शिकंजे में लाइए दोषियों को

Last Updated 18 May 2024 12:59:34 PM IST

स्वाति मालीवाल के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास पर की गई कथित मारपीट आप राजनीति की हिंसक कार्यशैली का एक घोर निंदनीय घटना है।


शिकंजे में लाइए दोषियों को

यह भरोसा करना मुश्किल हो रहा है कि ‘दिल्ली का बेटा’ कहे जाने वाले अरविंद केजरीवाल के रहते उनका निजी सचिव विभव  कुमार महिला सांसद की बुरी तरह से धुनाई करेगा। स्वाति ने लिखित शिकायत में कहा है कि विभव ने थप्पड़ों, लात-घूसों से, उनके चेहरे, पेट एवं निजी अंगों पर अंधाधुंध प्रहार किया है।

दिल्ली पुलिस ने इस राज्य सभा सांसद के आवास पर जाकर उनके लिये बयान के बाद विभव के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की है। सभ्य-सम्मानजनक एवं न्यायपूर्ण व्यवहार का भरोसा पहले दिल्ली और अब पूरे देश को देने वाला परिसर एक शातिर आखेटस्थल के रूप में सामने आया है।

स्वाति ठीक से चल नहीं पा रही हैं एक वीडियो में यह दिखा है। आप की ही एक नेता इसे नौटंकी बता रही हैं। वे घटना के तुरंत बाद थाना जाने के आपातकालीन उत्साह के जैविक स्रोत में और हादसे के बाद उभरने वाली पीड़ा से उत्पन्न असहायता में जानबूझकर फर्क नहीं कर पा रही हैं।

यह प्रतिक्रिया आप की कार्यसंस्कृति की भी झलक देती है। खुद मुख्यमंत्री ने इस पर अफसोस जाहिर नहीं किया है और न उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने। जो पति की विरासत सम्हालने की कतार में दूसरे नम्बर पर हैं; एक महिला होने के नाते भी स्वाति से हमदर्दी जता सकती थीं। यहां तक कि सांसद संजय सिंह ने जो मालीवाल से बातचीत करें न्याय का भरोसा दिलाया था, वे खुद विभव के साथ देखे गए। खुद मुख्यमंत्री भी।

हालांकि स्वाति ने इस घटना की वजह नहीं बताई है पर यह लगता है कि जो कुछ और जैसे हुआ है, उसमें मुख्यमंत्री एवं उनकी पत्नी सहित उच्चस्तरीय सहमतियां हैं। एक अनुमान अंतरिम जमानत दिलाने वाले वकील को स्वाति से सांसदी छीन कर उन्हें सौंप देने का है। मुख्यमंत्री के जेल जाने के पहले और बाद में स्वाति की बगैर अनुमति की अनुपस्थिति नेतृत्व की खीझ व नाराजगी भी एक अनुमान है। तीसरा अनुमान राज्य सभा में कुछ आप सांसदों के तटस्थ बर्ताव से नेतृत्व के नाखुश होने का है, लेकिन इसे व्यक्त करने का और भी कई बेहतर तरीका हो सकता था। इसके परिणामों को किन्हीं राजनीतिक बाध्यताओं से न प्रभावित होने दिया जाए और न किन्हीं पूर्वाग्रहों से उसकी बेलाग निष्पक्षता को। कानून अपना काम करे।



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