पानी पर दिल्ली को राहत
राजधानी दिल्ली में पानी की भारी किल्लत पर सर्वोच्च अदालत की टिप्पणी मायनेखेज है। शीर्ष अदालत ने इसी के मद् देनजर हिमाचल प्रदेश को 7 जून को दिल्ली के लिए 137 क्यूसेक अतिरिक्त जल छोड़ने का निर्देश दिया।
पानी पर दिल्ली को राहत |
साथ ही हरियाणा से कहा कि वह दिल्ली तक पानी का सुगम प्रवाह सुनिश्चित करे। दरअसल, दिल्ली में पानी की घनघोर किल्लत पिछले एक महीने से लगातार बनी हुई है। पानी को लेकर दिल्ली में हिंसक झड़प भी हुई। यहां तक कि एक शख्स की मौत भी हुई।
दूसरी ओर, दिल्ली सरकार में मंत्री और आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता अतिशी ने पिछले हफ्ते हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर अतिरिक्त पानी देने का अनुरोध किया था। हकीकी तौर पर दिल्ली में पानी को लेकर हमेशा से राजनीति होती रही है।
इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा था। एक तरफ भाजपा ने जहां दिल्ली सरकार को पानी के मसले पर लगातार घेरा और पानी की कमी को लेकर केजरीवाल सरकार की नाक में दम किए रखी। वहीं आम आदमी पार्टी का कहना है कि इस बार चूंकि गर्मी का कहर ज्यादा रहा इसलिए राज्य में पानी की जोरदार कमी महसूस की गई, मगर हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने मानवीय मूल्यों की परवाह नहीं की और दिल्ली की जनता को पानी के लिए तरसाया।
खैर, सर्वोच्च अदालत को इस बात का इल्म है कि पानी पर यहां जमकर राजनीति हो रही है। यही वजह है कि उसने इस मामले में राजनीति न करने की सख्त हिदायत दी है। बहरहाल, पानी की बर्बादी किस तरह की जाती है इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है।
अगर लोगों में यह समझ पैदा हो जाए कि पानी का समझदारी से इस्तेमाल और इसे बचाने में ही भलाई है तो ऐसी दुर्गति से बचा जा सकता है। यह शात सत्य है कि पानी को बचाया जा सकता है, मगर पानी बनाया नहीं जा सकता है।
वैसे भी जल संकट दिल्ली की बड़ी और काफी दिनों की समस्या है। इससे निपटने का कोई युक्तसंगत उपाय हर हाल में तलाशना होगा। साथ ही अगर जो लोग पानी की बर्बादी करते पाए जाएंगे तो उन पर सख्ती भी की जानी चाहिए। पानी की जरूरत का अहसास तभी होता है जब यह नहीं मिलती है। इस बात को हमें समझना ही होगा।
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