महायुद्ध की आशंका
पश्चिम एशिया में करीब 1 वर्ष से जारी संघर्ष अब निर्णायक दौर में प्रवेश करता दिखाई दे रहा है। इजरायल के हमले में लेबनान में हिजबुल्लाह के नसरुल्लाह और उसके नंबर दो अली कराकी के मारे जाने के बाद इस संघर्ष के महायुद्ध में तब्दील होने की आशंकाएं बढ़ गई है।
महायुद्ध की आशंका |
इस बीच सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से टेलीफोन पर बातचीत की। दोनों नेताओं के बीच पश्चिम एशिया के हालात पर चर्चा हुई।
इजरायल और फिलीस्तीन के बीच जारी संघर्ष के विस्तार होने की आशंकाओं के मद्देनजर यह बातचीत बेहद महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है। मोदी ने अपनी इजरायली समकक्ष से कहा कि दुनिया में आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है।
वस्तुत: हमास के प्रमुख नेता इस्माइल हानिया की हत्या के बाद नसरु ल्लाह के मारे जाने के बाद परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। सबसे अधिक चिंताजनक स्थिति यह हो सकती है कि ईरान, हमास, इराक, हिज्बुल्लाह और सीरिया में सक्रिय ईरान समर्थक हथियारबंद गुट मिलकर इजरायल पर हमला बोले, जिसके जवाब में इजरायल की ओर से कई देशों में एक साथ सैनिक कार्रवाई की जाए।
इस मुहिम में इजरायल को अमेरिका, ब्रिटेन सहित कुछ अन्य यूरोपीय देशों की ओर से सक्रिय समर्थन मिलेगा। सबसे भयावह परिदृश्य पश्चिम एशिया में महायुद्ध का हो सकता है। इसके विश्व युद्ध में तब्दील होने की आंशिक ही सही लेकिन आशंका है।
ऐसा परिदृश्य उस समय बनेगा जब इजरायल ईरान के परमाणु केंद्रों को नष्ट करने के अपने पुराने मंसूबे पर अमल करने का दुस्साहस करे। वास्तव में इजरायल अपने लिए सबसे बड़ा खतरा ईरान को मानता है।
इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने सोमवार को ईरान के लोगों से कहा कि हर दिन आप एक ऐसी शासन को देखते हैं जो आपको अपने अधीन कर लेता है। अगर उन्हें आपकी परवाह है तो वह मध्य पूर्व में बेवजह के युद्धों पर अरबों डॉलर बर्बाद करना बंद कर देगा।
इजरायल को इस हकीकत का पता है कि यदि ईरान परमाणु हथियार बना लेता है तो इससे पश्चिमी एशिया में शक्ति संतुलन पूरी तरह बदल जाएगा।
यह इजरायल ही नहीं बल्कि अमेरिका के लिए भी एक बड़ी चुनौती होगी। मध्य-पूर्व की राजनीतिक अस्थिरता भारतीय हितों को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी शांति और स्थिरता के लिए युद्धरत दोनों पक्षों से संवाद कर रहे हैं।
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