आस्था का ख्याल रखें
उत्तराखंड में चार धाम यात्रा में पिछले साल की तुलना में दोगुने यात्री पहुंच रहे हैं। यह वाकई हर किसी के लिए चिंता का सबब है। बेतहाशा बढ़ती भीड़ और अव्यवस्था के चलते बारह यात्रियों की मौत हो चुकी है।
![]() आस्था का ख्याल रखें |
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनावी रैली छोड़ कर देहरादून पहुंचे। बैठक लेकर उन्होंने निर्देश दिया कि 31मई तक सभी वीआईपी दर्शन पर रोक रहेगी। यात्रा मागोर्ं पर भीषण जाम है, तीर्थयात्री घंटों-घंटों उनमें फंसे हैं। कुछ की तबीयत बहुत बिगड़ गयी।
कुछ श्रद्धालुओं को आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा। जबरदस्त भीड़ को देखते हुए पंजीकरण दो दिन के लिए रोके जा चुके हैं। यह सच है कि वीआईपी कल्चर के चलते होने वाली व्यवस्थागत गड़बड़ियों को नजरंदाज किया जाता है। खासकर इस तरह के बड़े तीर्थस्थानों तथा धार्मिक स्थलों में खास लोगों के लिए की जाने वाली व्यवस्था में पुलिस व सुरक्षा बलों की बड़ी संख्या जुटती है। ऐसे में आम नागरिक की तरफ से ध्यान हट जाता है।
खुद को अलग और विशेष मानने वाला बड़ा वर्ग है अपने यहां, जो अपनी समृद्धि और ताकत का प्रयोग कर अपनी विशिष्टता दर्शाने में संकोच नहीं करता। नि:संदेह खास लोगों की आस्था का भी ख्याल रखा जाना जरूरी है। मगर यह आम आदमी की असुविधा या अपमान के साथ न किया जाए।
यह कहना अतिश्योक्ति होगा कि लोगों की आस्था का विस्तार तेजी से हो रहा है। अब लगभग सभी बड़े व प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में बेतहाशा भीड़ लगने लगी है। रही बात पंजीकरण की तो अभी भी देश में ऐसा तबका है, जिसे नियमों/ पाबंदियों के विषय में जानकारी नहीं मिल पाती।
उनके पास इतना धन भी नहीं होता कि वे एकाध दिन कहीं रुक कर इंतजार कर सकें। दो सौ मीटर के दायरे में फोन के प्रयोग जैसी पाबंदी श्रद्धालुओं के लिए बड़ी समस्या साबित हो सकती है। तस्वीरें निकालने या रील बनाने वालों से निपटने के और रास्ते खोजने की जरूरत है।
नियमों व पाबंदियों की आड़ में आस्था पर प्रहार से बचने के प्रयास होने चाहिए। चार धाम जैसी यात्रा करने वाले वर्षो से इसकी तैयारी करते हैं, तब निकलते हैं। वे आम भक्त हों या खास, उनकी भावनाओं की अनदेखी करने को कतई उचित नहीं कहा जा सकता।
Tweet![]() |