मां के लिए पेड़ लगाना एक सार्थक पहल
हर कोई अपनी मां के लिए पेड़ लगा रहा है। चाहे वह अमीर हो या गरीब, चाहे वे कामकाजी महिलाएं हों या घरेलू। मां के नाम पेड़ लगाने के अभियान से मां का तो सम्मान होगा ही साथ में धरती मां की रक्षा भी होगी।
सार्थक पहल |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आकाशवाणी के मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के दौरान ये बातें कही। विश्व पर्यावरण दिवस यानी 5 जून को शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की चर्चा के दौरान उन्होंने यह कहा। 2024 के लोक सभा चुनाव के लिए मोदी ने देशवासियों का धन्यवाद ज्ञापन किया और कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था, जिसमें पैंसठ करोड़ लोगों ने मत डाले।
वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम की हौसलाफजाई भी नहीं भूलें। उन्होंने जनता से खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करने के लिए हैशटैग ‘चीयर 4 भारत’ का प्रयोग करने का आग्रह भी किया। चूंकि कार्यक्रम का उद्देश्य आम लोगों तक प्रधानमंत्री की आवाज सीधा पहुंचाना है। दूर-दराज व ग्रामीण इलाकों तक संदेश पहुंचाने के लिए इसे टीवी व यू-टय़ूब के साथ रेडियो पर प्रसारित किया जाता है। 2014 के सव्रेक्षण के अनुसार इसे 66.7 फीसद आबादी द्वारा सुना गया।
साथ ही यह आकाशवाणी के लिए राजस्व जुटाने का प्रमुख कार्यक्रम बन चुका है। नि:संदेह ‘मन की बात’ कार्यक्रम द्वारा मोदी ने खास वर्ग के दिलों को छूने का काम किया है। ग्लोबल वार्मिग की मार झेल रहे नागरिकों को मां के नाम पर पौधा रोपने के लिए प्रोत्साहित करना, बेहतरीन नतीजे दे सकता है। पेड़ का आज के समय में कितना महत्त्व है, यह जगजाहिर है। हमारी परंपरा व परिवार के अटूट बंधन की यही तो बुनियाद है।
हालांकि देश के मुखिया को जबरदस्त बारिश, बाढ़, पीने के पानी की कमी जैसी बुनियादी दिक्कतों की भी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। राज्य सरकारों की नकेल कसते हुए उन्हें प्राकृतिक आपदाओं और बुनियादी जरूरत के प्रति जवाबदेह बनाना होगा। लोग सिर्फ पौधे लगा कर उन्हें छोड़ न दें, बल्कि उनकी उचित देखभाल का जिम्मा भी लें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले वक्त में हमें और आने वाली पीढ़ी को कई तरह की दुारियां झेलनी पड़ सकती है।
सरकार की तरफ से मिलने वाले नि:शुल्क पौधों की व्यवस्था सुधारने का काम स्थानीय प्रशासन को मुस्तैदी से करना होगा और जनता के इस प्रयास को प्रात्साहित करने के लिए कदम से कदम मिलाने होंगे।
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