भारतीय छात्रा अमेरिका छोड़ स्वदेश लौटी
अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय ने बीते साल फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले छात्रों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है जिसके चलते भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन अमेरिका छोड़ स्वदेश लौट आई।
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रंजनी शहरी नियोजन में पीएचडी कर रही थी। कथित तौर पर हमास का समर्थन करने के आरोपों के बाद डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी की मंत्री की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, जब आप हिंसा और आतंकवाद की वकालत करते हैं तो उस विशेषाधिकार को रद्द किया जाना चाहिए जो अमेरिका में रहने और पढ़ाई करने के लिए वीजा देने का अधिकार देता है।
उन्होंने कड़े शब्दों में लिखा, आपको इस देश में नहीं रहना चाहिए। हालांकि यह वीजा रद्द करने के पीछे और भी कारण होने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है। मगर अमेरिका सरकार द्वारा और जानकारी नहीं दी गई है।
भारत सरकार की जिम्मेदारी बनती है, वह इस आरोप की जड़ तक जाने की कोशिशें करे। गाजा में इस्रइल की कार्रवाई के खिलाफ दर्जनों छात्रों ने कैम्पस की एक इमारत को कब्जे में लेते हुए उसमें खुद को कैद कर लिया था।
इसके बाद कैंपस कार्यकर्ता महमूद खलील को संघीय अप्रवासन प्राधिकरणों द्वारा हिरासत में लिया गया था क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फिलिस्तीन समर्थकों को हमास से जोड़ते हैं और उन्हें सख्ती से देश से निकालने की बात करते रहते हैं।
प्रशासन चेतावनी दे चुका है कि अवैध प्रदर्शनों की अनुमति देने वाले स्कूलों और विविद्यालयों को किसी तरह की सरकारी मदद नहीं दी जाएगी। इसलिए विविद्यालयों की मजबूरी है कि वे आनन-फानन कड़े कदम उठाते नजर आएं।
हालांकि लोकतंत्र में किसी भी विचारधारा के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करना नागरिकों का अधिकार है। मगर आतंकवाद और आतंकी कट्टर विचारधारा से जूझ रही दुनिया में अपने देश को सुरक्षित रखने के लिए सरकारें भी चौंकन्ना रहने को मजबूर हैं।
कहना गलत न होगा कि छात्रों को कड़ी चेतावनी और सांकेतिक सजाओं के साथ छोड़ा जा सकता था। यदि उनके खिलाफ हमास से सीधा संपर्क में होने के सबूत न मिलें हों क्योंकि यह नौजवानों के पूरे भविष्य से जुड़ा मसला है। विचारधारा के आधार पर जल्दबाजी में कहीं बेकुसूर छात्रों के साथ खिलवाड़ न हो जाए। इसका ख्याल किया जाना भी जरूरी है।
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