अक्टूबर में रात का तापमान बढ़ा, टूटा 123 साल का रिकॉर्ड
अक्टूबर में न्यूनतम तापमान के मामले में एक सौ तेइस सालों का रिकॉर्ड टूटा है। नवम्बर में भी यह सिलसिला जारी रहने की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं।
अक्टूबर में रात का तापमान बढ़ा, टूटा 123 साल का रिकॉर्ड |
मौसम विभाग का मानना है कि नवम्बर में उत्तर-पश्चिम भारत को छोड़ कर सभी भौगोलिक क्षेत्रों में रातें सामान्य से अधिक गर्म होंगी। दक्षिण-पश्चिम मानसून के देरी से बाहर निकलने से मानसून का प्रवाह जारी रहा। अखिल भारतीय औसत न्यूनतम तापमान 21.85 डिग्री सेल्यिस रहा जबकि सामान्य तापमान 20.01 डिग्री होता है।
जलवायु परिवर्तन की चपेट में इस वक्त पूरी दुिनया है। एशियन डवलपमेंट बैंक के अनुसार जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत की जीडीपी में 24% से अधिक का घाटा हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार इसका हल जल्द नहीं ढूंढा गया तो तटीय संपत्तियों को खरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है, जिससे 2070 तक तीस करोड़ लोग तटीय बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं। हीट वेव्ज, उष्णकटिबंधीय तूफानों, बाढ़ के रूप में विनाशकारी प्रभाव बढ़े हैं।
अध्ययनों के अनुसार 2000 के बाद विकासशील एशिया का वैश्विक ग्रीनहाऊस उत्सर्जन में योगदान बढ़ा है। विश्व मौसम संगठन के वाषिर्क ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन के अनुसार आने वाले कई वर्षो तक पृथ्वी का तापमान बढ़ता रहेगा। वायुमंडल में कार्बन डाई-ऑक्सासड तेजी से जमा हो रही है। तापमान वृद्धि के लिए मानवीय गतिविधियां ही जिम्मेदार हैं। निरंतर और पेड़ों के बेतहाशा कटान, वनाग्नि, औद्योगिकीकरण और कंकरीट के फैलते जंगल सामान्य कारक हैं।
ग्रीनहाऊस यानी हरित गृह प्रभाव वातावरण में मौजूद गैसों के तापमान को गरमाने का कारण बनता है। सरकार की योजनानुसार 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में तकरीबन एक अरब टन की कमी लाने के प्रयास होंगे। मगर बढ़ती गरमी से तमाम तरह के संक्रमण निरंतर बढ़ रहे हैं। उपज और खाद्य के साथ ही पेयजल की कमी बढ़ते जाने के भी अनुमान हैं। चूंकि हम कृषि प्रधान देश हैं, ऐसे में हमारी आबादी का बड़ा हिस्सा प्राकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर है।
मौसम की मार से निपटने के लिए आमजन को कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। दीपावली तक ठंड की आहट न होने से लोग यूं ही फिक्रमंद हैं। रिकॉर्ड मौसम के ही नहीं टूट रहे, इस गरमाहट ने आम जन को भी संकट में डाल दिया है जिससे सामूहिक तौर पर जूझने को तैयार रहना होगा।
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