है मेरा गांव. फिलहाल दो है, एक को खत्म कर दिया, वहां फसल होती है! दो में एक तो कमल वाला तालाब है और दूसरा गंदगी वाला. पास के कस्बे की गंदगी उसी में आती है. कमल वाला तालाब ही सबसे खूबसूरत तालाब है. बुजुर्ग कहते हैं उसमें बहुत कमल होते थे. इतने कमल होते कि तालाब पार करना असंभव होता! पर हमने तो नहीं देखे. अब तो वह भी कभी-कभार भरता है! बाकी सूखा ही रहता है. वीराना-सा!
पानी का इतना अभाव कैसे हुआ. यहां पानी का अकाल है. पानी को लेकर तरह-तरह की योजनाएं हैं! पर पानी तब भी नहीं है! उसका अभाव ही अभाव है. अब भी खरे है तालाब. जब भी गांव जाओ सबसे बड़ी समस्या पानी की ही है. पम्प पर पम्प लगा रहे हैं. पर पानी नहीं है. चार सौ-चार सौ फुट जमीन या कहिए पाताल में भी पानी नहीं है. धूल उड़ रही है. कोई कितना बोर करायेगा. ताल, बावड़ी, कुआं, हैंडपम्प सब सूखा! कहां से आवे पानी. शहर है कि पानी की बर्बादी करते हैं. जो काम एक लीटर पानी में हो सकता है उसके लिए दस लीटर व्यर्थ बहाते हैं. यहां बसने वाले लक्ष्मी पुत्र अपनी प्यास तो मिनरल वॉटर से बुझाते हैं लेकिन गरीबों के हक के पानी से उद्योग चलाते हैं. यह प्लास्टिक की टंकी बहुत नुकसान करती है. एक तो गरम पानी, ऊपर से किसी काम का नहीं. यहां भी लगी है! क्या करे! तकनीक और आधुनिकता का मामला है! जिस तरह की जिम्मेदारी का काम किया जाना है वह कौन करना चाहता है! आप जितने बड़े लुटेरे हैं, आपको उतना ही चाव से सुना जाएगा. आप किसी भी काम को करा दें, बस! कैसे कराते हैं वह कोई मायने नहीं रखता! विकास की इस आंधी ने बहुत कुछ किया. मनुष्य के जीवन को आसान किया लेकिन कितना अनिश्चित कर दिया! तकनीक का धुत विकास पानी को र्इंधन में काम लेने के बाद क्या करेगा! पानी के नाम पर क्या नहीं हो रहा! कल-कल करती बहती रेवा! कहां गंगा-यमुना-हुगली-केन, सारी नदियां बाजार के हवाले!
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